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हिमाचल : युवक के आईजी बनकर वसूली करने के मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित

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शिमला, 4 फरवरी (भाषा) हिमाचल प्रदेश में आईजी बनकर उद्योगपतियों से कथित तौर पर वसूली करने वाले एक व्यक्ति से जुड़े मामले की जांच के लिए दस सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है। राज्य के पुलिस प्रमुख संयज कुंडु ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

पुलिस महानिदेशक कार्यालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि मामले की प्राथमिकता के आधार पर गहन जांच के लिए बुधवार को साइबर अपराध मामलों के पुलिस अधीक्षक (एसपी) रोहित मालपानी की अध्यक्षता में एक एसआईटी का गठन किया गया है।

बयान के मुताबिक, एसआईटी के सदस्यों में एसपी-ईओडब्ल्यू गौरव सिंह, एसपी सीआईडी-अपराध वीरेंद्र कालिया, अतिरिक्त एसपी-साइबर अपराध नरवीर सिंह राठौर, डीएसपी सीआईडी-अपराध मुकेश कुमार, दो निरीक्षक, दो उप-निरीक्षक और एक सहायक उप-निरीक्षक शामिल हैं।

बयान के अनुसार, आरोपी विनय अग्रवाल ने खुद को केंद्र सरकार में महानिरीक्षक (आईजी) बताकर अपने सहयोगियों के साथ मिलकर उद्योगपतियों से कथित तौर पर लगभग 1.49 करोड़ रुपये की वसूली की।

बयान में बताया गया है कि आरोपी हिमाचल में काला-अंब, बद्दी, नालागढ़ सहित अन्य औद्योगिक क्षेत्रों का दौरा करता था और ‘हरियाणा पुलिस के सशस्त्र वर्दीधारी पुलिस अधिकारी भी अवैध रूप से उसके साथ जाते थे।’

बयान के मुताबिक, अग्रवाल के नेतृत्व वाले गिरोह ने उसे केंद्र सरकार में आईजी के तौर पर पेश करके हिमाचल सहित अन्य राज्यों में कई उद्योगपतियों से बड़े पैमाने पर धन वसूली की।

इसमें बताया गया है कि अग्रवाल के खिलाफ छह जनवरी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 170, 419, 384, 386 और 120-बी के तहत भरारी सीआईडी ​​पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

बयान के अनुसार, जांच में पता चला कि यह कोई साधारण अपराध नहीं है, बल्कि इसके तार कई लोगों से जुड़े हुए हैं। लिहाजा, इसकी जांच के लिए दो फरवरी को एक एसआईटी गठित की गई।

भाषा पारुल उमा

उमा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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