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Friday, 22 November, 2024
होमदेशहरियाणा में ‘स्थानीय लोगों को आरक्षण’ के नए कानून से कैसे ‘इंस्पेक्टर राज’ बढ़ सकता है

हरियाणा में ‘स्थानीय लोगों को आरक्षण’ के नए कानून से कैसे ‘इंस्पेक्टर राज’ बढ़ सकता है

हरियाणा स्टेट एंप्लायमेंट ऑफ लोकल कैंडीडेट बिल, 2020 जो हरियाणा सरकार का निजी क्षेत्र की नौकरियों में हरियाणवी लोगों को 75 फीसदी आरक्षण देने की बात करता है.

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चंडीगढ़: हरियाणा सरकार का निजी क्षेत्र की नौकरियों में हरियाणवी लोगों को 75 फीसदी आरक्षण देने संबंधी नया कानून श्रम अधिकारियों को इसे लागू कराने के लिए असीमित शक्तियां देता है. बेरोजगार होने की स्थिति में यह अकुशल स्थानीय लोगों को नियोक्ता द्वारा ही प्रशिक्षित करने पर जोर देने की सीमा तक जाता है.

हरियाणा स्टेट एंप्लायमेंट ऑफ लोकल कैंडीडेट बिल, 2020 गत मंगलवार को ही अधिसूचित हुआ है और इसे विधानसभा में नवंबर में ही पारित कर दिया गया था. राज्यपाल ने अपनी सहमति देने से पहले विधेयक के कुछ प्रावधानों पर स्पष्टीकरण मांगा था.

नए कानून के तहत अधिकृत ‘प्रशासनिक अधिकारियों’ के पास किसी भी निजी उद्यम के परिसर में प्रवेश करने, उनका रिकॉर्ड जांचने, किसी भी तरह की गड़बड़ी की छानबीन करने और जुर्माना लगाने का अधिकार होगा.

किसी भी नियोक्ता को स्थानीय लोगों की रोजगार स्थिति पर त्रैमासिक रिपोर्ट देनी होगी, इन अधिकारियों के साथ सहयोग करना होगा और चूंकि उन्हें ‘अच्छी भावना’ के साथ काम करने वाला माना जाता है इसलिए उनके खिलाफ किसी अदालत का रुख नहीं किया जा सकता है.

अधिनियम कहता है, ‘ऐसे किसी भी प्राधिकृत अधिकारी या नामित अधिकारी या किसी भी ऐसे व्यक्ति या निकाय, जो किसी ऐसे प्राधिकृत अधिकारी या नामित अधिकारी के आदेश या निर्देश पर काम कर रहा हो, के खिलाफ किसी भी अदालत में मकुदमा या अन्य कार्यवाही नहीं की जा सकती है, जिनका इरादा इस अधिनियम के प्रावधानों पर अमल कराना या इसके लिए अच्छी भावना के साथ कुछ करना हो.’

कंपनियों के निदेशक, भागीदार और अन्य प्रबंधन कर्मचारी अगर इसका अनुपालन नहीं करते हैं तो दंड के लिए उत्तरदायी होंगे.


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यह अधिनियम उन कर्मचारियों की सभी श्रेणियों के लिए लागू होता जो ऐसे किसी निजी उद्यम में 50,000 रुपये प्रतिमाह से कम कमाते हैं जहां 10 या उससे अधिक लोगों को काम पर रखा गया है. ऐसे कर्मचारियों में से कम से कम 75 प्रतिशत के लिए हरियाणा का डोमिसाइल होना आवश्यक है. हालांकि, निजी उद्यमों को किसी विशेष जिले के कर्मचारियों की संख्या 10 प्रतिशत तक सीमित रखने का विकल्प भी दिया गया है.

हालांकि, राज्य सरकार जोर देकर कहती है कि इसके प्रावधान ‘इंस्पेक्टर राज’ को बढ़ावा नहीं देंगे, जो कि लाल फीताशाही के संदर्भ में इस्तेमाल होता है.

राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव (श्रम) वी.एस. कुंडू ने दिप्रिंट को बताया, ‘किसी का कोई उत्पीड़न नहीं होगा. लेकिन कुछ नियामक नियंत्रण किया जाएगा ताकि हरियाणा के कुशल युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करना सुनिश्चित किया जा सके. विभिन्न स्तरों पर अधिकारियों को अधिकृत करना उद्योग के आकार के आधार पर तय किया जाएगा.’

यह पूछे जाने पर कि अधिकारियों को कानूनी कार्यवाही के दायरे से बाहर क्यों रखा गया है, उन्होंने कहा, ‘अधिकारी सरकार की ओर से कार्य करते हैं और सद्भाव के साथ किए गए उनके कार्यों को संरक्षण देना होगा. हालांकि, अगर कुछ गलत किया जाता है, तो उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की जा सकती है.’

स्थानीय लोगों के लिए कोटा

दिप्रिंट के पास मौजूद अधिनियम की अधिसूचना स्पष्ट करती है कि हरियाणा में हर निजी नियोक्ता, जिसके पास वेतन या भत्तों पर 10 से अधिक लोग काम करते हैं, को सबसे पहले तो अगले तीन महीनों के भीतर एक पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा.

नियोक्ता को इसके बाद अपने यहां काम करने वाले स्थानीय लोगों के बारे में त्रैमासिक रिपोर्ट पेश करनी होगी.

नियोक्ता ऐसे मामलों में छूट की मांग कर सकते हैं जब सरकार के सामने यह साबित करने में सक्षम हों कि वे किसी खास उद्यम के लिए राज्य में कुशल श्रमिक नहीं खोज पा रहे हैं.

ऐसे मामलों में श्रम विभाग का एक ‘नामित अधिकारी’ उनके आग्रह पर गौर करेगा. हालांकि, नामित अधिकारी नियोक्ता को स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए कह सकता है ताकि उन्हें संबंधित कंपनी में रोजगार के योग्य बनाया जा सके.

बहरहाल, ‘नामित अधिकारी’ डिप्टी कमिश्नर के पद से नीचे का नहीं होगा, लेकिन निचले स्तर के अधिकारियों को ‘अधिकृत अधिकारी’ के रूप में यह जिम्मा सौंपा जाएगा जो कि एक सब-डिवीजनल स्तर के अधिकारी के पद से नीचे नहीं होंगे.

इन अधिकारियों को किसी भी उद्यम की जांच करने और अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए उनके रिकॉर्ड और दस्तावेज तलब करने का अधिकार है. नियोक्ता को अधिकृत अधिकारी के साथ सहयोग करना होगा और किसी भी ना-नुकुर को अधिनियम के तहत अपराध माना जाएगा.

अधिनियम के तहत विभिन्न उल्लंघनों के लिए दंड का भुगतान एकमुश्त या जब तक उल्लंघन होता है तब तक दैनिक आधार पर करने का प्रावधान है. एकमुश्त भुगतान 10,000 रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक और दैनिक जुर्माना 100 रुपये प्रतिदिन से लेकर 1,000 रुपये प्रतिदिन तक है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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