नई दिल्ली: बिजनेसमैन और उद्योगपति गौतम अडाणी का अडाणी ग्रुप और अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग के बीच उपजे विवाद की जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने आज एक एक्सपर्ट कमेटी के गठन करने का निर्णय लिया है. इस कमेटी का नेतृत्व रिटायर्ड जज अभय मनोहर सपरे करेंगे. साथ ही इस कमेटी में प्रसिद्ध बैंकर के. वी. कामत, ओ. पी. भट, रिटायर्ड जज जे. पी. देवधर, इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि और वकील सोमशेखरन सुंदरेसन शामिल होंगे.
सर्वोच्च न्यायालय ने जांच कमेटी गठन करने के साथ ही सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया, यानी सेबी को 2 महीने के भीतर रिपोर्ट देने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि इस कमेटी बनाने से सेबी की स्वतंत्रता और जांच में कोई बाधा नहीं आएगी.
अडाणी- हिंडनबर्ग मामले में अबतक चार जनहित याचिकाएं दायर की जा चुकी है. वकील एम एल शर्मा, विशाल तिवारी, मुकेश कुमार और जया ठाकुर ने इसको लेकर सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. इसकी पहली सुनवाई 10 फरवरी को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पार्दीवाला की पीठ ने की थी.
‘सत्य की जीत होगी’
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कमेटी गठित करने के बाद अडाणी समूह ने शीर्ष अदालत के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि ‘सत्य की जीत होगी’.
ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी ने ट्वीट किया, ‘अडानी ग्रुप माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करता है. यह समयबद्ध तरीके से अंतिम रूप लाएगा. सच्चाई की जीत होगी.’
The Adani Group welcomes the order of the Hon'ble Supreme Court. It will bring finality in a time bound manner. Truth will prevail.
— Gautam Adani (@gautam_adani) March 2, 2023
क्या है अडाणी- हिंडनबर्ग विवाद
अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च एक फाइनेंसियल रिसर्च करने वाली कंपनी है, जो इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव मार्केट के आंकड़ों का रिसर्च करती है. इसकी स्थापना साल 2017 में नाथन एंडरसन ने की थी.
बीते 25 जनवरी को हिंडनबर्ग ने अडाणी ग्रुप को लेकर 32 हजार शब्दों की एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें फर्म ने दावा किया था कि अडाणी ग्रुप ने शेयरों के हेरफेर और वित्तीय धोखाधड़ी की है. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि बीते तीन साल में शेयरों की कीमतें बढ़ने से गौतम अडाणी की संपत्ति एक अरब डॉलर बढ़कर 120 अरब डॉलर हो गई है. इस दौरान समूह की 7 कंपनियों के शेयर औसत 819 फीसदी बढ़े हैं. इस रिपोर्ट के आने के बाद बवाल मच गया था. सड़क से लेकर संसद तक हंगामा शुरू हो गया था और विपक्षी दलों ने सत्ताधारी मोदी सरकार पर अडाणी को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया था.
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