नई दिल्ली: मादक पदार्थों को छिपाने के एक नए-नवले तरीके के रूप में 20,000 किलोग्राम से अधिक की मुलेठी की जड़ों (जिन्हें पहले 1,725 करोड़ रुपये की कीमत वाली तरल हेरोइन में भिगोया गया था और फिर लाने-ले जाने में सुविधा के लिए धूप में सुखाया गया था) को दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ (स्पेशल सेल) ने जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट, जिसे नवी मुंबई में नावा शेवा पोर्ट के नाम से भी जाना जाता है, से जब्त कर लिया.
दिल्ली पुलिस के एक सूत्र, जो इस अभियान का हिस्सा थे, ने दिप्रिंट को बताया कि इन नशीली दवाओं में भिगोई गई मुलेठी के अलग से रंग ने सारा भंडाफोड़ कर दिया. उन्होंने कहा कि जहां मिलावट रहित मुलेठी की लकड़ी का रंग प्राकृतिक भूरा होता है, वहीं जो मुलेठी पहले से हेरोइन से भिंगोई गई थी, वह गहरे रंग की थी और इसी वजह से इसकी पहचान हो सकी.
उन्होंने कहा कि बदमाशों की योजना इन जड़ों को एक कारखाने में ले जाने और फिर एक विपरीत रासायनिक प्रक्रिया (रिवर्स केमिकल प्रोसेस) के जरिये उसमें से हेरोइन निकालने की थी.
सूत्र के अनुसार, इस तरह की एक खेप – जहां 350 से 400 ग्राम हेरोइन को प्रति किलो मुलेठी की जड़ों में भिगोकर लाया जा रहा था – की जानकारी उन दो अफगान नागरिकों – मुस्तफा स्टानिकजई और रहीमुल्ला रहीमी – से पूछताछ के दौरान प्राप्त हुई थी, जिन्हें इस महीने की शुरुआत में गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था. उनके पास से 1,200 करोड़ रुपये की कीमत की नशीली दवाइयां – 312.5 किलोग्राम मेथामफेटामाइन और 10 किलोग्राम हेरोइन – भी जब्त की गईं थीं .
इसी सूचना के आधार पर कार्रवाई करते हुए स्पेशल सेल की एक टीम 16 सितंबर को मुंबई पोर्ट पर पहुंची और उनकी तलाश अगले दिन तक जारी रही.
एच एस धालीवाल, विशेष पुलिस आयुक्त, विशेष प्रकोष्ठ, के अनुसार यह हेरोइन की सबसे बड़ी बरामदगियों में से एक है. उन्होंने कहा, ‘इस पूरे सिंडिकेट का भंडाफोड़ करने के प्रयासों के तहत उपलब्ध तकनीकी एवं मानवीय ख़ुफ़िया जानकारी तथा जांच पड़ताल के दौरान एकत्र की गई सामग्री के आधार पर आरोपियों से निरंतर पूछताछ की गई. पूछताछ के निरंतर प्रयासों से जेएनपीटी में मुलेठी की जड़ों की इस खेप के बारे में जानकारी मिली और फिर एक टीम को मुंबई भेज दिया गया.’
धालीवाल ने यह भी बताया कि पुलिस उपायुक्त पीएस कुशवाहा की निगरानी में एसीपी ललित मोहन नेगी और हृदय भूषण के नेतृत्व वाले अधिकारियों की ही एक टीम ने साल 2019 में 300 किलोग्राम हेरोइन और साल 2021 में दो ऑपरेशन (अभियानों) में क्रमशः 58 किलोग्राम और 354 किलोग्राम हेरोइन जब्त की थी.
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‘प्रत्येक स्टिक की जांच की गई‘
धालीवाल के अनुसार जब स्पेशल सेल के अधिकारी मौके पर पहुंचे तो पता चला कि वहां के अधिकारियों द्वारा की गई प्रारंभिक जांच के तहत पहले ही इस पूरी खेप की जांच की जा चुकी थी, और जिन बैगों में यह खेप रखी गई थी वह क्षतिग्रस्त हो चुके थे.
धालीवाल ने बताया कि मुलेठी की जड़ें कंटेनर के अंदर बिखरी पड़ी थीं, और तब अधिकारियों ने एक-एक जड़ की जांच करना शुरू किया.
उन्होंने बताया, ‘अधिकारियों के इस समूह ने बड़े प्रतिबंधित पदर्थो के खेपों से जुड़े पिछले मामलों की जांच करते समय छुपा कर रखे गए ड्रग्स का पता लगाने के लिए इतनी बड़ी खेप की पूरी तरह से जांच करने की एक फितरत विकसित कर ली है टीम ने कंटेनर की बॉडी पर बने छिद्रों, यदि कोई हों तो, सहित सभी संभावित दृष्टिकोणों से इसका निरीक्षण किया. अंत में, टीम ने इस खेप, जिसका वजन लगभग 20,000 किलोग्राम था, की प्रत्येक स्टिक (लकड़ी की छड़ी) का निरीक्षण करना शुरू किया.’
निरीक्षण करने के दौरान यह देखा गया कि कुछ स्टिकस दूसरों से अलग लग रही थीं.
उन्होंने बताया, ‘यह देखा गया कि मुलेठी जड़ की कुछ स्टिक्स का रंग दूसरों की तुलना में ज्यादा गहरा था. रात भर चली थका देने वाली कवायद और लगातार कड़ी मेहनत के दौरान, टीम अंततः उन सभी स्टिक्स में हेरोइन का पता लगाने में कामयाब रही जो गहरे रंग की थीं.’
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मध्य-पूर्व से मुंबई लाई गई थी यह खेप
पुलिस सूत्रों के अनुसार, उक्त खेप, जो एक पड़ोसी देश से आई थी, को एजेंसियों द्वारा पता लगाए जाने से बचाने के लिए पहले एक मध्य-पूर्वी देश में भेजा गया था और फिर वहां से इसे जहाज द्वारा जेएनपीटी, मुंबई भेज दिया गया था.
जैसा कि पहले उल्लेखित स्रोत ने बताया, यदि इस खेप का पता नहीं चला होता, तो इसे मुंबई से मध्य प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा और अन्य राज्यों में स्थित अस्थायी कारखानों में हेरोइन प्राप्त करने के लिए निष्कर्षण (एक्सट्रैक्शन)i और प्रसंस्करण की प्रक्रिया हेतु ले जाया जाता.
सूत्र ने यह भी कहा कि जब से टीम ने नारकोटिक मॉड्यूल का पीछा करना शुरू किया है, हेरोइन को छिपाने के विभिन्न तरीके सामने आए हैं. कभी-कभी, इसे तरल हेरोइन से में भिगोई गई बैगों में छुपाया जाता है. साथ ही, इन्हें विभिन्न वैध निर्यातों, जैसे सिलिका जेल, टॉक स्टोन, जिप्सम पाउडर, तुलसी के बीज और बोरों एवं डिब्बों जैसी पैकेजिंग सामग्री में भी छिपाया जाता है.
उन्होंने कहा, ‘इसी वजह से कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए भारी मात्रा में भारत में धकेले जा रहे कॉन्ट्रैबेंड (प्रतिबंधित पदार्थों) का पता लगाना और उन्हें जब्त करना मुश्किल हो जाता है.’ साथ ही, उनका कहना था कि अंतरराष्ट्रीय ड्रग सिंडिकेट के इस मॉड्यूल पर आतंकवादी लिंक से जुड़े एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा होने का संदेह है, जिसके लिए आगे की जांच चल रही है.
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