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Sunday, 22 December, 2024
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पत्रकार को धमकी देने वाले ‘वामपंथी’ संदीप कैसे बने प्रियंका की पसंद

संदीप सिंह काफी चर्चा में है. सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें वह एक टीवी रिपोर्टर को पीटने की धमकी दे रहे हैं.

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लखनऊ : प्रियंका गांधी के रणनीतिकार संदीप सिंह बीते मंगलवार से काफी चर्चा में है. सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें वह एक टीवी रिपोर्टर को पीटने की धमकी दे रहे हैं. इस वीडियो पर मीडिया जगत के तमाम दिग्गज आक्रोषित हैं. दूसरी ओर कई कांग्रेसी नेता भी संदीप के इस व्यवहार से आहत हैं और आधिकारिक तौर पर कुछ बोलने से बच रहे हैं. उत्तर प्रदेश में कांग्रेसियों के बीच चर्चा है कि प्रियंका ने मिशन यूपी की रणनीति के लिए किसी ‘कांग्रेसी’ के बजाए ‘वामपंथी’ संदीप को क्यों चुना ?

जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष से टीम प्रियंका का सफर

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के रहने वाले संदीप ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया और फिर आगे की पढ़ाई के लिए जेएनयू चले गए. वह 2007 में जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए थे. वहां वह अपने देसी अंदाज में शानदार स्पीच देने के लिए जाने जाते थे. बताया जाता है कि जेएनयू से निकलने के बाद उन्होंने लेफ्ट से किनारा कर लिया और अन्ना हजारे की लोकपाल मुहीम का हिस्सा बन गए. हालांकि, जब वहां मोहभंग हुआ और कांग्रेस से जुड़ गए. शुरू में वह राहुल गांधी की टीम से जुड़े रहे. उन पर स्पीच लिखने जैसी अहम जिम्मेदारी थी. प्रियंका गांधी के यूपी प्रभारी बनने के बाद वह टीम प्रियंका का अहम हिस्सा बन गए.

मिशन यूपी की अहम जिम्मेदारी संदीप पर

कांग्रेस से जुड़े सूत्रों की मानें तो प्रियंका के यूपी प्रभारी बनने के बाद ही संदीप उनसे जुड़ गए थे. लेकिन बीते लोकसभा चुनाव के बाद से अब वह अहम भूमिका में है. प्रियंका के पर्सनल सेक्रेटरी के तौर पर चुनाव से पहले धीरज श्रीवास्तव मैनेजमेंट देखते थे. लेकिन यूपी से जुड़ी रणनीति तैयार करने में अब संदीप की भूमिका अहम हो गई है. वह प्रियंका गांधी के साथ हर दौरे पर भी मौजूद रहते हैं. सोनभद्र जाने के लिए जब प्रियंका पिछले महीने वाराणसी आईं, तब भी संदीप साथ ही दिखे और इस बार भी साथ में रहे. वहीं उन्नाव रेप केस के प्रोटेस्ट के दौरान संदीप लखनऊ में मौजूद थे. इस मुद्दे से जुड़ी रणनीति तैयार करने में उनकी अहम भूमिका रही.

अधिक तवज्जो मिलने से कई कांग्रेसी खिलाफ

संदीप को ज्यादा तवज्जो मिलने से यूपी के कई पुराने कांग्रेसी नाराज भी हैं. नाम न छापने की शर्त पर एक कांग्रेसी नेता का कहना है कि एनएसयूआईए व यूथ कांग्रेस के तमाम टैलेंटेड युवाओं के बजाए वामपंथी संगठन से आए संदीप को तवज्जो क्यों दी जा रही है. कांग्रेस के युवाओं में क्या टैलेंट की कमी है जो बाहर से लोगों को इम्पोर्ट करने की आवश्यकता पड़ी. वहीं यूपी कांग्रेस से जुड़े एक वरिष्ठ कांग्रेसी कहते हैं कि संदीप का ऐसा व्यवहार कोई नया नहीं है. मीडिया से बदसलूकी पर अब हम क्या जवाब दें. वह कांग्रेस में आकर भी गांधीवादी विचारों को नहीं समझ पाए हैं. कुछ दिन पहले वह लखनऊ कार्यालय में भी एक वरिष्ठ कांग्रेसी से उलझ गए थे. एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एक रिटार्यर्ड पुलिस अधिकारी को कांग्रेस में ज्वाइन कराने के लिए प्रियंका गांधी से मुलाकात कराना चाहते थे. इसको लेकर उन्होंने संदीप से टाइम दिलाने को कहा जिसकी संदीप ने बेरुखी कर दी.

प्रियंका यूथ फ्रंट नाम से टीम बनाने वाले कांग्रेसी युवा नेता बाबुल सिंह ने तो फेसबुक पर खुलकर बगावत कर दी है.

उन्होंने फेसबुक पर लिखा है- पढ़ने सुनने में तो कहानियां भी बहुत अच्छी लगती हैं, पर वास्तविकता से इनका दूर-दूर तक कोई नाता नहीं होता है, इसलिए आज देश मे कम्युनिस्टों का नाम तक लेने वाला कोई नहीं है! और आज अफसोस है कि हमारे शीर्ष नेतृत्व को फैसले लेने में सहायक की भूमिका वो निभा रहा है जो कभी कांग्रेस का घोर वैचारिक विरोधी रहा है.

यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता भी इस मुद्दे पर बोलने से बच रहे हैं. अनौपचारिक तौर पर वह पत्रकार के जबरदस्ती माइक लगाने के तरीके पर सवाल उठा रहे हैं. लेकिन, संदीप के व्यवहार से आहत हैं. उनका कहना है कि कांग्रेस अहिंसा में विश्वास करने वाली पार्टी है. ‘ठोक दूंगा’ जैसे शब्द कांग्रेस कल्चर का हिस्सा नहीं हो सकते.

कई युवा कांग्रेसी संदीप के पक्ष में भी

हालांकि, कई युवा कांग्रेसी संदीप के पक्ष में भी दिखते हैं. वह सोनभद्र मुद्दे पर कांग्रेस की एक्टिवनेस का क्रेडिट संदीप को ही देते हैं. एक युवा कांग्रेसी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ‘चाहे सोनभद्र हिंसा का मुद्दा हो या उन्नाव रेप केस मामला कांग्रेस की सक्रियता के पीछे संदीप का ही दिमाग है. वह सोनभद्र भी गए थे और उन्नाव मामले के खिलाफ हुए प्रोटेस्ट के दौरान लखनऊ में मौजद थे. प्रोटेस्ट की रणनीति तैयार करने में अहम भूमिका थी. यही नहीं वह पांच दिन लखनऊ में लगातार रुक कर गए. संदीप को करीब से जानने वाले उनके जेएनयू के साथी कहते हैं कि संदीप थोड़े जिद्दी जरूर हैं. लेकिन बेहद जुझारू इंसान हैं. हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं पर पकड़ और पाॅलिटिकल समझ काफी तेज है. गंवई भाषा में उनके भाषण किसी को भी कायल कर सकते हैं. यही कारण है कि कई कांग्रेसियों को उनकी तरक्की बर्दाश्त नहीं होती.


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मनमोहन को काला झंडा दिखाकर आए थे चर्चा में

संदीप सिंह तब चर्चा में आए थे, जब उन्होंने साल 2005 में जेएनयू में एक कार्यक्रम के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को काले झंडे दिखाए थे. हालांकि, कांग्रेस ज्वाइन करने पर उन्होंने इस पर अफसोस भी जताया था. यह भी कहा जाता है कि राहुल और प्रियंका के भाषणों में गरीब समर्थन रुझान के पीछे संदीप का ही दिमाग है. हालांकि, ये किसी को नहीं पता कि संदीप कैसे राहुल गांधी की नजरों में आए, लेकिन कहा जाता है कि 2017 के आस पास वह अचानक राहुल के इर्द-गिर्द देखे जाने लगे थे. अब वह पत्रकार को धमकी देने के वीडियो ने फिर चर्चा में ला दिया है.

FIR-COPY

प्रियंका गांधी के रणनीतिकार संदीप सिंह पर एबीपी गंगा संवाददाता नीतीश पांडेय की तहरीर पर सोनभद्र में धारा 323 और 506 के तहत मामला दर्ज किया गया-

सोनभद्र में मामला दर्ज

प्रियंका गांधी के रणनीतिकार संदीप सिंह पर एबीपी गंगा संवाददाता नीतीश पांडेय की तहरीर पर सोनभद्र में आईपीसी की धारा 323 (जानबूझ कर किसी चोट पहुंचाना, साधारण मारपीट और किसी को चांटा मारना) और 506 (धमकाने) के तहत मामला दर्ज किया गया. उन पर पत्रकार को धमकाने का आरोप है. फिलहाल प्रियंका गांधी और संदीप सिंह की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. हालांकि प्रियंका की मीडिया काॅर्डिनेशन टीम से जुड़े पंकज शंकर ने संदीप की ओर से माफी मांगी है.

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