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Wednesday, 18 December, 2024
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हरियाणा के कॉलेज में 9 छात्राओं ने ‘अश्लील’ लिंक को लेकर प्रोफेसर के खिलाफ कैसे छेड़ी लड़ाई, भेजा जेल

व्हाट्सएप ग्रुप में ‘अश्लील लिंक’ शेयर करने के आरोपी कैथल के कॉलेज का प्रोफेसर न्यायिक हिरासत में है. छात्राओं को चिंता है कि घटना के कारण माता-पिता उन्हें कॉलेज से बाहर निकाल सकते हैं.

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कैथल, हरियाणा: सोमवार को हरियाणा के कैथल जिले में स्थित चीका में गवर्नमेंट कॉलेज फॉर गर्ल्स (जीसीजी) में होली उत्सव में 16 लड़कियों को शामिल नहीं किया गया क्योंकि पुलिस उन्हें उत्सव से दूर एक वाहन में ले गई, जो कॉलेज प्रशासन कार्यालय के बाहर इंतज़ार कर रहा था. चीका थाने के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) बलबीर सिंह के निर्देश पर कार्रवाई करते हुए अधिकारी लड़कियों को गुल्हा में अतिरिक्त सिविल जज के कार्यालय में ले जा रहे थे, जहां उन्हें अपने प्रोफेसर जितेंद्र कुमार के खिलाफ बयान देने के लिए बुलाया गया था.

इस साल 19 मार्च को जीसीजी में बीए मास कम्युनिकेशन की छात्राओं ने कॉलेज प्रशासन से 35-वर्षीय प्रोफेसर द्वारा कथित तौर पर व्हाट्सएप ग्रुप में एक “अश्लील लिंक” भेजे जाने की शिकायत की थी. कॉलेज ने मामले की आंतरिक जांच शुरू की, जिसके बाद आधिकारिक मामला दर्ज किया गया.

हरियाणा के कई कॉलेजों और स्कूलों में पिछले कुछ महीनों में कथित अभद्र व्यवहार और यौन उत्पीड़न के कई मामले सामने आने के साथ महिला सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनकर उभरी है.

जीसीजी मामले में एक शिकायतकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, “हम चाहते हैं कि कुमार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और उन्हें कॉलेज से निष्कासित किया जाए. हम पढ़ना चाहते हैं.”

18 मार्च, 2024 को रात लगभग 9 बजे कथित तौर पर शराब के नशे में कुमार ने “बीएएमसी द्वितीय वर्ष” नामक व्हाट्सएप ग्रुप में एक अश्लील वीडियो का लिंक साझा किया, जिसमें उनके 22 छात्र हैं. इसके बाद, छात्रों में से एक ने उन्हें सचेत किया, जिससे कुमार ने इसे डिलीट कर लिया. हालांकि, तब तक कई छात्र स्क्रीनशॉट ले चुके थे.

अगले दिन व्हाट्सएप ग्रुप में शामिल 16 लड़कियों ने कॉलेज प्रशासन को शिकायत की.

कॉलेज के प्रिंसिपल राम निवास यादव ने तुरंत कार्रवाई की. तीन सदस्यों की एक आंतरिक शिकायत समिति बनाई गई, जो 20 मार्च को बुलाई गई. उसी दिन, छात्राओं और उनके परिवारों ने कॉलेज कैंपस के बाहर विरोध प्रदर्शन किया.

समिति के विचार-विमर्श के दौरान, कुमार के खिलाफ आरोपों को सही ठहराया गया, जिससे उनके खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज करने का फैसला लिया गया. उस दोपहर, पुलिस ने इलेक्ट्रॉनिक रूप में स्पष्ट यौन सामग्री के प्रसार से संबंधित सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 ए के तहत मामला दर्ज किया, जिसके बाद उसकी गिरफ्तारी हुई.

सिंह ने बताया, “चूंकि उसके खिलाफ किसी भी प्रकार के शारीरिक उत्पीड़न की कोई शिकायत नहीं है और उसने केवल एक अश्लील लिंक साझा किया है, इसलिए यह धारा लागू की गई है. इसके तहत पांच साल तक की सजा का प्रावधान है.”

Station House Officer Balbir Singh in Cheeka Police Station | Photo: Heena Fatima, ThePrint
चीका थाने में थाना प्रभारी बलबीर सिंह | फोटो: हिना फ़ातिमा/दिप्रिंट

21 मार्च को गुल्हा कोर्ट ने कुमार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. तब से उसने अपने पैरों की चोट के लिए चिकित्सा कारणों का हवाला देते हुए ज़मानत के लिए आवेदन किया है. याचिका का विरोध सरकारी वकील ने इस आधार पर किया था कि अगर उसे रिहा किया गया तो इससे छात्राओं पर दबाव पड़ सकता है.

पिछले कुछ महीनों में हरियाणा भर के शैक्षणिक संस्थानों से इसी तरह की घटनाएं सामने आई हैं.

पिछले साल नवंबर में दिप्रिंट ने राज्य के जींद जिले में स्थित एक पब्लिक स्कूल में हुई घटनाओं पर रिपोर्ट की थी. अनुचित आचरण जैसे भद्दे ढंग से घूरना, बेवजह छूना और छात्राओं से उनकी निजी ज़िंदगी के बारे में आपत्तिजनक सवाल पूछना — ये लगभग 150 छात्राओं द्वारा स्कूल के प्रिंसिपल के खिलाफ जिला शिक्षा अधिकारी को की गई शिकायतें थीं.

पुलिस को संदेह है कि मामला पांच साल पहले शुरू हुआ था, जब करतार सिंह चहल को लड़कियों के स्कूल का प्रिंसिपल नियुक्त किया गया. सिंह की गिरफ्तारी का घटनाक्रम 31 अगस्त को हरियाणा राज्य महिला आयोग को भेजे गए एक गुमनाम ईमेल से शुरू हुआ. इसके बाद एक जांच हुई, जिसका समापन 5 नवंबर को सिंह की गिरफ्तारी से हुआ. पूछताछ के प्रारंभिक चरण के दौरान, केवल पांच लड़कियां पुलिस को गवाही देने के लिए आगे आईं.

अभी हाल ही में इस साल की शुरुआत में सिरसा जिले के चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय की छात्राओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, राज्य महिला आयोग और एक स्थानीय पत्रकार को हिंदी में दो पेज का पत्र भेजा था. पत्र में डीन सुशील कुमार पर महीनों तक छात्राओं का यौन उत्पीड़न करने और बदले में प्रैक्टिकल परीक्षाओं में अच्छे ग्रेड देने की पेशकश करने का आरोप लगाया गया.

मामले पर दिप्रिंट की एक रिपोर्ट में छात्राओं द्वारा भेजे गए पत्र का हवाला दिया गया: “उसने हमारे निजी अंगों को छुआ और हमें धमकी दी कि अगर हमने उसकी शिकायत की, तो हमारे लिए अच्छा नहीं होगा..”


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जीसीजी मामला

28 जुलाई, 2022 को जीसीजी चीका के कुछ छात्रों ने कैथल के डिप्टी कमिश्नर और स्कूल प्रशासन को संबोधित एक गुमनाम पत्र लिखा.

पत्र में लिखा है, “दो महीने पहले घटनाएं घटीं जब एक शिक्षक, जितेन्द्र, हमारे कॉलेज की एक लड़की के साथ पकड़ा गया. उसने कॉलेज की छत से छलांग लगा दी, जिससे उसकी रीढ़ की हड्डी और दोनों पैर टूट गए. इस बारे में हर कोई जानता है, लेकिन आज तक किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है.”

दिप्रिंट के पास इस पत्र की एक प्रति है.

पत्र में दो अन्य प्रोफेसरों पर भी शराब के नशे में पढ़ाने और “फेसबुक पर अश्लील तस्वीरें पोस्ट करने” का आरोप लगाया गया है.

आगे लिखा है, “अगर हमारे परिवारों को पता चला, तो हमारी पढ़ाई छुड़वा दी जाएगी. ये लोग हमारे नंबर भी घटा देंगे और हमारी इमेज भी खराब करेंगे. कृपया कुछ करें ताकि हम बेहतर माहौल में पढ़ाई कर सकें.”

SHO ने बताया कि इसी साल जनवरी में इसी तरह का एक गुमनाम पत्र लिखा गया, जिसमें कुमार के खिलाफ भी यही आरोप लगाए गए, लेकिन जब कार्रवाई की गई, तो कोई शिकायतकर्ता सामने नहीं आया.

हालांकि, इस बार छात्र खुलकर सामने आए हैं.

‘आंतरिक राजनीति’

जब दिप्रिंट ने शुक्रवार को चीका में जीसीजी का दौरा किया, तो कॉलेज के प्रोफेसर प्रिंसिपल राम निवास यादव के ऑफिस में एकत्र हुए. 2018 में कॉलेज की स्थापना में मदद करने वाले पूर्व भाजपा विधायक कुलवंत राम भी उपस्थित थे. जब राम ने मामले के बारे में पूछताछ की, तो यादव ने दावा किया कि कुमार के खिलाफ तत्काल और त्वरित कार्रवाई की गई.

हालांकि, छात्राओं को हुई परेशानी को स्वीकार करते हुए और कुमार के कार्यों पर आपत्ति जताते हुए, यादव ने प्रोफेसरों के बीच, विशेष रूप से कॉलेज में जनसंचार विभाग के भीतर, “गुटबाजी” के मुद्दे को भी संबोधित किया.

प्रिसिंपल ने कहा, “प्रोफेसरों और छात्रों के बीच समन्वय की कमी है और गुटबाजी हो रही है.”

दिप्रिंट से बात करते हुए उन्होंने कहा कि 2022 में जब गुमनाम पत्र मिला था, तब वे कॉलेज से जुड़े नहीं थे. उन्होंने कहा कि पिछले साल प्रशासन के पास शिकायतें दर्ज की गई थीं, लेकिन उन्हें आगे की कार्रवाई के बारे में जानकारी नहीं थी.

छह महीने पहले प्रिंसिपल नियुक्त किए गए यादव ने कहा कि वे कैंपस में “चीज़ों को बेहतर बनाने” की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, आंतरिक राजनीति उनके प्रयासों को कमज़ोर कर रही है. उनके मुताबिक, अगर जनसंचार विभाग को “बंद” कर दिया जाए तो हालात बेहतर हो सकते हैं.

यादव ने कुमार से जुड़े मामले के बारे में कहा, “अब यह मामला अदालत में है और प्रशासन कानून के मुताबिक आगे की कार्रवाई करेगा.”

गुटबाजी के मुद्दे पर, जहां छात्राओं को बोलने के लिए शिक्षकों द्वारा प्रभावित किया जाता है, उन्होंने कहा कि वे स्टाफ सदस्यों के साथ सख्त उपायों पर चर्चा करेंगे जिन्हें महिला सुरक्षा के लिए लागू किया जाएगा.

SHO सिंह के अनुसार, कुमार की एक अन्य प्रोफेसर के साथ “निजी दुश्मनी” थी और उन्होंने दावा किया कि उसे जान से मारने की धमकी मिली है.

प्रिंसिपल के ऑफिस में एक अन्य प्रोफेसर ने 2022 की एक घटना के बारे में बात की जब कुमार कथित तौर पर कॉलेज कैंपस में एक इमारत की छत से “गिरा” था. पिछले साल भेजे गए गुमनाम पत्र में भी इस घटना का उल्लेख किया गया था और दावा किया गया था कि प्रोफेसर एक छात्रा के साथ इमारत की छत पर था, जो उसकी “प्रेमिका” थी. कॉलेज प्रशासन द्वारा पूछे जाने पर, कुमार ने बताया कि वे “पक्षी को पकड़ने की कोशिश” के दौरान गिरा. घटना के दौरान उसके पैरों में गंभीर चोटें आई थीं.

दिप्रिंट ने कॉल के जरिए कुमार के वकील ओ.पी. गुलाटी से संपर्क किया. जवाब आने पर रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.

इस घटना के बाद से पूर्व विधायक राम को कई फोन आ चुके हैं. उन्होंने कहा, “लोग मुझसे पूछ रहे हैं कि कॉलेज तो आपने बनवा दिया, लेकिन ये सारी घटनाएं क्यों हो रही हैं? मेरे लिए जवाब देना मुश्किल हो गया है.”


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उठती आवाज़ें

छात्र बंटे हुए हैं. एक तरफ कुआं और एक तरफ खाई के बीच फंसे हैं — एक लॉबी कुमार के खिलाफ है और दूसरी लॉबी जनसंचार विभाग के प्रोफेसर रविशंकर के खिलाफ है — सभी “अच्छे अंकों” की कोशिश में जुटे हैं. इस घटना से कुछ लोगों में डर बैठ गया है कि उन्हें अपनी पढ़ाई जारी नहीं रखने दी जाएगी.

दिप्रिंट से बात करते हुए बीए की 20-वर्षीय छात्रा ने कहा, “यह देखिए. मेरे चाचा ने अभी इस न्यूज़ लिंक को व्हाट्सएप पर शेयर किया है. वे पूछ रहे हैं कि क्या मेरे कॉलेज के प्रोफेसर अश्लील लिंक साझा करते हैं.”

हालांकि, छात्रा के परिवार को फिलहाल इस मामले की जानकारी नहीं है, लेकिन इस मैसेज के बाद उन्हें डर है कि कहीं उनकी पढ़ाई बंद न हो जाए. उन्होंने पूछा,“कोई अपनी बेटी को ऐसे कॉलेज में क्यों भेजेगा?”

एक अन्य छात्रा ने कहा, “यह अच्छा है कि जितेंद्र को गिरफ्तार कर लिया गया है. मुझे उम्मीद है कि उसे उम्रकैद मिलेगी. शायद अब कैंपस में गुटबाजी कम होगी. कम से कम हम ठीक से पढ़ाई कर सकेंगे.”

आईटी एक्ट में तकनीकी खामियां पुलिस के लिए बड़ी समस्या बनकर उभरी हैं. पुलिस अधिकारियों ने साक्ष्य के लिए व्हाट्सएप ग्रुप पर पोस्ट किए गए लिंक के स्क्रीनशॉट मांगे हैं. हालांकि, छात्राओं ने केवल तस्वीरें ही क्रॉप की हैं.

उन्होंने कुमार के फोन पर फोरेंसिक जांच करने का सुझाव दिया, लेकिन, पुलिस के अनुसार, फोरेंसिक परीक्षण व्हाट्सएप पर भेजे गए लिंक के भीतर मौजूद संदेश को दोबारा हासिल नहीं कर सकते क्योंकि लिंक फोन पर सेव नहीं होता है.

सोमवार शाम करीब चार बजे भी छात्राएं कोर्ट में रंग-बिरंगे स्कार्फ के पीछे अपना चेहरा छिपाकर घर जाने के लिए बैठी थीं. 16 में से केवल 9 छात्राएं ही अपना बयान दर्ज कराने कोर्ट पहुंचीं.लंबी काउंसलिंग प्रक्रिया के कारण उन्हें वापिस आने में देरी हुई.

एक शिकायतकर्ता ने दूसरे से फुसफुसाया, “जब हमारे सभी बयान मेल खाते हैं, तो वे हमें घर क्यों नहीं जाने दे रहे हैं? वे यह काउंसलिंग क्यों कर रहे हैं?”

Gulha court premises | Photo: Heena Fatima, ThePrint
गुलहा कोर्ट परिसर | फोटो: हिना फ़ातिमा/दिप्रिंट

लेकिन पुलिस ने लड़कियों को लड़ते रहने के लिए प्रोत्साहित किया. एक अधिकारी ने उनसे कहा, “अभी कुछ ही घंटे हुए हैं, अदालत में न्याय मिलने में कई साल लग जाते हैं.” उन्होंने कहा, “आप पीछे मत हटना”.

जिन नौ लड़कियों ने अपना बयान दर्ज कराया, उन्हें इस बात से सांत्वना मिली कि उनके परिवार उनके साथ हैं. उनके मुताबिक, अगर उन्होंने अपने परिवार को जानकारी नहीं दी होती तो शायद वे खुलकर सामने नहीं आ पाते.

एक बार अदालत में काम पूरा हो जाने के बाद, वे शाम की आखिरी बस पकड़ने के लिए तेज़ी से बस स्टैंड की ओर बढ़ रही थीं. बस स्टैंड पर, वे शेयर करते हैं कि कुमार ने कभी भी उनके साथ किसी भी तरह से अनुचित व्यवहार नहीं किया है, यहां तक ​​कि कक्षा में भी. यह पहली बार है जब उन्होंने उनके ग्रुप में इस तरह का कोई मैसेज भेजा है. यह एक ऐसी कार्रवाई है जिसे वे बर्दाश्त नहीं करेंगे और वे इसके खिलाफ लड़ने के लिए दृढ़ हैं.

एक शिकायतकर्ता ने कहा, “जब लड़कियां अपनी आवाज़ उठाती हैं तो पूरा समाज उन्हें दबाने की कोशिश करता है, लेकिन हमने इसके खिलाफ लड़ने का फैसला किया है.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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