नई दिल्ली: देशभर में किसान संगठनों द्वारा बुलाए गए बंद का मिलाजुला असर देखने को मिल रहा है. वहीं किसानों के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि वह आज शाम 7 बजे गृहमंत्री अमित शाह से अपने अन्य किसान संगठनों के नेताओं के साथ मुलाकात करेंगे.
टिकैत ने बताया कि गृहमंत्री ने किसान नेताओं को मिलने के लिए बुलाया है. बता दें कि गृहमंत्री खुद किसान नेताओं से पहली बार मुलाकात करेंगे.
आज करीब 13 सदस्यीय किसानों का दल गृहमंत्री से मुलाकात के लिए जाएगा. मीडिया से बातचीत के दौरान राकेश टिकैत ने भारत बंद का सपोर्ट कर रहे और इसमें सहयोगी रहे सभी लोगों का शुक्रिया किया है.
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता और नेता ने यह भी कहा कि वह सिंघु बॉर्डर अभी जा रहे हैं उसके बाद हम गृहमंत्री से मुलाकात के लिए जाएंगे.
बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि कानून को लेकर किसान लगातार विरोध कर रहे हैं. पंजाब और हरियाणा से नए कानून को लेकर शुरू हुआ विरोध को आज लगभग सभी विपक्षी पार्टियों का समर्थन मिल गया है वहीं पंजाब के गायक, अभिनेता और खिलाड़ी भी खुलकर किसानों के साथ खड़े हुए हैं.
अभी तक किसानों और केंद्र सरकार के बीच पांच दौर की बातचीत हो चुकी है जिसमें एक में भी गृहमंत्री शाह और प्रधानमंत्री मोदी शामिल नहीं हुए थे. हालांकि पीएम मोदी अपने विभिन्न मंचों से किसानों को नए कृषि कानून के प्रति विश्वास जगाने की कोशिश कर चुके हैं कि यह किसानोंकी आय को दुगुना करने वला कानून है.
वहीं दूसरी तरफ किसान आंदोलन और किसान कानून को लेकर राहुल गांधी, शरद पवार और सीताराम येचुरी विपक्षी दलों का एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल कल शाम 5 बजे राष्ट्रपति कोविंद से मिलेगा. COVID19 प्रोटोकॉल के कारण, केवल 5 लोगों को उनसे मिलने की अनुमति दी गई है.
केंद्र सरकार के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों ने आठ दिसम्बर को ‘भारत बंद’ का शुक्रवार को ऐलान किया था. सरकार के साथ पांचवें दौर की बातचीत से पहले किसानों ने अपना रुख और सख्त कर लिया था.
सूत्रों ने अनुसार सरकार ने गतिरोध खत्म करने के लिए उन प्रावधानों का संभावित हल तैयार कर लिया है जिन पर किसानों को ऐतराज है.
किसानों ने भावी कदम तय करने के लिए दिन के समय बैठक की. बैठक के बाद किसान नेताओं में एक गुरनाम सिंह चडोनी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यदि केंद्र सरकार शनिवार की वार्ता के दौरान उनकी मांगों को स्वीकार नहीं करती है, तो वे नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपने आंदोलन को तेज करेंगे.
किसान नेता अपनी इस मांग पर अड़ गये हैं कि इन नये कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए केन्द्र संसद का विशेष सत्र बुलाये. उनका कहना है कि वे नये कानूनों में संशोधन नहीं चाहते हैं बल्कि वे चाहते हैं कि इन कानूनों को निरस्त किया जाये.
बता दें कि अभी तक हुई बैठकों और बातचीत में सरकारी पक्ष का नेतृत्व केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और उनके साथ खाद्य मंत्री पीयूष गोयल एवं वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री सोमप्रकाश रहे थे लेकिन आज की मुलाकात गृहमंत्री अमित शाह के साथ होने जा रही है.
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40 नेताओं के साथ हुई बैठक रही थी बेनतीजा
बृहस्पतिवार को तोमर ने विभिन्न किसान संगठनों के 40 किसान नेताओं के समूह को आश्वासन दिया था कि सरकार किसान संगठनों की चिंताओं को दूर करने के प्रयास के तहत मंडियों को मजबूत बनाने, प्रस्तावित निजी बाजारों के साथ समान परिवेश सृजित करने और विवाद समाधान के लिये किसानों को ऊंची अदालतों में जाने की आजादी दिये जाने जैसे मुद्दों पर विचार करने को तैयार है.
उन्होंने यह भी कहा था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद व्यवस्था जारी रहेगी.
लेकिन दूसरे पक्ष ने कानूनों में कई खामियों और विसंगतियों को गिनाते हुये कहा कि इन कानूनों को सितंबर में जल्दबाजी में पारित किया गया.
पांचवे दौर की बातचीत के पहले भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि किसान उम्मीद कर रहे थे कि सरकार पांचवें दौर की वार्ता में उनकी मांगें मान लेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ था लेकिन आज हमें उम्मीद है कि उनकी मांगे मानी जाएंगी और शाह के साथ वार्ता सफल रहेगी.
टिकैत ने कहा था, ‘ सरकार तीनों कानूनों में संशोधन करना चाहती है लेकिन हम चाहते हैं कि ये कानून पूरी तरह वापस लिये जाएं.’
इस बीच केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि नए कृषि कानूनों को हड़बड़ी में नहीं लाया गया, इन्हें हितधारकों के साथ व्यापक चर्चा और काफी विचार विमर्श के बाद लाया गया तथा इनसे किसानों को फायदा होगा.
दिल्ली के बॉर्डर बिंदुओं पर पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के किसानों का प्रदर्शन लगातार दो हफ्तों से जारी है. राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर यातायात बहुत सुस्त रहा है. पुलिस ने दिल्ली को हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश से जोड़ने वाली अहम मार्गों को बंद रखा.
किसान समुदाय को आशंका है कि केन्द्र सरकार के कृषि संबंधी कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था समाप्त हो जायेगी और किसानों को बड़े औद्योगिक घरानों की ‘अनुकंपा’ पर छोड़ दिया जायेगा.
सरकार लगातार कह रही है कि नए कानून किसानों को बेहतर अवसर प्रदान करेंगे और इनसे कृषि में नई तकनीकों की शुरूआत होगी.
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