नई दिल्ली : केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को कांग्रेस पर करारा हमला बोला और आरोप लगाया कि एक परिवार के हित दलीय व राष्ट्रीय हितों पर हावी हो गए हैं. उन्होंने साथ ही सवाल किया कि ‘आपातकाल की मानसिकता’ क्यों आज भी कांग्रेस में विद्यमान है.
कांग्रेस ने गृहमंत्री अमित शाह के हमले पर पलटवार करते हुए कहा कि अपने दिग्गज नेताओं को जबरन सन्यास दिलवाने और अपमानित करने वाले लोग विपक्षी पार्टी पर सवाल कर रहे हैं, तथा भाजपा में आंतरिक लोकतंत्र के बारे में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और यशवंत सिन्हा जैसे नेताओं से पूछा जाना चाहिए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा कि आज से ठीक 45 वर्ष पहले देश पर आपातकाल थोपा गया था. उस समय भारत के लोकतंत्र की रक्षा के लिए जिन लोगों ने संघर्ष किया, यातनाएं झेलीं, उन सबको मेरा शत-शत नमन! उनका त्याग और बलिदान देश कभी नहीं भूल पाएगा.
आज से ठीक 45 वर्ष पहले देश पर आपातकाल थोपा गया था। उस समय भारत के लोकतंत्र की रक्षा के लिए जिन लोगों ने संघर्ष किया, यातनाएं झेलीं, उन सबको मेरा शत-शत नमन! उनका त्याग और बलिदान देश कभी नहीं भूल पाएगा। pic.twitter.com/jlQVJQVrsX
— Narendra Modi (@narendramodi) June 25, 2020
आपातकाल के 45 साल पूरे होने पर बृहस्पतिवार को शाह ने एक के बाद एक सिलसिलेवार ट्वीट किए और दावा किया कि कांग्रेस के नेता अब अपनी ही पार्टी में घुटन महसूस कर रहे हैं. उनके मुताबिक जनता से विपक्षी पार्टी की दूरी बढ़ती जा रही है.
On this day, 45 years ago one family’s greed for power led to the imposition of the Emergency. Overnight the nation was turned into a prison. The press, courts, free speech…all were trampled over. Atrocities were committed on the poor and downtrodden.
— Amit Shah (@AmitShah) June 25, 2020
शाह ने कहा, ’45 साल पहले आज ही के दिन एक परिवार की सत्ता की लालसा ने देश पर आपातकाल थोपा. रातों-रात देश को कैदखाने में तब्दील कर दिया गया. प्रेस, अदालतें और यहां तक कि बोलने की आजादी भी कुचल दी गई. गरीबों और दबे-कुचलों पर अत्याचार किये गये.’
As one of India’s opposition parties, Congress needs to ask itself:
Why does the Emergency mindset remain?
Why are leaders who don’t belong to 1 dynasty unable to speak up?
Why are leaders getting frustrated in Congress?
Else, their disconnect with people will keep widening.
— Amit Shah (@AmitShah) June 25, 2020
देश में 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 के बीच 21 महीने की अवधि तक आपातकाल लागू रहा. इंदिरा गांधी उस समय देश की प्रधानमंत्री थीं.
Due to efforts of lakhs of people, the Emergency was lifted. Democracy was restored in India but it remained absent in the Congress. The interests of one family prevailed over party interests and national interests. This sorry state of affairs thrives in today’s Congress too!
— Amit Shah (@AmitShah) June 25, 2020
पूर्व भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि लाखों लोगों के प्रयासों की बदौलत आपातकाल हटा और लोकतंत्र बहाल किया गया. ‘लेकिन यह लोकतंत्र आज भी कांग्रेस पार्टी से नदारद है.’
उन्होंने कहा, ‘एक परिवार का हित दलीय और राष्ट्रीय हितों पर हावी हो गया. आज की कांग्रेस का भी यही सूरते-हाल है.’
पिछले दिनों हुई कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक का जिक्र करते हुए शाह ने दावा किया कि उसमें पार्टी के कुछ वरिष्ठ और युवा नेता कुछ मुद्दे उठाना चाहते थे लेकिन उन्हें चुप करा दिया गया.
उन्होंने यह भी कहा कि हाल ही में कांग्रेस के एक प्रवक्ता को पद से हटा दिया गया, सच्चाई ये है कि पार्टी के नेता अब कांग्रेस में घुटन महसूस कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘भारत की एक प्रमुख विपक्षी पार्टी होने के नाते कांग्रेस को खुद से यह पूछने की जरूरत है कि आखिर आज भी उसकी मानसिकता आपातकाल वाली क्यों है. क्यों एक परिवार से बाहर के सदस्य अपनी बात नहीं रख सकते. कांग्रेस के नेता क्यों आज अपनी ही पार्टी में घुटन महसूस कर रहे हैं. यही हाल रहा तो जनता से कांग्रेस की दूरी बढ़ती ही चली जाएगी.’
इस मौके पर शाह ने अपने ट्वीट में दो खबरों के लिंक भी साझा किए. पहली खबर कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक से संबंधित थी जिसमें राहुल गांधी ने कहा था कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नहीं डरने वाले हैं और वे उनपर हमले जारी रखेंगे.
इस खबर के मुताबिक राहुल ने इस बैठक में अपने ही नेताओं पर आरोप लगाया कि वे प्रधानमंत्री पर सीधा हमला करने से बच रहे हैं. खबर में कहा गया है कि कार्यसमिति के स्थायी आमंत्रित सदस्य आरपीएन सिंह ने सुझाव दिया था कि चीन के साथ सीमा पर जारी गतिरोध के मुद्दे पर प्रधानमंत्री पर सीधा हमला न बोला जाए.
दूसरी खबर कांग्रेस के प्रवक्ता संजय झा से संबंधित है जिन्हें हाल ही में पद से हटा दिया गया था. एक लेख में उन्होंने कांग्रेस की आलोचना की थी.
भाजपा में आंतरिक लोकतंत्र के बारे में आडवाणी, जोशी और सिन्हा से पूछा जाए : कांग्रेस
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कांग्रेस पर हमले वाले शाह के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए कहा, ‘ये बातें वो लोग कर रहे हैं जिन्होंने अपनी पार्टी के उन दिग्गजों के पद हथिया लिए और उन्हें जबरन सन्यास दिलवा दिया और अपमानित किया जिन्होंने इनको (राजनीति में) बनाया.’
And so spoke those, who occupied present positions by forcibly retiring & humiliating every patriarch & colleague who built them
And the list is long….
Sh. L.K.Advani,
Sh. M.M.Joshi,
Sh. Keshubhai Patel,
Sh. Kalraj Mishra,
Smt. Sushma Swaraj,
Sh. Haren Pandya,
Sh. Sanjay Joshi pic.twitter.com/1mNipA5GAf— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) June 25, 2020
उन्होंने आडवाणी, जोशी, केशुभाई पटेल, संजय जोशी और कई वरिष्ठ भाजपा नेताओं के नामों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह सूची लंबी है.
शाह के बयान के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने संवाददाताओं से कहा, ‘भाजपा में आतंरिक लोकतंत्र के बारे में आडवाणी, जोशी, अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा से पूछना चाहिए. इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं कह सकता.’