कोलकाता: पिछले दो हफ्ते से, कोलकाता में कोविड-19 मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है, जिससे शहर के इंनफ्रास्ट्रक्चर पर दबाव बढ़ गया है.
पिछले 14 दिनों में, पश्चिम बंगाल की राजधानी में 2,600 नए मामले, और 100 से अधिक मौतें दर्ज हुई हैं. शहर अपनी मृत्यु दर को क़ाबू करने में जूझ रहा है, इसके अस्पतालों में बेड्स ख़त्म हो रहे हैं, और आरोप लगाए जा रहे हैं, कि प्रशासन कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग करने में लड़खड़ा रहा है.
पश्चिम बंगाल अपने यहां मृत्यु दर को शुरूआत की 12 प्रतिशत से घटाकर 3.56 प्रतिशत ले आया है, लेकिन कोलकाता की दर अभी भी 6 प्रतिशत के आसपास चल रही है. 4 जुलाई तक शहर में 418 मौतें हो चुकी हैं.
रविवार के हेल्थ बुलेटिन के अनुसार, शहर में कुल पक्के मामलों की संख्या 7,108 है, जिसमें से 2,888 अभी भी एक्टिव हैं, जबकि 4,402 लोगों को डिस्चार्ज किया जा चुका है.
संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं, जिसका सबूत ये है कि 3 जुलाई तक कुल 1,840 क्षेत्र कंटेनमेंट ज़ोन बन चुके थे. लेकिन 4 जुलाई को सरकार ने शब्दावली में बदलाव किया, और ‘आईसोलेशन यूनिट्स’ की धारणा पेश की.
कोलकाता नगर निगम (केएमसी) के अनुसार, आईसोलेशन यूनिट्स रिहाइशी इलाक़े या यूनिट्स हैं, जहां बिना-लक्षण वाले मरीज़ों ने ख़ुद को क्वारंटीन किया हुआ है.
बदलाव के बाद से कोलकाता में अब 18 कंटेनमेंट ज़ोन हैं, और 1,872 ‘आईसोलेशन यूनिट्स’ हैं.
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अस्पतालों में घटती जगह
कोलकाता में चिंताजनक बात ये है कि शहर में बेड्स तेज़ी से ख़त्म हो रहे हैं.
इलाज के लिए कोलकाता में सरकारी की ओर से, 7 नामित कोविड अस्पताल हैं, जिनमें तीन निजी हैं. कुल 32 और निजी अस्पताल और नर्सिंग होम्स हैं, जो कोलकाता डिस्ट्रिक्ट, सॉल्ट लेक, और न्यू-टाउन एरिया में फैले हुए हैं, और जिनमें कोविड के लिए बेड्स हैं. हालांकि सॉल्ट लेक और न्यू-टाउन प्रशासनिक रूप से, नॉर्थ 24 परगना ज़िले में आते हैं, लेकिन उन्हें विस्तारित कोलकाता शहर का हिस्सा माना जाता है.
सात नामित अस्पतालों में कुल 2,052 बेड्स हैं, जिनमें से स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, 5 जुलाई तक सिर्फ 705 बेड्स ख़ाली थीं. इन सात अस्पतालों में कुल 1,347 मरीज़ कोविड का इलाज करा रहे हैं
इनमें से लगभग 380 बेड्स एमआर बंगर अस्पताल में हैं, जो कोविड को समर्पित राज्य का पहला अस्पताल है. इस अस्पताल पर आरोप थे कि कोविड पॉज़िटिव शवों को, कई दिन तक वॉर्ड्स के अंदर रखा गया, और यहां भीड़ भी बहुत थी.
32 निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में स्थिति और भी ख़राब है, जिनमें कुल मिलाकर 1,138 बेड्स हैं. 5 जुलाई को राज्य की वेबसाइट पर हुए अपडेट के मुताबिक़, इन संस्थानों में कुल मिलाकर, 1,031 मरीज़ इलाज करा रहे हैं, और सिर्फ 107 बेड्स ख़ाली हैं.
बिना लक्षण वाले कोविड पॉज़िटिव मरीज़ों के लिए, बेड्स और आईसोलेशन यूनिट्स की संख्या के आंकड़े एक और सवाल उठाते हैं. अस्पतालों में एक्टिव मामलों की कुल संख्या 2,378 (1,347+1,031) और आईसोलेशन यूनिट्स के मरीज़ों की संख्या 1,872, कुल एक्टिव मामलों के सरकारी आंकड़े- 2,888 से मेल नहीं खाती.
इस बारे में पूछे जाने पर, स्वास्थ्य विभाग के सीनियर अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा कि कोलकाता के अस्पतालों में पास के हावड़ा और नॉर्थ 24 परगना ज़िलों के मरीज़ भी भर्ती हैं.
स्वास्थ्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने इस मामले पर बेलने से मना कर दिया, और इसे स्वास्थ्य विभाग को भेज दिया.
स्वास्थ्य सचिव एनएस निगम ने दिप्रिंट को बताया, ‘सरकार और अधिक बेड्स उपलब्ध कराने के प्रयास कर रही है. सरकार हर रोज़ सुविधाओं और कोविड बेड्स में इज़ाफा कर रही है. हम और जगह भी तैयार कर रहे हैं.’
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कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग
संक्रमण बढ़ने के साथ ये भी आरोप हैं, कि शहर कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग को लेकर लड़खड़ाने लगा है. दिप्रिंट ने कम से कम चार कोविड-19 पॉज़िटिव मरीज़ों से बात की, जिन्होंने कहा कि कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग के लिए, स्वास्थ्य विभाग या निगम के किसी अधिकारी ने उनसे कभी कोई संपर्क नहीं किया. उनमें से तीन साउथ कोलकाता के निवासी हैं, जबकि एक नॉर्थ कोलकाता में रहता है.
स्वास्थ्य विभाग के एक सीनियर अधिकारी ने माना, कि कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग का काम अब मुश्किल होता जा रहा है, क्योंकि हेल्थ इनफ्रास्ट्रक्चर पर बहुत दबाव पड़ रहा है.
लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने दिप्रिंट से कहा कि उसने कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग में शिथिलता नहीं दिखाई है. स्वास्थ्य के इंचार्ज कोलकाता के डिप्टी मेयर, अतिन घोष ने दिप्रिंट से कहा, ‘हम अपनी टीमें उन घरों और जगहों पर भेज रहे हैं, जहां से हमें कोविड पॉज़िटिव मरीज़ों की ख़बरें मिल रही हैं. हमने कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग के लिए एक अलग सेल बना रखा है’.
कोविड-19 ट्रीटमेंट प्रोटोकोल पर ममता बनर्जी की एक्सपर्ट कमीटी के सदस्य, डॉ अभिजीत चौधरी ने कहा, ‘स्थिति को बेहतर करने के लिए, हम हर रोज़ अस्पतालों की निगऱानी कर रहे हैं, और निर्देश जारी कर रहे हैं. डिस्चार्ज रेट काफी बेहतर हो गया है. लेकिन जब हम अनलॉक करते हैं, तो संक्रमण का ख़तरा पहले से बढ़ जाता है. अब हमें कमज़ोर और बुज़ुर्ग लोगों को सुरक्षित करना चाहिए.’
कोलकाता में फिलहाल डिस्चार्ज दर 62 प्रतिशत के क़रीब है.
हेल्थ बुलेटिन के अनुसार, राज्य अब हर दस लाख पर 5,890 टेस्ट कर रहा है, और इसकी सकारात्मकता दर 4.01 प्रतिशत है. 4 जुलाई तक पश्चिम बंगाल में 22,126 मामले हैं, जिनमें 6,658 एक्टिव हैं. पूरे राज्य में अब तक 757 जानें जा चुकी हैं.
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