पवित्र गाय! गांधीधाम में बड़ी तादाद में मर रहे हैं मवेशी, प्रशासन पर बढ़ रहा है भार
आधिकारिक रिपोर्टों में कहा गया है कि राजस्थान और गुजरात में त्वचा रोग से 3,000 से अधिक मवेशियों की मौत हो गई है, स्थानीय लोगों का कहना है कि यह संख्या अधिक हो सकती है
गांधीधाम (गुजरात): एक आवारा कुत्ता जमीन में धंसी आधी खाई हुई गाय के शव को खींच कर बाहर निकालने की कोशिश करता है.
कैप्रीपॉक्स वायरस, एक एलएसडी वायरल बीमारी है जो गाय और भैंस दोनों को प्रभावित करता है. आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, इससे राजस्थान के नौ जिलों और गुजरात के कम से कम 14 जिलों में 3 हजार से ज्यादा मवेशियों के बीमार होने का दावा किया है.
जानवरों के इलाज के लिए काम कर रहे स्थानीय लोगों का कहना है कि यह संख्या अधिक हो सकती है.
दिप्रिंट ने सिर्फ एक शाम में गांधीधाम के एक कैंप में 18 मवेशियों की मौत देखी.
यहां की सड़कें संक्रमित और अनुपचारित मवेशियों से भरी पड़ी है जिससे बीमारी फैलने का खतरा बढ़ रहा है.
स्थानीय गौ रक्षकों ने सामूहिक कब्र बनाई है जहां वह रोजाना बीमारी से मरने वाले मवेशियों को फेंकते हैं.
गैर सरकारी संगठनों, गौराक्षकों, धार्मिक संगठनों, विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सेवा साधना के वॉलिंटियर्स मवेशियों के लिए दवाएं और भोजन इकट्ठा करने का काम कर रहे हैं.
स्थानीय सूत्रों का आरोप है कि ज्यादातर बीमारी आवारा मवेशियों में फैली है जिन्हें दूध देना बंद करने के बाद सड़कों पर छोड़ दिया गया है.
राज्य में गोहत्या पर रोक लगाने के बाद पिछले कुछ सालों में ऐसे आवारा जानवरों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है.
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