नई दिल्ली: एक प्रमुख हिंदी डिजिटल समाचार पोर्टल ने एक आत्महत्या के मामले से संबंधित समाचार के लिए आईएएस अधिकारी अवनीश शरण की तस्वीर का इस्तेमाल किया और इसे 18 घंटे तक नहीं हटाया. शरण छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले के कलेक्टर हैं.
पत्रिका न्यूज़ छत्तीसगढ़ ने सोमवार को अपने वेब पोर्टल पर भिलाई स्टील प्लांट मैनेजर की आत्महत्या के बारे में समाचार प्रकाशित किया और फीचर इमेज के रूप में आईएएस अधिकारी की तस्वीर का उपयोग किया. शरण ने सोमवार को ट्वीट कर कहा कि उनका खबर से दूर से भी संबंध नहीं.
Level of “Journalism”. The news is not remotely related to me, but it shows my photo. Even after 18 hours it is there in their news portal.
Very sad.?? pic.twitter.com/GGcwPY3cMF— Awanish Sharan (@AwanishSharan) April 20, 2020
पोर्टल ने बाद में अपनी वेबसाइट और सोशल मीडिया हैंडल से इस खबर को हटा दिया. दिप्रिंट से बात करते हुए, शरण ने कहा कि वह समझते हैं कि गलतियां होती हैं लेकिन वह यह देखकर हैरान और दुखी हुए कि यह खबर 18 घंटे तक सही नहीं की गयी. ‘पत्रकारों को सावधान रहना चाहिए, खासकर जब आप एक वेब पोर्टल के लिए काम करते हैं’, उन्होंने कहा.
सार्वजनिक रूप से नहीं मांगी माफ़ी
2009 बैच के आईएएस अधिकारी ने यह भी कहा कि उन्हें पोर्टल द्वारा कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया था, न ही उन्होंने सार्वजनिक रूप से अपनी गलती को स्वीकार किया था. उन्पहोंने बताया कि पत्रकार ने उनसे व्यक्तिगत रूप से माफी मांगी थी लेकिन यह उन्हें अपनी वेबसाइट पर भी स्वीकार करना चाहिए था.
इस घटना की निंदा ट्विटर पर अन्य प्रशासनिक सेवा अधिकारीयों ने भी की जिनमें वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी आरके विज और बिलासपुर के आईजी दिपांशु काबरा भी शामिल थे.
Highly objectionable
— RK Vij, IPS (@ipsvijrk) April 20, 2020
Sent this to their editor they will act
— Dipanshu Kabra (@ipskabra) April 20, 2020
Sir, Action should be taken against Patrika. How can a national daily use Photograph of an IAS so irresponsibly that too in a sensitive case like suicide.
— Shahid A. Shaikh (@shahtwitting) April 20, 2020
@PatrikaNews can you please clarify over the concern raise by awanish sir. Kindly rectify your mistake and do the needful.
— ??Pawan Joshi?? (@PawanKRJoshi) April 20, 2020
अवनीश शरण वही अधिकारी हैं जिन्होंने अपनी बेटी को सरकारी स्कूल में दाखिला दिलाने के बाद सुर्खियां बटोरीं. वह अपने प्रयासों के लिए द बेटर इंडिया द्वारा क्यूरेट किए गए देश के शीर्ष 10 आईएएस अधिकारियों की सूची में शामिल थे, जिसमें उनके जिले में आदिवासियों की जरूरतों के लिए एक आदिवासी मोटरबाइक एम्बुलेंस की शुरुआत की सराहना की गयी थी.
शरण अपने जिले में कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने अपने पूरे महीने का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में दान कर दिया और नागरिकों के लिए एक जिला निगरानी इकाई और कॉल सेंटर इत्यादि की भी स्थापना की.
(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)