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Sunday, 24 November, 2024
होमदेश10 हाईवे, 3,000 किलोमीटर सड़कें—महाराष्ट्र में अगले 5 सालों में लगभग हर जिले को जोड़ने की महा-योजना

10 हाईवे, 3,000 किलोमीटर सड़कें—महाराष्ट्र में अगले 5 सालों में लगभग हर जिले को जोड़ने की महा-योजना

महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम ने 3 लाख करोड़ रुपये के कुल निवेश का अनुमान लगाया है. इन परियोजनाओं में नागपुर-गोवा हाईवे या शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे सबसे लंबा होगा.

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मुंबई: महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार राज्य के कुल 36 जिलों में से अधिकांश को जोड़ने के लक्ष्य के साथ करीब 3,000 किलोमीटर राजमार्ग निर्माण की महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रही है.

आंशिक रूप से खुल चुके 701 किलोमीटर लंबे नागपुर-मुंबई एक्सप्रेसवे—जिसे भारत का सबसे लंबा और ‘समृद्धि महामार्ग’ कहा जाता है, के अलावा करीब 10 अन्य छोटी और लंबी राजमार्ग परियोजनाएं विभिन्न चरणों में पाइपलाइन में हैं.

महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (एमएसआरडीसी)—जो विभाग शिंदे ने खुद अपने पास रखा है—अगले पांच सालों में सड़क नेटवर्क पूरा कर लेने की उम्मीद कर रहा है.

एमएसआरडीसी के प्रबंध निदेशक राधेश्याम मोपलवार को उम्मीद है कि अगले पांच वर्षों में पूरे हाईवे नेटवर्क का काम पूरा हो जाएगा और इसमें कुल 3 लाख करोड़ रुपये के निवेश का अनुमान है.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘हमारा उद्देश्य महाराष्ट्र के लगभग हर जिले को सड़क नेटवर्क से जोड़ना है. अगले पांच सालों में एक अलग महाराष्ट्र होगा. नेटवर्क पूरा होने के बाद अपार संभावनाएं बढ़ेंगी. नए उद्योग, विभिन्न हब, स्मार्ट सिटी आदि के रास्ते खुलेंगे. यह खुद-ब-खुद जीवंत हो जाएगा.’

मोपलवार मुख्यमंत्री कार्यालय में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं संबंधी वार रूम के महानिदेशक भी हैं.


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शक्तिपीठ एक्सप्रेस-वे

एमएसआरडीसी के इन सभी प्रोजेक्ट में नागपुर-गोवा राजमार्ग परियोजना सबसे लंबी और सबसे महत्वाकांक्षी है, जिसे वह ‘शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे’ के तौर पर लोकप्रिय बनाने की योजना बना रही है.

करीब 760 किलोमीटर लंबा शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे नागपुर-मुंबई एक्सप्रेसवे से भी लंबा होगा, जिसे भारत के सबसे लंबे एक्सप्रेसवे में से एक माना जाता है.

एमएसआरडीसी ने परियोजना पर व्यावहार्यता अध्ययन और एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के लिए सलाहकार चुनने के लिए अक्टूबर में बिड आमंत्रित की थी. एमएसआरडीसी से मिली जानकारी के मुताबिक, निगम अधिकारियों को दिसंबर अंत तक एक सलाहकार मिल जाने की उम्मीद है.

शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे विदर्भ, मराठवाड़ा और कोंकण के कुछ हिस्सों को एक-दूसरे से जोड़ते हुए 11 जिलों से होकर गुजरेगा. यह जिन जिलों को जोड़ेगा उनमें वर्धा, यवतमाल, हिंगोली, नांदेड़, परभणी, लातूर, बीड, उस्मानाबाद, सोलापुर, कोल्हापुर और सिंधुदुर्ग शामिल हैं, जो महाराष्ट्र-गोवा सीमा पर है.

यह महाराष्ट्र के कई धार्मिक और आध्यात्मिक केंद्रों जैसे सेवाग्राम, करंजा लाड, माहुर, औंधा नागनाथ, नांदेड़ के तखत सचकंड गुरुद्वारा, परली-वैजनाथ, अंबाजोगई, तुलजापुर, पंढरपुर, और कुंकेश्वर को भी जोड़ेगा.

एक्सप्रेसवे तकनीकी तौर पर वर्धा जिले के पवनर में शुरू होगा और महाराष्ट्र-गोवा राज्य सीमा पर पतरादेवी पर पहुंचकर समाप्त होगा.

एमएसआरडीसी के एक अधिकारी ने कहा, ‘नागपुर-मुंबई एक्सप्रेसवे नागपुर से वर्धा में पवनर तक कनेक्टिविटी सुविधा देगा, जिसके बाद कोंकण की यात्रा करने करने के इच्छुक लोग शक्तिपीठ राजमार्ग ले सकते हैं.’

नागपुर-मुंबई एक्सप्रेसवे से नागपुर, वर्धा, बुलढाणा, जालना, औरंगाबाद, नासिक, अहमदनगर और ठाणे जैसे जिलों में सड़क संपर्क स्थापित होगा.

शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे का ज्यादातर हिस्सा विदर्भ, मराठवाड़ा और पश्चिमी महाराष्ट्र के उन हिस्सों को कवर करेगा जो नागपुर-मुंबई राजमार्ग से जुड़े नहीं होंगे.

Graphic: Soham Sen | ThePrint

राजमार्ग नेटवर्क

नागपुर-गोवा एक्सप्रेसवे के अलावा, एमएसआरडीसी विदर्भ क्षेत्र में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए नागपुर-मुंबई एक्सप्रेसवे, नागपुर-गोंदिया, गोंदिया-गढ़चिरौली और गढ़चिरौली-नागपुर राजमार्गों को जोड़ने वाली जालना-नांदेड़ और जालना-नासिक जैसी परियोजनाओं पर काम कर रहा है.

एमएसआरडीसी अधिकारियों ने कहा कि जालना-नांदेड़ और जालना-नासिक राजमार्ग में जहां निर्माण शुरू करने के करीब हैं, अन्य परियोजनाओं को लेकर निगम का लक्ष्य अक्टूबर 2023 तक सभी प्री-टेंडर गतिविधियां पूरी करने का है. एमएसआरडीसी को इसी तरह उसी समय के आसपास महत्वाकांक्षी मुंबई-गोवा कोंकण एक्सप्रेसवे परियोजना के लिए भी प्री-टेंडर गतिविधियां पूरी हो जाने की उम्मीद है.

उन्होंने कहा कि कोंकण एक्सप्रेसवे मुंबई को सिंधुदुर्ग से जोड़ेगा और पतरादेवी में नागपुर-गोवा राजमार्ग से मिलेगा.

निगम मुंबई के सैटेलाइट शहर विरार और अलीबाग के बीच एक मल्टी-मॉडल कॉरिडोर और पुणे के चारों ओर एक रिंग रोड पर भी काम कर रहा है, जिसके लिए डीपीआर तैयार है. यह मौजूदा मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे की क्षमता बढ़ाने की प्रक्रिया में है और पुणे-नासिक औद्योगिक गलियारे के व्यावहार्यता अध्ययन के लिए बोलियां भी मंगा चुका है.

मोपलवार ने कहा, ‘हमारे पास इन परियोजनाओं में से प्रत्येक के लिए सर्वोत्तम वित्तीय कार्यान्वयन मॉडल सुझाने के लिए जल्द ही ट्रांजैक्शन एडवाइजर्स होंगे.’

उन्होंने कहा कि केंद्र भी कुछ अन्य राजमार्ग परियोजनाओं पर काम कर रहा है जो महाराष्ट्र के जिलों में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देंगे, जिनमें सूरत-चेन्नई एक्सप्रेसवे, औरंगाबाद-पुणे और पुणे-बैंगलोर राजमार्ग शामिल हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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