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Saturday, 16 November, 2024
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अमेरिकी निवेशकों को भारत की तरफ खींचने की मोदी की तैयारी, नए आर्थिक गठजोड़ की उम्मीदें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी यात्रा के दौरान लॉकहीड मार्टिन, गूगल, वीसा और एक्सनमोबिल जैसी बड़ी कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों के साथ करेंगे बैठक.

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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बहुप्रतीक्षित अमेरिका की यात्रा से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापारिक बातचीत की दिशा तय होने वाली है. मोदी अपनी इस यात्रा के दौरान अमेरिकी निवेशकों से भी बात करेंगे.

सात दिनों की अमेरिकी यात्रा के दौरान मोदी अमेरिका के शीर्ष अमेरिकी व्यापारियों से बात करेंगे.

अपनी यात्रा के पहले चरण में प्रधानमंत्री ऊर्जा से संबंधित विषय पर एक कार्यक्रम में शामिल होंगे. अमेरिका में ऊर्जा के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी एक्सॉनमोबिल, बीपी पीएलसी. स्कल्मबर्जर, टोटल एसए, और बेकर हुजेस इस कार्यक्रम में शामिल होंगी.

दिप्रिंट को सूत्रों ने बताया कि मोदी ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की प्रतिबद्धता को लेकर वहां अपनी बात रखेंगे. मोदी 21 सितंबर को ह्यूस्टन में ऊर्जा क्षेत्र की कंपनियों के सीईओ से मुलाकात करेंगे.

विदेश सचिव विजय गोखले के अनुसार भारत और यूएस के संबंधों में ऊर्जा प्रमुख चीज है. उन्होंने कहा था कि भारत अमेरिका से तेल और गैस आयात करने की दिशा में काम कर रहा है. अभी भारत अमेरिका से 4 बिलियन डॉलर का तेल और गैस आयात करता है.

भारत ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहता है इसलिए वो इस क्षेत्र में साझेदारी बढ़ाने के लिए काम कर रहा है.

22 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी ह्ययूस्टन में होने वाले हाउडी मोदी कार्यक्रम को संबोधित करेंगे. इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी शामिल होंगे. अनुमान है कि इस कार्यक्रम में 50 हज़ार लोग शामिल होंगे. कहा जा रहा है कि अमेरिका में यह सबसे बड़ा कार्यक्रम में होने वाला है.

इससे पहले मोदी ने न्यू यार्क के मेडिसन स्क्वायर में 2014 में और केलिफोर्निया में 2015 में कार्यक्रम को संबोधित किया था.

इन कार्यक्रमों को भारतीय अप्रवासी लोगों ने आयोजित किया था.


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मोदी की न्यूयार्क यात्रा

प्रधानमंत्री 22 सितंबर को न्यूयार्क पहुंचेंगे. वह ब्लूमबर्ग ग्लोबल बिजनेस फोरम में 25 सितंबर को संबोधित करेंगे. इसके बाद भारत सरकार द्वारा कराए जा रहे इन्वेस्ट इंडिया कार्यक्रम में शिरकतगे.

40 से ज्यादा सदस्य इस राउंडटेबल कार्यक्रम में शामिल होंगे. इस मीटिंग में कोका कोला, पेपसिको, वीसा, अमेरिकन टॉवर कोर्पोरेशन, गूगल, अमेजन,वालमार्ट,क्वालकम सहित कई कंपनियां शामिल करेंगे.

सूत्रों के अनुसार इस बैठक में मोदी अमेरिकन कंपनियों से भारत में निवेश करने के लिए कहेंगे.

विदेश सचिव गोखले ने कहा था, इस बैठक का मकसद यह है कि भारत को पता चले कि यह कंपनियां हमारे देश में निवेश के लिए क्या विचार कर रही हैं.

व्यापारिक बैठकों के अलावा प्रधानमंत्री व्यपार से जुड़ी तल्खियों को सुलझाने के लिए बात करेंगे.

सूत्रों के अनुसार मोदी और ट्रंप की मुलाकात में व्यापार से जुड़े पैकेज की घोषणा भी हो सकती है. यह मुलाकात ट्रंप के समय के अनुसार 23 या 24 सितंबर को हो सकती है.

जैसे कि भारत अमेरिकी सामानों के लिए अपने बाजार में काफी जगह दे रहा है ऐसे में ट्रंप जीएसपी प्रोग्राम के तहत भारत को व्यापार में कुछ छूट दे सकते हैं जिससे भारत को काफी फायदा हो सकता है.

भारत-अमेरिकी स्ट्रैटिजिक पार्टनरशिप फोरम के सीईओ मुकेश अघी के अनुसार जब यूएस और चीन के बीच व्यापार को लेकर इतनी तल्खी हो ऐसे में अगर भारत और अमेरिका के बीच कुछ बात हो जाती है तो यह काफी बड़ी जीत होगी. मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान ट्रंप से उनकी दोबार मुलाकात होगी.

मुकेश ने कहा, जीएसपी को लेकर ट्रंप कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं. क्योंकि जब से अमेरिका ने यह हटाया है तब से उसे काफी नुकसान हुआ है.

ट्रंप प्रशासन ने मई में जीएसपी को हटाने का फैसला किया था जिसके बाद भारत ने अमेरिका के 28 उत्पादों पर शुल्क बढ़ा दिया था.

अघी ने कहा कि दूरगामी रिश्तों को देखते हुए अमेरिका 232 उत्पादों से टैरिफ हटा सकता है. इससे दोनों देशों के व्यपारिक रिश्ते मजबूत होंगे.


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मार्च 2018 में अमेरिका ने स्टील और अल्युमीनियम पर 25 फीसदी और 10 फीसदी टैरिफ बढ़ा दिया था. यह टैरिफ कई देशों पर लगाया गया था जिसमें भारत भी शामिल था. अमेरिका ने कहा था कि यूएस ट्रेड एक्सपेंशन एक्ट 1962 के सेक्शन 232 के तहत यह किया गया है.

रोसो के अनुसार, थोड़े समय के लिए यह व्यापार के तनाव को कम करने वाला ‘मामूली’ व्यापार पैकेज बनने जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत एक ऐसा पैकेज पेश करेगा, जो अमेरिका को खुश कर सकता है, ट्रम्प के लिए भी जीएसपी को बहाल करने, 232 शुल्कों पर छूट, कुछ वीजा प्रतिबंधों को रोकना और अपेक्षित व्यापारिक कार्रवाइयों को रोकने के संदर्भ में कुछ रियायतों की पेशकश करना भी मुश्किल होगा.

रोसो ने कहा, ‘मुझे संदेह है कि भारत एकतरफा समझौते के लिए टेबल पर आना चाहेगा, लिहाजा अमेरिका को भी रियायतें देनी होंगी. मेरा मानना ​​है कि भारत की तुलना में यूएस के लिए अधिक कठिन समय होगा, राजनीतिक रूप से, इस तरह का कदम उठाना, लेकिन एकतरफा सौदे को आगे बढ़ाने का प्रयास भारत करता है तो दीर्घकालिक तौर पर सभी रियायतें काफी नुकसान पहुंचाने वाली हो सकती हैं.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(यह ख़बर इससे पहले 20 सितंबर 2019 को प्रकाशित की जा चुकी है)

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