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मंगलवार, 3 जून, 2025
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गंभीर बीमारी से पीड़ित महिला के गर्भपात से जुड़े मामले में अस्पताल मेडिकल बोर्ड का गठन करे: अदालत

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नयी दिल्ली, तीन जून (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने सफदरजंग अस्पताल को निर्देश दिया है कि वह यह पता लगाने के लिए एक मेडिकल बोर्ड गठित करे कि किडनी के गंभीर रोग से पीड़ित महिला अपने 29 सप्ताह के भ्रूण को समाप्त करा सकती है या नहीं।

न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने कहा कि यदि मेडिकल बोर्ड की राय है कि गर्भपात उचित है, तो अस्पताल 39 वर्षीय महिला पर प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगा।

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘यह निर्देश दिया जाता है कि याचिकाकर्ता की जांच के लिए सफदरजंग अस्पताल में एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाए ताकि यह आकलन किया जा सके कि क्या वर्तमान मामला ‘मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट’ (एमटीपी), 1971 के तहत चिकित्सकीय रूप से गर्भपात के लिए योग्य है।’’

अदालत ने 29 मई के अपने आदेश में इसे ‘मेडिकल इमरजेंसी’ का मामला बताया, जिसमें महिला की जान को खतरा था, हालांकि भ्रूण में कोई असामान्यता नहीं पाई गई थी।

महिला ने अपने भ्रूण को समाप्त कराने की अनुमति लेने के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था जो तब 27 सप्ताह से गर्भवती थी। चिकित्सकों ने कहा था कि अगर गर्भावस्था जारी रही तो उसके जीवन को गंभीर खतरा हो सकता है।

भाषा संतोष रंजन

रंजन

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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