जयपुर: वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के बाद हिंदू संगठनों ने अब अजमेर शरीफ पर दावा ठोका है कि पूर्व वहां मंदिर था. हिंदूवादी संगठन महाराणा प्रताप सेना ने अजमेर स्थित हजरत मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह, पूर्व में मंदिर होने का दावा करते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) से सर्वे कराने की मांग की है.
वहीं कर्नाटक विधायक ने देशभर में 36000 मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाये जाने का दावा किया है और इन्हें फिर से हासिल किए जाने की बात कही है.
महाराणा प्रताप सेना के राजवर्धन सिंह परमार ने दावा किया कि दरगाह की दीवारों व खिड़कियों में हिन्दू धर्म से संबंधित चिह्न है. परमार ने कहा कि उनकी मांग है कि एएसआई द्वारा दरगाह का सर्वे करवाया जाये.
वहीं, दरगाह की खादिमों की कमेटी ने दावे को खारिज करते हुए कहा कि वहां इस तरह का कोई चिह्न नहीं है.
परमार ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि ‘ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह पूर्व में एक प्राचीन मंदिर था. उसकी दीवारों और खिड़कियों पर स्वास्तिक के चिह्न है. हमारी मांग है कि दरगाह की एएसआई से सर्वे करवाया जाये.’
खादिम कमेटी अंजुमन सैयद जादगान के अध्यक्ष मोईन चिश्ती ने कहा कि दावा निराधार है क्योंकि दरगाह में इस तरह के चिह्न नहीं हैं. उन्होंने कहा कि दोनों समाज हिन्दू और मुस्लिम के करोड़ों लोग दरगाह में आते हैं.
उन्होंने कहा कि ‘मैं पूरी जिम्मेदारी से कह रहा हूं कि दरगाह में कहीं भी स्वास्तिक चिह्न नहीं है. दरगाह 850 वर्षों से है. इस तरह का कोई प्रश्न आज तक उठा ही नहीं हैं. आज देश में एक विशेष तरह का माहौल है जो पहले कभी नहीं था.’
उन्होंने कहा कि ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर सवाल उठाने का मतलब उन करोड़ो लोगो की भावनाओं को ठेस पहुंचाना है, जो अपने-अपने धर्म को मानने वाले हैं और यहां आते हैं.
चिश्ती ने कहा कि ऐसे सभी तत्वों को जवाब देना सरकार का काम है.
कमेटी के सचिव वाहिद हुसैन चिश्ती ने कहा कि यह सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाडने की कोशिश है.
देशभर में 36,000 मंदिर तोड़े जाने का दावा
वहीं कर्नाटक के बीजेपी विधायक ने केएस ईश्वरप्पा ने कहा कि देशभर में 36,000 मंदिर नष्ट कर इन पर मस्जिद बनाई गईं. उन्हें कहीं भी और मस्जिदें बनाने दें और नमाज अदा करने दें, लेकिन हम उन्हें अपने मंदिरों पर मस्जिद बनाने की अनुमति नहीं दे सकते. सभी 36000 मंदिरों को हिंदुओं द्वारा कानूनी रूप से फिर से हासिल किया जाएगा.