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बुधवार, 18 जून, 2025
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सार्वजनिक जीवन में हिंदी बड़े पैमाने पर बोली जाती है, इसे सीखने से छात्रों को लाभ होगा: मंत्री

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मुंबई, 18 जून (भाषा) महाराष्ट्र के मंत्री दादा भुसे ने बुधवार को स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाने के सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि इस भाषा का दैनिक संचार में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है और इससे बारहवीं कक्षा के छात्रों को उच्च शिक्षा में मदद मिलेगी।

स्कूली शिक्षा मंत्री ने पाठ्यक्रम के अनुसार मराठी नहीं पढ़ाने वाले स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी।

महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को एक आदेश जारी किया था कि राज्य में पहली कक्षा से पांचवी कक्षा तक मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में छात्रों को हिंदी ‘सामान्य रूप से’ तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाई जाएगी।

संशोधित सरकारी प्रस्ताव (जीआर) में कहा गया है कि हिंदी अनिवार्य होने के बजाय ‘सामान्य रूप से’ तीसरी भाषा होगी और अगर स्कूल में प्रति कक्षा 20 छात्र हिंदी के अलावा किसी अन्य भारतीय भाषा का अध्ययन करने की इच्छा व्यक्त करते हैं तो उन्हें इसका विकल्प दिया गया है।

कुछ मराठी समर्थक संगठनों ने सरकार पर शुरू में पीछे हटने के बाद ‘गुपपुच तरीके’ से नीति को फिर से लागू करने का आरोप लगाया और विपक्षी कांग्रेस ने देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार पर मराठी लोगों की छाती में ‘छुरा घोंपने’ का आरोप लगाया।

भूसे ने कहा कि पहले के सरकारी संचार में हिंदी के लिए ‘अनिवार्य’ शब्द का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन मंगलवार को जारी संशोधित आदेश में इसे ‘सामान्य रूप से’ तीसरी भाषा बताया गया है।

हालांकि, मंत्री ने सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि हिंदी सीखने से छात्रों को फायदा होगा।

मंत्री ने यहां पत्रकारों से कहा, “हिंदी सीखना महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका इस्तेमाल सार्वजनिक जीवन में संचार के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है।”

उन्होंने कहा, “12वीं कक्षा के बाद, केंद्र सरकार ने तीसरी भाषा में अंकों को भी महत्व दिया है। ऐसी नीति में, महाराष्ट्र के छात्र पीछे न रहें; इसलिए तीन-भाषा नीति को स्वीकार किया जाता है।”

भूसे ने कहा, “इसलिए, हिंदी सीखने से छात्रों को लंबे समय में फायदा होगा।”

उन्होंने बताया कि मराठी और अंग्रेजी-माध्यम के स्कूलों में पांचवी कक्षा में पहले से ही हिंदी पढ़ाई जा रही है, जबकि गैर-मराठी-माध्यम वाले स्कूलों में मराठी अनिवार्य है और अंग्रेजी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाता है।

हिंदी थोपे जाने के आरोपों पर भुसे ने कहा कि छात्रों को तीसरी भाषा के रूप में कोई अन्य भारतीय भाषा चुनने का विकल्प दिया जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘अगर छात्र कोई अन्य भाषा चुनते हैं, तो हम उसके लिए व्यवस्था कर रहे हैं। अगर कम छात्र इसे चुनते हैं, तो भाषा को ऑनलाइन या अन्य उपलब्ध माध्यम से पढ़ाया जाएगा। तीसरी भाषा चुनने का फैसला छात्रों और उनके अभिभावकों पर छोड़ दिया गया है।’

मंत्री ने कहा कि इससे छात्रों को अपनी योग्यता सुधारने में मदद मिल सकती है।

भुसे ने यह भी कहा कि पाठ्यक्रम के अनुसार, मराठी नहीं पढ़ाने वाले स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने कहा, ‘अगर कोई स्कूल मराठी नहीं पढ़ाता पाया जाता है, तो हम चेतावनी जारी करेंगे। अगर वे इसका पालन करने में विफल रहते हैं, तो हम स्कूल का पंजीकरण रद्द करने जैसी कार्रवाई करेंगे।’

भुसे ने स्वीकार किया कि राज्य में कई मराठी-माध्यम के स्कूल पिछले कुछ वर्षों में बंद हो गए हैं और बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के स्कूलों में दाखिलों में गिरावट आई है।

उन्होंने कहा, ‘यह सच है कि कई मराठी स्कूलों में छात्रों का नामांकन घट रहा है। हमें इस सच्चाई को स्वीकार करना होगा। यहां तक ​​कि नगर निगमों द्वारा संचालित स्कूलों ने भी छात्रों के दूसरे स्कूलों में दाखिला लेने की सूचना दी है। हम स्थिति को सुधारने के लिए सभी सुझावों का स्वागत करेंगे।’

एक अलग प्रश्न के उत्तर में भुसे ने कहा कि सरकार अगले डेढ़ महीने में करीब 9,000 नए शिक्षकों की नियुक्ति करने की योजना बना रही है।

भाषा जोहेब मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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