नई दिल्ली: तीन अक्टूबर को लखनऊ निवासी रमेश यादव को अपने दूसरे बच्चे निखिल की एक चिंतित कॉल आई, जिसमें उसने अपनी मां रेनू और खुद पर कथित हमला होने की जानकारी दी. यादव, जो दूधवाला हैं, तुरंत घर पहुंचे, लेकिन घर में सामान बिखरा हुआ मिला और खबर मिली कि उनकी पत्नी को पास के अस्पताल भेजा गया है.
थोड़ी देर बाद, यादव को बताया गया कि उनकी पत्नी रेनू यादव को मृत घोषित कर दिया गया है.
घर के अंदर जहां घटना हुई—ऐसा लग रहा था कि यह चोरी के बीच की हत्या का क्लासिक मामला है, लेकिन कुछ तो गड़बड़ थी.
परिवार को शक तब हुआ जब उन्होंने सीसीटीवी फुटेज देखा, जो घर से सिर्फ दो मकान दूर था. यह फुटेज हत्या के बाद का था.
रमेश यादव के बड़े बेटे प्रीत यादव ने सीसीटीवी फुटेज में जो देखा उसके बारे में दिप्रिंट को बताया, “निखिल घर से बाहर आ रहा था सुथरा-संवर कर और फिर बाइक पर घर से चला गया. उसकी घर से इतने आराम से जाने की आदत ने मुझे हैरान किया और शक बढ़ाया.”
जांच में, उत्तर प्रदेश पुलिस ने पूरी साजिश का खुलासा किया और 6 अक्टूबर को निखिल यादव को गिरफ्तार किया गया. पुलिस के अनुसार, निखिल ने अपनी मां रेनू यादव की हत्या की, क्योंकि उसे शक था कि मां ने उसे घर से जेवर चोरी करते हुए देखा था.
पुलिस के सामने अपने कबूलेनामे में, निखिल ने कथित रूप से बताया कि उसने पहले स्क्रू ड्राइवर से अपनी मां के गले पर हमला किया और फिर एलपीजी सिलेंडर से मारा.
लखनऊ साउथ के डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (डीसीपी) निपुन अग्रवाल ने प्रेस को बताया कि निखिल को सट्टा प्लेटफॉर्म्स की लत थी जिसमें Tirangagames.com शामिल है और पिछले साल इन प्लेटफॉर्म्स पर उसने कुल 50 लाख रुपये के लेन-देन किए. डीसीपी अग्रवाल ने यह भी कहा कि निखिल ने कबूला कि उसने सट्टेबाजी ऐप्स से पैसे उधार लिए और साइबर अपराधियों से धमकी और ब्लैकमेल झेला.
यह हत्या का मामला ऐसे समय में सामने आया है, जब केंद्र लगभग तैयार है कि वह सट्टेबाजी ऐप्स पर प्रतिबंध का कानून जारी करे और देशभर में कानून प्रवर्तन एजेंसियां सट्टा और मनी गेम्स को बढ़ावा देने वाले प्लेटफॉर्म्स पर कार्रवाई कर रही हैं.
डीसीपी अग्रवाल ने मंगलवार को कहा, “जांच और सबूतों के आधार पर हमने यह निष्कर्ष निकाला है कि निखिल ने खुद अपनी मां की हत्या की और पिता को कॉल करने का नाटक कर पुलिस और परिवार को गुमराह करने की कोशिश की.”
उन्होंने आगे कहा, “वह घर से अपनी मां के जेवर चोरी कर रहा था और पहले शक के चलते स्क्रू ड्राइवर से उस पर हमला किया. बाद में उसने घर में सिलेंडर से मां पर हमला किया, जिससे उनकी मौत हो गई.”
‘शक के चलते मारा, कोई पछतावा नहीं’
प्रीत ने दिप्रिंट से बात करते हुए याद किया, छोटे भाई निखिल और उनकी मां रेनू, घटना से कुछ घंटे पहले अपनी दादी के घर से लौटे थे.
उन्होंने बताया कि घर लौटने पर सबसे छोटे भाई, नितिन यादव ने निखिल से उसके कर्ज़ के बारे में सवाल किया. प्रीत ने कहा कि नितिन ने निखिल से कर्ज़ की मात्रा के बारे में पूछा, जिसके लिए उनके पिता को पहले ही धमकी भरे कॉल्स आ रहे थे.
लखनऊ के पेशेवर क्रिकेटर प्रीत ने कहा, “निखिल ने इसे हल्के में लिया और सवालों को नज़रअंदाज़ किया, उसके बाद नितिन क्रिकेट खेलने घर से निकल गया.”
प्रीत के अनुसार, परिवार को निखिल की ऑनलाइन सट्टेबाजी की लत और बढ़ते कर्ज़ का अंदाज़ा नहीं था, जो अंततः पूरे परिवार को निगल गया, और उनकी मां की हत्या तक पहुंचा.
उन्होंने दिप्रिंट से फोन पर बात करते हुए याद किया, “अगर हमें पुलिस या उसके दोस्तों से जो हम अब सुन रहे हैं, उसका थोड़ी भी जानकारी होती, तो स्थिति पहले ही नियंत्रित हो जाती. ऑनलाइन गेम खेलना कोई अपराध नहीं है और आजकल लगभग हर कोई गेम खेलता है. इसलिए हमें कभी यह नहीं लगा कि हमारे साथ ऐसा कुछ हो सकता है.”
निखिल लखनऊ स्थित केकेवी डिग्री कॉलेज में बैचलर ऑफ आर्ट्स कर रहा था.
डीसीपी अग्रवाल ने बताया कि निखिल नियमित रूप से सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करता था और अपने कर्ज़ चुकाने के लिए मां के जेवर गिरवी रखता था. हालांकि, पहले के मामलों में निखिल किसी तरह से जेवर वापस भी ले लेता था.
पुलिस पूछताछ के दौरान, निखिल ने बताया कि हत्या के दिन उनकी मां अक्सर उस कमरे में आ रही थीं, जहां वह चोरी कर रहा था और जेवर को हटाने की कोशिश कर रही थीं. इससे पहले, वह उसी कमरे में सोई हुई थीं, ताकि रात में चोरी न हो सके.
डीसीपी अग्रवाल ने आगे कहा, “जेवर चोरी की उसकी कोशिश के बारे में मां के सतर्क होने का शक होने पर उसने हमला किया और उन्हें मार डाला.”
घटना के एक दिन बाद, इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच की गई, यह देखने के लिए कि कोई अज्ञात व्यक्ति घर में घुसा तो नहीं. प्रीत ने बताया कि तभी निखिल को घर से बाहर आते देखा गया, पूरी तरह तैयार और अपने पिता की बाइक पर.
उन्होंने कहा, “कोई भी जिसकी मां इस तरह भयानक तरीके से मरती, वह निखिल की तरह फुटेज में इतनी शांति से बाहर नहीं निकलता. न तो उसके चिल्लाने या घबराने के कोई संकेत थे, जिससे लगता कि उसे सच में कोई चिंता थी, बल्कि उसके चेहरे पर बिल्कुल भी पछतावा नहीं दिख रहा था और यह परिवार के लिए चौंकाने वाला खुलासा था.”
इसके बाद, निखिल लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन गया, ट्रेन में बैठकर शहर छोड़ दिया और बाद में पुलिस ने उसे फतेहपुर जिले से गिरफ्तार किया.
डीसीपी ने कहा. “गोल्डन चैन और इयररिंग जैसे जेवर उसके पास से बरामद हुए, साथ ही हत्या में इस्तेमाल किया गया स्क्रू ड्राइवर भी मिला.”
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