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गुरूवार, 19 जून, 2025
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उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मानसून सत्र में चीन पर चर्चा के लिए सहमत होंगे : कांग्रेस

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नयी दिल्ली, 19 जून (भाषा) कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह पिछले पांच वर्षों से संसद में चीन पर विस्तृत चर्चा की मांग कर रही है और उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आगामी मानसून सत्र में इस चर्चा के लिए आखिरकार सहमत होंगे।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि चीन के कारण पैदा होने वाली राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक चुनौतियों पर राष्ट्रीय सहमति की दिशा में सामूहिक रूप से काम करना जरूरी है।

रमेश ने गलवान घाटी की घटना के बाद प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिए एक वक्तव्य का उल्लेख करते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘आज प्रधानमंत्री मोदी की चीन को दी गई क्लीन चिट की पांचवीं वर्षगांठ है। उन्होंने 15 जून, 2020 को गलवान में देश के लिए हमारे 20 बहादुर सैनिकों के अपने प्राणों की आहुति देने के मात्र चार दिन बाद कहा था, ‘न कोई हमारी सीमा में घुस आया है, न ही कोई घुसा हुआ है’। यह खेदजनक प्रकरण 21 अक्टूबर, 2024 को एक समझौते के साथ समाप्त हुआ।’

उनका कहना है कि दूरसंचार, दवा और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र चीनी आयात पर गंभीर रूप से निर्भर हैं। चीन के साथ व्यापार घाटा 2024-25 में रिकॉर्ड 99.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।

रमेश के अनुसार, इस बीच, चीन को निर्यात आज 2013-14 की तुलना में कम है, जबकि रुपया बहुत कमज़ोर है, जिससे सिद्धांत रूप में निर्यात अधिक प्रतिस्पर्धी हो जाना चाहिए था।

उन्होंने दावा किया कि चीनी आर्थिक शक्ति के आगे यह आत्मसमर्पण विदेश मंत्री एस जयशंकर के इसी तरह के बयान का परिणाम है, जब उन्होंने कहा था कि ‘देखिए, वे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। मैं क्या करने जा रहा हूँ? एक छोटी अर्थव्यवस्था के रूप में, क्या मैं बड़ी अर्थव्यवस्था से लड़ाई करने जा रहा हूँ?’

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि अब यह स्पष्ट हो रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के सैन्य अभियानों में चीन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

रमेश का कहना है, ‘हमारी उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं को घेरने वाली एक ही मोर्चे की चुनौती आज एक वास्तविकता प्रतीत होती है।’

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी पिछले पांच वर्षों से चीन पर विस्तृत चर्चा की मांग कर रही है। अब तक तो ऐसा नहीं हुआ। लेकिन हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री संसद के आगामी सत्र में इस चर्चा के लिए आखिरकार सहमत होंगे। ‘

रमेश ने इस बात पर जोर दिया कि चीन के दुनिया की प्रमुख विनिर्माण शक्ति और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने से उत्पन्न इन महत्वपूर्ण सुरक्षा और आर्थिक चुनौतियों पर राष्ट्रीय सहमति की दिशा में सामूहिक रूप से काम करना महत्वपूर्ण है।

भाषा हक खारी मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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