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Sunday, 3 November, 2024
होमदेशन्यूज पोर्टल पर आत्महत्या से जुड़ी ख़बर पर अपनी तस्वीर देख 'हैरान और दुखी' हुए आईएएस अवनीश शरण

न्यूज पोर्टल पर आत्महत्या से जुड़ी ख़बर पर अपनी तस्वीर देख ‘हैरान और दुखी’ हुए आईएएस अवनीश शरण

छत्तीसगढ़ के कबीरधाम के कलेक्टर अवनीश शरण ने कहा की उन्हें ये देखकर आश्चर्य और दुःख हुआ कि उनकी तस्वीर का गलत इस्तेमाल होने के बाद इसे कई घंटों तक नहीं हटाया गया.

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नई दिल्ली: एक प्रमुख हिंदी डिजिटल समाचार पोर्टल ने एक आत्महत्या के मामले से संबंधित समाचार के लिए आईएएस अधिकारी अवनीश शरण की तस्वीर का इस्तेमाल किया और इसे 18 घंटे तक नहीं हटाया. शरण छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले के कलेक्टर हैं.

पत्रिका न्यूज़ छत्तीसगढ़ ने सोमवार को अपने वेब पोर्टल पर भिलाई स्टील प्लांट मैनेजर की आत्महत्या के बारे में समाचार प्रकाशित किया और फीचर इमेज के रूप में आईएएस अधिकारी की तस्वीर का उपयोग किया. शरण ने सोमवार को ट्वीट कर कहा कि उनका खबर से दूर से भी संबंध नहीं.

पोर्टल ने बाद में अपनी वेबसाइट और सोशल मीडिया हैंडल से इस खबर को हटा दिया. दिप्रिंट से बात करते हुए, शरण ने कहा कि वह समझते हैं कि गलतियां होती हैं लेकिन वह यह देखकर हैरान और दुखी हुए कि यह खबर 18 घंटे तक सही नहीं की गयी. ‘पत्रकारों को सावधान रहना चाहिए, खासकर जब आप एक वेब पोर्टल के लिए काम करते हैं’, उन्होंने कहा.

सार्वजनिक रूप से नहीं मांगी माफ़ी

2009 बैच के आईएएस अधिकारी ने यह भी कहा कि उन्हें पोर्टल द्वारा कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया था, न ही उन्होंने सार्वजनिक रूप से अपनी गलती को स्वीकार किया था. उन्पहोंने बताया कि पत्रकार ने उनसे व्यक्तिगत रूप से माफी मांगी थी लेकिन यह उन्हें अपनी वेबसाइट पर भी स्वीकार करना चाहिए था.

इस घटना की निंदा ट्विटर पर अन्य प्रशासनिक सेवा अधिकारीयों ने भी की जिनमें वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी आरके विज और बिलासपुर के आईजी दिपांशु काबरा भी शामिल थे.

अवनीश शरण वही अधिकारी हैं जिन्होंने अपनी बेटी को सरकारी स्कूल में दाखिला दिलाने के बाद सुर्खियां बटोरीं. वह अपने प्रयासों के लिए द बेटर इंडिया द्वारा क्यूरेट किए गए देश के शीर्ष 10 आईएएस अधिकारियों की सूची में शामिल थे, जिसमें उनके जिले में आदिवासियों की जरूरतों के लिए एक आदिवासी मोटरबाइक एम्बुलेंस की शुरुआत की सराहना की गयी थी.

शरण अपने जिले में कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने अपने पूरे महीने का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में दान कर दिया और नागरिकों के लिए एक जिला निगरानी इकाई और कॉल सेंटर इत्यादि की भी स्थापना की.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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