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Sunday, 23 June, 2024
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BCCI के अगले संभावित कोषाध्यक्ष, भाजपा के शेलार कैसे पवार के आशीर्वाद से क्रिकेट की राजनीति में आगे बढ़े

बांद्रा पश्चिम के भाजपा विधायक शेलार लगभग एक दशक से क्रिकेट की राजनीति की दुनिया में हैं. उन्हें एमसीए अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान टी-20 मुंबई लीग शुरू करने का श्रेय दिया जाता है.

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मुंबई: मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए) के उपाध्यक्ष से लेकर, इसके अध्यक्ष और अब संभावित रूप से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के कोषाध्यक्ष तक- भारतीय जनता पार्टी के आशीष शेलार काफी तेजी से, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल को नियंत्रित करने की इच्छा रखने वाले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार और कांग्रेस के विलासराव देशमुख जैसे महत्वाकांक्षी महाराष्ट्र के राजनेताओं की जमात में शामिल हुए है.

मंगलवार को उन्होंने बीसीसीआई कोषाध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन दाखिल किया. उनके साथ-साथ पूर्व क्रिकेटर रोजर बिन्नी ने अध्यक्ष पद के लिए, उपाध्यक्ष पद के लिए राज्यसभा कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेटे व क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेटर जय शाह ने सचिव पद के लिए नामांकन किया. शुक्ला ने संवाददाताओं से कहा कि इन सभी के 18 अक्टूबर को होने वाले चुनाव में निर्विरोध चुने जाने की संभावना है.

बांद्रा पश्चिम से भाजपा विधायक शेलार लगभग एक दशक से क्रिकेट की राजनीति की दुनिया में हैं. राजनीति में प्रतिद्वंद्वी होने के बावजूद भी हमेशा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार का आशीर्वाद मिलता रहा है. पवार बीसीसीआई, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) और MCA के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं.

बीसीसीआई कोषाध्यक्ष पद के लिए नामांकित होने से एक दिन पहले शेलार ने 20 अक्टूबर को होने वाले एमसीए चुनाव के लिए पवार के साथ गठबंधन भी किया था. शेलार ने एमसीए अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन जमा किया था. अगर वह बीसीसीआई कोषाध्यक्ष के रूप में चुने जाते हैं तो उन्हें यह पद छोड़ना पड़ सकता है.

दिप्रिंट ने फोन और मैसेज के जरिए शेलार से संपर्क करने की कोशिश की थी, लेकिन इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने तक उनसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. टिप्पणी मिलने के बाद रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.

राजनीतिक सूत्रों ने बताया कि पवार के आशीर्वाद के अलावा, मुंबई भाजपा अध्यक्ष शेलार को अमित शाह का मजबूत समर्थन भी मिला हुआ है.

राजनीतिक विश्लेषक हेमंत देसाई ने दिप्रिंट को बताया, ‘क्रिकेट की राजनीति की दुनिया में राजनीतिक सीमाएं हमेशा पीछे छूटती रही हैं.’

उन्होंने कहा, ‘यह सत्ता के उच्च सोपानों में प्रभाव हासिल करने का एक प्रयास है. इसमें बहुत बड़ा दांव है, जिसमें प्रसारण अधिकारों के लिए चैनलों के साथ संपर्क करना, एहसान लेना और करना शामिल है. पारंपरिक राजनीतिक गठजोड़ से परे जाने के विचार के पीछे का कारण, इस शक्तिशाली दुनिया में अपनी जगह सुरक्षित करना है, अपने जैसे अन्य लोगों की मदद करना और बदले में उनका समर्थन लेना है.’


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क्रिकेट में महाराष्ट्र के राजनेता और शेलार के बढ़ते रैंक

शेलार 2013 में पहली बार क्रिकेट की राजनीति में शामिल हुए थे, जब उन्होंने उपाध्यक्ष पद के लिए एमसीए का चुनाव लड़ा था, जिसमें वह असफल रहे.

इस भाजपा नेता ने पार्टी के दिग्गज नेता गोपीनाथ मुंडे के नाम को एमसीए अध्यक्ष पद के लिए प्रस्तावित करके एक विवाद को जन्म दिया था, जबकि पैनल पहले ही एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार को शीर्ष पद के लिए अपना समर्थन घोषित कर चुका था.

मुंडे ने ऑन रिकॉर्ड कहा था कि वह एमसीए में पवार के एकाधिकार – जो 2001 से 2011तक संगठन के अध्यक्ष रहे- को तोड़ना चाहते थे. उनके बाद कांग्रेस के विलासराव देशमुख ने पदभार संभाला था.

क्रिकेट की राजनीति की तांत्रिक दुनिया में हिस्सेदारी रखने की मुंडे की कोशिश असफल रही. उनका नामांकन इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि उनका स्थायी पता मुंबई का नहीं है.

हालांकि शहर की एक दीवानी अदालत ने पवार को एमसीए अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यों का निर्वहन करने से रोककर उन्हें अंतरिम राहत पहुंचाई थी. लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस फैसले को रद्द कर दिया और वह फिर से वहीं खड़े नजर आए.

महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, जिनकी मां प्रेमिला चव्हाण भारतीय महिला क्रिकेट संघ की संस्थापक और अध्यक्ष थीं, ने भी 2013 में एमसीए अध्यक्ष पद के लिए दौड़ लगाने पर विचार किया था. लेकिन उन्होंने अपना नामांकन दाखिल नहीं किया.

2013 का एमसीए चुनाव, क्रिकेट प्रशासनिक निकाय के चुनाव की बजाय एक राजनीतिक हाथापाई ज्यादा लग रहा था. लेकिन 2015 में अगला चुनाव तो उससे भी दो कदम आगे था. एमसीए की वेबसाइट के अनुसार, एमसीए चुनाव हर दो साल बाद होने होते हैं. पिछला एमसीए चुनाव 2019 में हुआ था और इसका कार्यकाल 2022 तक है.

2015 का एमसीए चुनाव एक सीधी राजनीतिक लड़ाई थी. एक तरफ भाजपा और राकांपा थी, जिसमें पवार को अध्यक्ष पद के लिए और शेलार को ‘बाल महादलकर समूह’ में उपाध्यक्ष पद के लिए नामित किया गया था. दूसरी तरफ अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के रूप में वरिष्ठ कांग्रेस नेता डी.वाई. पाटिल के बेटे और ‘क्रिकेट फर्स्ट ग्रुप’ के सदस्य विजय पाटिल थे. जिनका समर्थन करने के लिए ठाकरे ने अपनी सारी ताकत झौंक दी थी.

ठाकरे समर्थित पैनल में शिवसेना के विधायक राहुल शेवाले और प्रताप सरनाइक (दोनों अब महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के विद्रोही समूह का हिस्सा हैं) दो उपाध्यक्ष पदों के लिए उम्मीदवार थे.

पवार और शेलार दोनों ने चुनाव जीता. अपनी जीत के बाद शेलार ने एक टेलीविजन चैनल पर कहा था, ‘मैंने हमेशा कहा है कि हम क्रिकेट में राजनीति को नहीं मिलाते हैं. दुर्भाग्य से, विरोधी पैनल को एक राजनीतिक दल का जनादेश मिला और मुझे खुशी है कि क्रिकेट जीता. वो राजनीति में लिप्त होने की वजह से हार गए.’

लोढ़ा पैनल की सिफारिशों के बाद पवार ने अपने पद से इस्तीफा दिया था, क्योंकि पैनल के मुताबिक, पदाधिकारियों की उम्र 70 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. तब 2017 में शेलार एमसीए अध्यक्ष बने थे. उन्हें एमसीए अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान 2018 में टी 20 मुंबई लीग शुरू करने का श्रेय दिया जाता है.

सीमाओं से परे की राजनीति

आगामी एमसीए चुनाव में पवार ने मूल रूप से एमसीए अध्यक्ष बनने के लिए पूर्व क्रिकेटर संदीप पाटिल का समर्थन किया था, जबकि शेलार ने उम्मीदवारों का अपना पैनल बनाया था, जिसमें भाजपा नेता अध्यक्ष पद पर एक और शॉट के लिए होड़ में थे.

दोनों के बीच बंद कमरे में हुई बैठक के बाद, दोनों ने पवार-शेलार पैनल बनाने के लिए एक साथ आने का फैसला किया और बाद में अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन दाखिल किया.

वास्तविक राजनीति में कड़वी प्रतिद्वंद्विता के बावजूद पैनल में सभी पार्टी के लोग शामिल थे. मसलन, एनसीपी के जितेंद्र आव्हाड, उद्धव ठाकरे के निजी सहायक मिलिंद नार्वेकर, और शिंदे खेमे के विधायक प्रताप सरनाइक के बेटे विहंग सरनाइक.

राकांपा विधायक अवध ने दिप्रिंट को बताया, ‘यह पहली बार नहीं हो रहा है. ऐसा पहले भी हो चुका है. एक इंसान होने के नाते शरद पवार चीजों को मिलाते नहीं हैं. वह सब कुछ अलग-अलग जगहों पर रखते हैं.’ लेकिन उन्होंने पवार के हृदय परिवर्तन और पाटिल का समर्थन करने के बजाय शेलार के साथ गठजोड़ करने के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं की.

अव्हाड ने कहा, ‘उनकी किसी भी पद पर बने रहने में कोई दिलचस्पी नहीं बची है. उन्होंने पहले ही एक कदम पीछे हटने का फैसला कर लिया है. वह चाहते हैं कि युवा आगे आएं, बैटन संभालें. उन्होंने जो दुनिया बनाई है, वह उसे गिरते हुए नहीं देख सकते है. वह जिंदा हैं और वह आपको रास्ता, बाधाएं, और आने वाली समस्याओं के बारे में बता सकते हैं.’

नाम न जाहिर करने की शर्त पर महाराष्ट्र कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि क्रिकेट की राजनीति में मकसद बहुत अलग हैं और हर पार्टी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उस ‘पाई’ में से हिस्सा लेना चाहती है.

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘प्रसारण अधिकारों के बिजनेस के अलावा एक और चीज है जो इन क्रिकेट बोर्ड से जुड़ने के बाद मिलती है. वो हैं बहुत सारी अंतरराष्ट्रीय यात्राएं, जो आमतौर पर राजनेताओं के लिए मुश्किल होती हैं. राजनेताओं की अंतर्राष्ट्रीय यात्रा पर अकसर लोग भौंहें चढ़ाते हुए नजर आते हैं.’

नेता ने कहा, ‘अंतर्राष्ट्रीय दौरे राजनीतिक और व्यावसायिक बातचीत की गुंजाइश भी देते हैं. आप चाहे सूट पहन कर जाएं या फिर ब्रीफकेस लेकर, आप पर कोई सवाल नहीं उठा सकता है, क्योंकि आप एक वैध क्रिकेट मीटिंग के लिए जा रहे हैं. यहां सभी राजनीतिक सीमाएं धुंधली हो जाती हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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