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Friday, 22 November, 2024
होमदेशअपराधकासगंज मर्डर: जिस वृद्धा को चंद सेकेंड्स में बचाया जा सकता था, उसे वीडियो बनाने के चक्कर में मरने दिया गया

कासगंज मर्डर: जिस वृद्धा को चंद सेकेंड्स में बचाया जा सकता था, उसे वीडियो बनाने के चक्कर में मरने दिया गया

एक तरफ जहां पूरा देश कोरोनावायरस संक्रमण से जूझ रहा है वहीं यूपी के कासगंज के मोनू ने प्रॉपर्टी के लिए एक महिला को मौत के घाट उतार दिया है. वह यह मान ही नहीं पाया कि जमीन पर महिला का भी हक होता है.

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कासगंज/यूपी: जब कासगंज जिले के होडलपुर गांव में 62 वर्षीय जामवती की गोली मारकर हत्या की जा रही थी तो तीन पड़ोसी छत से वीडियो बना रहे थे. कासगंज पुलिस ने हत्या करने वाले शख्स मोनू उर्फ देवकिशन वशिष्ठ पर धारा 302, 506 और 120 बी के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है. मोनू को घटनाक्रम वाले दिन ही गिरफ्तार भी कर लिया गया.

लेकिन इस हत्या का वीभत्स वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. रौंगटे खड़े कर देने वाला ये वीडियो बना रहे युवकों पर भी कासगंज पुलिस ने भारतीय दंड संहिता के सेक्शन 202 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है. दिप्रिंट को कासगंज के एसपी सुशील घुले ने बताया कि इस वीडियो को बनाने के दौरान मौजूद तीन युवकों को चिन्हित कर लिया गया है. अभी एक युवक को हिरासत में नहीं लिया गया है लेकिन बाकी दो से पूछताछ की जा रही है.

दोनों युवकों ने पुलिस को बताया कि जब मोनू महिला पर गोली चला रहा था तो वो उसे रिकॉर्ड कर रहे थे. ये रिकॉर्डिंग सबूत के तौर पर इस्तेमाल करने की बजाय व्हॉटसऐप ग्रुप्स में फैलाने के लिए बनाई जा रही थी. उसके बाद उन्होंने अपने दोस्तों के ग्रुप में वीडियो भेजना शुरू किया. तब तक मोनू जामवती को मारकर फरार हो चुका था और जामवती की लाश वहीं पड़ी थी. गांव के ही एक युवक ने वीडियो देखकर पुलिस को सूचित किया.

वायरल वीडियो में दोनों पैरों से अपाहिज मोनू, जामवती से पूछ रहा है, लगी तो नहीं? उसके बाद घबराई हुई जामवती उठकर घर के दरवाज़े के भीतर जाने की कोशिश करती हैं. लेकिन तब तक मोनू अपने कट्टे में गोलियां भर चुका होता है. पहली गोली पेट में लगी. जामवती वहीं धम्म से गिर गईं और चिल्लाने लगीं. तब भी वीडियो बनाने वाले कुछ नहीं करते. मोनू इधर-उधर देखता है और फिर से गोली चलाता है. ये गोली जामवती के सिर के पास लगी. उसके बाद वीडियो बंद हो जाता है.

जामवती की पोस्टमॉर्टम के मुताबिक उन्हें दो गन शॉट लगे हैं. पुलिस के मुताबिक कट्टे से तीन बार गोली चलाई गई है. पुलिस वीडियो बनाने वालों को लेकर काफी नाराज़ है कि लॉकडाउन के चलते पुलिस को मौके पर दस मिनट में ही बुलाया जा सकता था. अगर एक युवक वीडियो बना भी रहा था तो दूसरा युवक पत्थर से मोनू को डरा सकता था या पुलिस को फोन कर सकता था. चंद सैकेंड्स भी मिल जाते तो जामवती की जान बच सकती थी.

पुलिस के मुताबिक मोनू ने तीन बार गोली चलाई थी. दरअसल पहली गोली घटनास्थल से पहले ही चलाई गई थी जिसकी वजह से जामवती घबराकर गली के इस तरफ आ गईं और पैनिक के चलते बैठ गईं. लेकिन मोनू भी फटाफट पीछे-पीछे ही आ गया.

खानदानी मकान बना मुख्य वजह

पड़ोसी 62 वर्षीय राम अवतार शर्मा इसके पीछे की कहानी बताते हैं, ‘जामवती और उनके पति शंकर ने ये घर 2015 में मोनू की चचेरी बहन से खरीदा था. लेकिन मोनू को हमेशा लगता रहा कि ये घर तो उसके हिस्से आना चाहिए था क्योंकि उसके चाचा का कोई बेटा नहीं था. इसलिए उन्होंने अपनी जायदाद अपनी बेटियों के नाम कर दी. मोनू को लगा कि जामवती और उसके पति की कोई औलाद नहीं है तो मरने के बाद घर उसके पास ही आएगा. लेकिन कुछ महीनों पहले शंकर अचानक गायब हो गया.’

वो आगे जोड़ते हैं, ‘जामवती अपने किसी रिश्तेदार के घर जाना चाहती थी इसलिए लॉकडाउन में घर बेचने की तैयारी शुरू कर दी थी. मोनू ने उससे तीन बार पूछा था कि वो घर उसे बेच दे लेकिन आपसी लड़ाइयों के चलते जामवती ने मना कर दिया. घटना के दिन भी सुबह मोनू उससे बात करने गया था.’

जब दिप्रिंट घटना के एक दिन बाद गांव पहुंचा तो आरोपी और मृतका दोनों के ही घरों पर ताला लगा हुआ था. जामवती के घर से कुछ मीटर दूर ही मोनू की गाड़ी हुई थी जिसपर भारत का छोटा झंडा लहरा रहा था. इस गाड़ी का एक शीशा गांव वालों ने गुस्से में तोड़ दिया था लेकिन पास ही में तैनात एक पुलिसकर्मी कहते हैं, ‘ये कैसा गुस्सा है? जब महिला को बचाया जा सकता था तो ये लोग वीडियो बना रहे थे. एक दिव्यांग व्यक्ति भागकर तो मारने से रहा. पत्थर ही फेंकते या फिर शोर मचाते?’

एक और पड़ोसी बताते हैं, ‘मोनू की शादी नहीं हुई है. जामवती और उसके पति को भी कोई बच्चा नहीं हुआ. अब दोनों के ही घरों के अगले मालिक का किसी को नहीं पता.’ पुलिस ने बताया कि हत्या के बाद भी और बयान के वक्त भी मोनू को किसी बात का पछतावा नहीं था. उसे लग रहा था कि घर पर हक तो आदमी का होता है. औरत कैसे हक जता सकती है.

घरों में रामायण और गली में हो रही थी हत्या

लॉकडाउन के चलते शुक्रवार को कासगंज जिले में चारों ओर शांति थी. होडलपुर गांव के लोग भी घरों की छतों से एक दो मीडियाकर्मियों और गश्त लगाती पुलिस को देख रहे हैं. जामवती के एक अन्य पड़ोसी नंदकिशोर पहली बातचीत में तो मृतक के परिवार से कोई उठ-बैठ पर ये कहते हुए मना कर देते हैं कि वो ब्राह्मण हैं और मृतक किसी और जाति की. लेकिन बाद में कहते हैं, ‘उस वक्त मोहल्ले वाले किवाड़ बंद करके रामायण देख रहे थे. जामवती हर रोज गाय को रोटी खिलाने आती थी. उसी समय का अंदाज लगाकर मोनू गाय के पास खड़ी अपनी कार में आकर बैठ गया. यहीं से उसने निशान लगाकर पहली गोली चलाई.’

मोनू को लेकर ग्रामीण बताते हैं कि वो थोड़ा गुस्सैल और शौकीन टाइप का था. गाड़ी बहुत अच्छे से चलाता था. हालांकि जामवती और उनके रिश्तेदारों के बारे में किसी को खास अंदाजा नहीं है. पुलिस ने बताया कि हरिद्वार के किसी रिश्तेदार के हवाले से ही एफआईआर लिखी गयी है और उसी रिश्तेदार ने जामवती का अंतिम संस्कार भी किया है.

इस घटना की चश्मदीद गवाह नंदकिशोर की पत्नी उस वक्त घर में अपने पोतों के साथ थीं. वीडियो में बच्चों और उन्हीं के चिल्लाने की आवाजें आ रही हैं. वो उस दिन के खौफ को बयान करते हुए कहती हैं, ‘मैं उससे कहा था कि बेटा क्यों मार रहा है लेकिन उसके सिर पर खून सवार था. हम लोग घबरा गए थे और वो बंदूक तानकर मार रहा था. उसके बाद जब वो चला गया तो हम लोग भी घर से भागे.’

नंदकिशोर के घर के सामने अभी जामवती की चप्पलें, टूटी हुईं चूड़ियां और खून के धब्बे थे. एसपी का कहना है कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद जैसे ही कोर्ट शुरू होते हैं, हम कोर्ट से आग्रह करेंगे कि इस केस की सुनवाई जल्द से जल्द हो. ये एक घिनौना मर्डर था. इसमें सजा जल्दी होने से जनता में मैसेज जाएगा.

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