लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार देर रात जारी एक आदेश में आईएएस अधिकारी नवनीत सहगल – जो सरकार के संकटमोचक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विश्वासपात्र माने जाते थे – को अपेक्षाकृत कम महत्व वाले (लो-प्रोफाइल) खेल विभाग में स्थानांतरित कर दिया. इससे पहले सहगल सूचना एवं जनसंपर्क विभाग जैसा प्रमुख विभाग संभाल रहे थे.
सहगल का स्थानांतरण एक अन्य शीर्ष सिविल सेवक और योगी के विश्वासपात्र, 1987 बैच के आईएएस अधिकारी अवनीश अवस्थी के बुधवार को सेवानिवृत्त होने के कुछ ही घंटों बाद हुआ है.
राज्य के सबसे शक्तिशाली आईएएस अधिकारियों में से एक माने जाने वाले अवस्थी गृह, वीजा और पासपोर्ट, जेल प्रशासन, सतर्कता, ऊर्जा और धार्मिक मामलों जैसे महत्वपूर्ण विभागों के प्रभारी थे. इनमें से कई कैबिनेट विभाग इस समय खुद सीएम आदित्यनाथ के अधीन हैं.
सिविल सेवा से अवस्थी की वास्तविक विदाई होने तक यह अनुमान लगाया जा रहा था कि अवस्थी – जिन्हें कभी यूपी के सत्ता के हलकों में ‘मिनी सीएम’ कहा जाता था – को सेवा विस्तार मिल सकता है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
अब इस बात की चर्चा गर्म है कि अवस्थी एक ‘सलाहकार भूमिका’ में लौट सकते हैं, मगर यूपी सरकार के सूत्रों ने कहा कि इसके लिए यह सुनिश्चित करना होगा कि सरकार को एक ऐसे अधिकारी को अनुचित महत्व देते न देखा जाये जो अतीत में भाजपा से उनकी ‘निकटता’ के लिए विपक्ष के हमलों के निशाने पर रहे हैं.
बुधवार को अवस्थी ने खुद मीडियाकर्मियों से कहा था कि यह उनके अगले ‘दायित्व’ के बारे में बात करने का सही समय नहीं है.
इस बीच, सहगल का तबादला यूपी सरकार में सेवारत 16 आईएएस अधिकारियों की भूमिकाओं में फेरबदल के एक हिस्से के रूप में हुआ है.
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इस स्थानांतरण आदेश के द्वारा सीएम के प्रमुख सचिव संजय प्रसाद- जिन्हें योगी सरकार में एक और बहुत शक्तिशाली आईएएस अधिकारी माना जाता है – को भी अवस्थी के द्वारा संभाले जाने वाले कुछ विभागों के दायित्वों से मुक्त कर दिया जिनका पहले उन्हें प्रभार दे दिया गया था. इसके अतिरिक्त, उन्हें उस सूचना और जनसंपर्क विभाग का प्रभार दिया गया है, जिसे अब तक सहगल संभालते थे.
प्रसाद गृह, वीजा एवं पासपोर्ट और सतर्कता जैसे विभागों का प्रभार भी संभालेंगे. उन्हें धार्मिक मामलों के विभागों, जेल प्रशासन, ऊर्जा और उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीईआईडीए) और यूपी राज्य राजमार्ग प्राधिकरण (यूपीएसएचए) के सीईओ के अतिरिक्त प्रभार से मुक्त कर दिया गया है.
धार्मिक मामलों के विभाग – जिसके ऊपर योगी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के दौरान काफी जोर दिया गया है- का प्रभार आईएएस अधिकारी मुकेश कुमार मेशराम को सौंपा गया है, जबकि ऊर्जा विभाग की जिम्मेदारी मुकेश कुमार गुप्ता को सौंपी गई है, जो पहले राज्यपाल के मुख्य सचिव के रूप में कार्यरत थे.
आईएएस अधिकारी कल्पना अवस्थी को राज्यपाल का नया मुख्य सचिव नियुक्त किया गया है.
पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव के पद पर कार्यरत रहे मेशराम इस पद पर बने रहेंगे और साथ ही उन्हें धार्मिक मामलों के विभाग की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है.
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में कथित अनियमितताओं के लिए जांच का सामना कर रहे विवादास्पद आईएएस अधिकारी अमित मोहन प्रसाद को उस विभाग के प्रभार से मुक्त कर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) विभाग में भेज दिया गया है. बुधवार तक यह विभाग भी सहगल ही संभाल रहे थे.
कई मुख्यमंत्रियों के भरोसेमंद रहे थे सहगल
यूपी के सबसे प्रभावशाली आईएएस अधिकारियों में से एक के रूप में देखे जाने वाले नवनीत सहगल, जिन्हें मायावती और अखिलेश जैसे पूर्व मुख्यमंत्रियों के साथ-साथ वर्तमान सीएम आदित्यनाथ का विश्वास भी प्राप्त हुआ था, को सूचना और जनसंपर्क, एमएसएमई और निर्यात प्रोत्साहन, हथकरघा और कपड़ा तथा खादी और ग्रामोद्योग जैसे प्रमुख विभागों के प्रभार से मुक्त किया जाना और खेल विभाग में स्थानांतरित किया जाना सरकारी हलकों में कई लोगों के लिए आश्चर्य की बात आई है.
सरकार के सूत्रों ने कहा कि 1988 बैच के इस अधिकारी को हाथरस बलात्कार मामले में व्यापक आलोचना का सामना कर रही यूपी सरकार के बचाव के बाद से उसके ‘संकट मोचक’ के रूप में देखा गया था और उन्हें अपने कुशल मीडिया प्रबंधन के लिए जाना जाता है.
एक ओर जहां उन्होंने मायावती सरकार में 2007 और 2012 के बीच उसके पूरे पांच साल के कार्यकाल के दौरान सचिव (सूचना) के रूप में कार्य किया, वहीं 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद सहगल को इस संकट के प्रबंधन हेतु अखिलेश सरकार द्वारा फिर से प्रमुख सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था और उनके पास अखिलेश यादव की महत्वाकांक्षी लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे परियोजना का प्रभार भी था.
योगी आदित्यनाथ ने शुरू में उन्हें उनके पद से हटा दिया था, मगर हाथरस मामले के बाद उन्होंने उनकी मदद ली और तभी से सहगल को उनके करीबी के रूप में देखा जा रहा था.
यूपी सरकार में काम करने वाले एक आईएएस अधिकारी ने उनका नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘यह फेरबदल एक संदेश भेजता है, लेकिन एक अनुभवी आईएएस अधिकारी, जो इतने सालों से मीडिया प्रबंधन का दायित्व संभाल रहा था, का तबादला किया जाना बहुत ही आश्चर्यजनक है. उनके उत्तराधिकारी के लिए यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि यथास्थिति में बदलाव आ गया है.’
बुधवार को अपनी भूमिकाओं में फेरबदल देखने वाले अन्य अधिकारियों में आईएएस अधिकारी अरविंद कुमार भी शामिल हैं, जो बुनियादी ढांचा और औद्योगिक विकास, इलेक्ट्रॉनिक्स और एनआरआई विभागों के प्रमुख सचिव के रूप में कार्यरत थे, और अब उन्हें सीईओ यूपीडा (यूपीईआईडीए) और यूपीएसएचए के रूप में अतिरिक्त प्रभार दिया गया है.
बागवानी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग के प्रमुख सचिव के रूप में कार्यरत राजेश कुमार सिंह- I (आधिकारिक वार्तालाप में उनका इसी नाम से उल्लेख किया जाता क्योंकि उनके जैसे नाम के अन्य अधिकारी भी प्रशासन में हैं) को इसके प्रभार से मुक्त कर जेल प्रशासन का प्रभार दे दिया गया है.
उप मुख्यमंत्री के निशाने पर रहे IAS अधिकारी की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से हुई छुट्टी
यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने अप्रैल-मई एक पत्र लिखते हुए चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव अमित मोहन प्रसाद को बताया था कि उनके विभाग में स्थानांतरण नीति का पालन नहीं किया जा रहा है और प्रसाद इसके बाद से ही जांच का सामना कर रहे हैं. बुधवार के हुए फेरबदल में उन्हें इस विभाग के प्रभार से मुक्त कर दिया गया है. इस वायरल हो गए पत्र ने डिप्टी सीएम और उनके विभाग के प्रभारी अतिरिक्त मुख्य सचिव के बीच एक बड़ी दरार की ओर संकेत दिया था.
पाठक द्वारा प्रसाद को लिखे गए पत्र वायरल होने के तुरंत बाद, महेश चंद्र श्रीवास्तव, जो खुद को स्वास्थ्य देखभाल, अग्नि सुरक्षा उपकरण एवं अग्नि शमन सेवाओं से संबंधित आर क्यूब ग्रुप ऑफ कंपनीज के कानूनी सलाहकार के रूप में पेश करते हैं, ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित करते हुए कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के लोक शिकायत पोर्टल पर एक नौ पेज की शिकायत लिखी थी.
दिप्रिंट द्वारा देखी गई इस शिकायत में, श्रीवास्तव – जिनकी पत्नी और बेटी वर्तमान में आर क्यूब हेल्थकेयर इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, लखनऊ और आर क्यूब फायर प्रोटेक्शन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक के रूप में कार्यरत हैं – ने आरोप लगाया था कि इन कंपनियों के प्रति अमित मोहन प्रसाद के वैमनस्य की वजह से सरकार ने अभी तक उन्हें आवंटित परियोजनाओं के एवज में धनराशि जारी नहीं की थी.
27 जून की तारीख वाली श्रीवास्तव की इस शिकायत का संज्ञान लेते हुए पीएमओ ने यूपी के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा को इस बारे में ‘उचित कार्रवाई के लिए’ लिखा था.
यूपी के लोकायुक्त ने भाजपा कार्यकर्ता और समाजसेवी राजेश खन्ना की एक अन्य शिकायत पर भी प्रसाद से जवाब मांगा था, जिसमें उन्होंने साल 2020 में यूपी मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन द्वारा की गई खरीद में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. उन्होंने प्रसाद पर निविदा प्रक्रिया में उन तीन कंपनियों का पक्ष लेने का आरोप भी लगाया था, जिन्हें कथित तौर पर यूपी के मुख्य मेडिकल स्टोर डिपो द्वारा निविदा जारी किए बिना ‘रीगेंट्स (अभिकर्मकों)’ की आपूर्ति के लिए अनुबंध मिला था. दिप्रिंट के साथ बात करते हुए, खन्ना ने इस फेरबदल को उनकी शिकायत की पुष्टि और ‘चिकित्सा विभाग में चल रहे सिंडिकेट’ पर हमला बताया.
प्रसाद के पास अब बुधवार तक सहगल के पास रहे एमएसएमई और निर्यात संवर्धन, हथकरघा और कपड़ा तथा खादी और ग्रामोद्योग जैसे विभागों का प्रभार है.
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