मुंबई, 22 फरवरी (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पदाधिकारी अरुण कुमार ने शनिवार को कहा कि हिंदी को धीरे-धीरे एक साझा राष्ट्रीय भाषा के रूप में आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन द्वारा हिंदी को ‘‘थोपने’’ के आरोप को लेकर पैदा हुए विवाद के बीच ‘‘स्वार्थी’’ उद्देश्यों के लिए हिंदी की आलोचना किए जाने को खारिज कर दिया।
कुमार ने यह भी दावा किया कि भारत में सभी भाषाएं राष्ट्रीय भाषाएं हैं और कोई क्षेत्रीय भाषा नहीं है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु से लाखों लोग हिंदी में सर्टिफिकेट कोर्स करते हैं और उन लोगों को लेकर चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है जो अपने ‘‘स्वार्थ’’ के लिए हिंदी भाषा का विरोध करते हैं।
एबीपी नेटवर्क के ‘आइडियाज ऑफ इंडिया समिट 2025’ को संबोधित करते हुए, आरएसएस के संयुक्त महासचिव ने कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ जो हुआ, और ‘‘व्यापक सोच वाले’’ भारत में अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार के बीच समानताएं तलाशना गलत है।
आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी की टिप्पणी तमिलनाडु के मुख्यमंत्री द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विरोध करने की पृष्ठभूमि में आई है, जिसे उन्होंने हिंदी थोपने का प्रयास बताया है।
कुमार ने कहा, ‘‘हमारे पास प्रशासनिक व्यवस्था है और हमें एक साझा राष्ट्रीय भाषा की जरूरत है। एक समय में यह संस्कृत थी, लेकिन आज यह संभव नहीं है। तो अब क्या हो सकता है, आज यह हिंदी है।’’
भाषा
शफीक माधव
माधव
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.