नई दिल्ली: भारत में इज़राइल के राजदूत नोर गिलॉन ने शनिवार को एडॉल्फ हिटलर को एक ‘महान व्यक्ति’ बताने वाले और होलोकास्ट का समर्थन करने वाले ट्वीट्स के साथ प्राप्त यहूदी-विरोधी संदेशों को एक स्क्रीनशॉट के माध्यम से ट्विटर पर पोस्ट किया.
अपने ट्वीट में, गिलोन ने उस व्यक्ति की पहचान को छिपाते हुए लिखा है, ‘भले ही वह मेरी सुरक्षा के लायक नहीं है, मगर मैंने उसकी पहचान से जुड़ी जानकारी को हटाने का फैसला किया है.’
I’m touched by your support. The mentioned DM is in no way reflective of the friendship we enjoy in 🇮🇳, including on social media. Just wanted this to be a reminder that anti-Semitism sentiments exist, we need to oppose it jointly and maintain a civilized level of discussion🙏. https://t.co/y06JJNbKDN
— Naor Gilon (@NaorGilon) December 3, 2022
अपने फॉलो-अप ट्वीट में, नोर गिलॉन ने कहा कि इस संदेश को पोस्ट करने के बाद उन्हें मिले समर्थन ने उनके दिल को छू लिया है.
यह सारा वाकया इज़राइली फिल्म निर्माता नादव लापिड द्वारा ‘द कश्मीर फाइल्स’ पर की गई विवादित टिप्पणियों के बाद आया है. पिछले महीने लैपिड ने गोवा में आयोजित भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में जूरी (न्यायमंडल) के अध्यक्ष के रूप में इस फिल्म को ‘अश्लील’ कहा था और इसे एक ‘प्रोपोगेंडा फिल्म’ करार दिया था.
इसके अगले ही दिन, गिलोन ने ट्विटर पर एक पोस्ट किये ‘खुले पत्र’ में पूरे भारत से माफ़ी मांगी थी.
गिलोन ने लिखा कि लैपिड ने जजों के पैनल की अध्यक्षता करने के लिए प्राप्त भारतीय निमंत्रण का ‘सबसे खराब तरीके’ से ‘दुरुपयोग’ किया था.
उन्होंने लिखा था, ‘भारतीय संस्कृति में, वे कहते हैं कि कोई भी अतिथि भगवान के समान होता है. आपने @IFFIGoa में जजों के पैनल की अध्यक्षता करने के लिए मिले भारतीय निमंत्रण के साथ-साथ उस भरोसे, सम्मान और हार्दिक आतिथ्य का सबसे खराब तरीके से दुरुपयोग किया है, जो उन्होंने आपको प्रदान किया था.’
लैपिड ‘द वायर’ नामक न्यूज़ पोर्टल के लिए पत्रकार करण थापर के साथ एक साक्षात्कार में भी उपस्थित हुए थे, जिसके दौरान उन्होंने कहा था :- ‘मैं एक इज़रायली राजनयिक की इस तरह की प्रतिक्रिया से शर्मिंदा महसूस करता हूं. मैं खुद से पूछता हूं कि यह व्यक्ति जो पहले से ही एक अनुभवी राजदूत है, वास्तव में डेमोक्रेसी (लोकतंत्र) और फ्रीडम ऑफ स्पीच (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) की कक्षाओं में कर क्या रहा था……. मैं एक निजी व्यक्ति हूं, मैं इस राजदूत या इज़राइल राज्य की संपत्ति नहीं हूं, ठीक उसी तरह जैसे एक भारतीय व्यक्ति भारत की संपत्ति नहीं है.’
लैपिड ने कहा था, ‘अगर मैं कुछ देखता हूं, मुझे कुछ महसूस होता है, (तो क्या) मुझे राज्य के हितों के विपरीत नहीं बोलना चाहिए. यह पूरी तरह से एक फासीवादी विचार है.’
समाचार पत्र द हिंदू की एक खबर के मुताबिक, इस साल इज़राइल और भारत इन दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों की स्थापना की 30वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. इन संबंधों को साल 1992 में औपचारिक रूप दिया गया था. इस खबर में यह भी कहा गया है कि यह पहली बार है जब इस यहूदी राष्ट्र के किसी राजदूत को हेट स्पीच (विद्वेषपूर्ण भाषण) का निशाना बनाया गया है.
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