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Thursday, 19 December, 2024
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हिमाचल में बारिश और बाढ़ का कहर, CM सुक्खू बोले- 60,000 लोगों को बचाया गया, 10,000 अभी भी फंसे

पिछले सप्ताह राज्य में भारी बारिश हुई, जिससे भूस्खलन और अचानक बाढ़ आ गई है. 255 लोगों को चंद्र ताल से 5 दिन बाद बचाया गया. अन्य 118 लोगों को सांगला से निकाला गया और हवाई मार्ग से रक्षाम तक पहुंचाया गया.

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शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य में बारिश से तबाह इलाकों में फंसे लोगों को बचाने के बड़े काम से जूझ रही है, जबकि मरने वालों की संख्या 33 तक पहुंच गई है. पिछले हफ्ते राज्य में भारी बारिश हुई है, जिससे भूस्खलन और अचानक बाढ़ आ गई है.

राज्य के स्थिति की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गुरुवार को ट्वीट किया कि 60,000 से अधिक पर्यटकों को निकाला गया है, जबकि लगभग 10,000 पर्यटक अभी भी क्षतिग्रस्त सड़कों के कारण कसोल और तीर्थन घाटी में फंसे हुए हैं.

खराब मौसम के कारण कुछ असफल प्रयासों के बाद, लाहौल स्पीति जिले की स्पीति घाटी के चदरा ताल में पांच दिनों से फंसे सभी 255 पर्यटकों और स्थानीय लोगों को आखिरकार गुरुवार दोपहर को निकाल लिया गया. कार्यवाहक महानिदेशक पुलिस (हिमाचल) सतवंत अटवाल त्रिवेदी ने दिप्रिंट को बताया, “सभी पर्यटक सुरक्षित हैं और उन्हें काज़ा ले जाया गया है.”

लाहौल स्पीति के अतिरिक्त उपायुक्त राहुल जैन, जो बचाव दल के साथ थे, ने एक वीडियो बयान में कहा, “बर्फ हटाने के अभ्यास में काफी समय लगा. एक किमी की दूरी तय करने में एक घंटे से अधिक का समय लगा क्योंकि सड़क 3 से 4 फीट बर्फ से ढकी हुई थी.”

बचाए गए पर्यटकों में से एक, उत्तर प्रदेश की याशिका ने दिप्रिंट को फोन पर बताया, “यह मेरे जीवन का सबसे खुशी का पल था जब मैंने चंद्रताल में बचाव वाहन देखा. कुछ समय तक, हमें यह भी नहीं पता था कि हमें कोई मदद मिल रही है या नहीं.” इससे पहले मंगलवार को अस्वस्थ हुए सात पर्यटकों को एयरलिफ्ट किया गया था.

बचाव दल में एसपी लाहौल स्पीति मयंक चौधरी, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, सीमा सड़क संगठन और अन्य विभागों के जवान शामिल थे.

एक अन्य बचाव अभियान में, 118 पर्यटकों और स्थानीय लोगों को सांगला से निकाला गया और सभी को हवाई मार्ग से रक्षम ले जाया गया. इजराइल निवासी तल्ली ने कहा कि वह पांच दिन से किन्नौर क्षेत्र में फंसी हुई है. उन्होंने दिप्रिंट को फोन पर बताया, “मुझे ख़ुशी है कि मैं वापस जा रही हूं. मुझे नहीं पता था कि मौसम इतना खराब हो सकता है.”

किन्नौर के डिविजनल कमिश्नर तोरुल एस रवीश ने दिप्रिंट से कहा, “बुधवार को किन्नौर के सांगला में अचानक आई बाढ़ के बाद स्थिति और खराब हो गई है. जिला प्रशासन, पुलिस, सेना और अन्य विभागों ने सफल बचाव अभियान चलाया.

सीएम ने गुरुवार शाम मीडिया से बात करते हुए कहा, “सामान्य स्थिति बहाल करने के प्रयास जारी हैं. बारिश प्रभावित क्षेत्रों के अधिकांश हिस्सों में बिजली, फोन नेटवर्क और आवश्यक आपूर्ति बहाल कर दी गई है.”

एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि डूबने से मौत की आशंका के चलते अधिकारियों ने ब्यास नदी के किनारे तलाशी अभियान शुरू कर दिया है.

प्रमुख सचिव, राजस्व, ओंकार शर्मा ने दिप्रिंट को बताया कि 24 जून को मानसून की शुरुआत के बाद से 91 लोगों की मौत हो गई, जबकि 16 लापता हैं. उन्होंने कहा कि मानसून के प्रकोप से कुल 1,936 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. हालांकि, पहले सीएम ने बारिश, बादल फटने और बाढ़ से 4,000 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया था.

इस मानसून में अब तक भूस्खलन की 23 घटनाएं, 11 अचानक बाढ़ की घटनाएं हो चुकी हैं. शर्मा ने कहा, राज्य भर में 5,000 से अधिक जल आपूर्ति योजनाएं क्षतिग्रस्त होने के अलावा 1,100 से अधिक सड़कें अभी भी बंद हैं.

प्रेस सूचना ब्यूरो के अनुसार, केंद्र सरकार ने राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) के लिए 180 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं.

इस बीच, गवर्नर हाउस के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बात की है और उन्हें स्थिति से अवगत कराया है. बाढ़ प्रभावित मंडी, कुल्लू क्षेत्र का दौरा करने वाले पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने भी स्थिति पर चर्चा करने के लिए गुरुवार को नई दिल्ली में शाह से मुलाकात की है. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा शुक्रवार को राज्य के बारिश प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने वाले हैं.

कार्यवाहक डीजीपी अटवाल त्रिवेदी ने कहा, “हमने अपने द्वारा स्थापित नियंत्रण कक्ष के माध्यम से 2,500 से अधिक परिवारों को फंसे हुए लोगों से जोड़ा है. हम अधिक जानकारी जुटाने के लिए सोशल मीडिया को स्कैन कर रहे हैं. लोग हमें वाहन पंजीकरण नंबर भेज रहे हैं. बचाए गए लोग सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर रहे हैं. इससे कई लोगों को आशा मिली है.”


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सेब उत्पादक चिंतित

प्रमुख सेब उत्पादक जिलों शिमला, मंडी और कुल्लू में प्रमुख और संपर्क सड़कें क्षतिग्रस्त होने से सेब किसान चिंतित हैं. गुरुवार को शिमला में प्रेस से बात करते हुए सुक्खू ने कहा, ”हम खराब सड़कों का खामियाजा किसानों को नहीं भुगतने देंगे. सेब उत्पादक क्षेत्रों में सड़कों की मरम्मत प्राथमिकता होगी.”

हालांकि, किसान संशय में हैं. उनका कहना है कि बारिश से इतना नुकसान हुआ है और सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद इसमें समय लगेगा.

“किसान पहले से ही संकट में हैं क्योंकि इस साल फसल ख़राब हुई है. अब परिवहन एक चुनौती बन गया है. शिमला के कोटखाई के किसान हरीश चौहान ने दिप्रिंट से कहा, ”भूस्खलन के बाद शिमला का फल बाजार प्रांगण बंद कर दिया गया है.”

हरियाणा सड़क परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक रोहन चंद ठाकुर ने गुरुवार को मीडिया को बताया कि लगभग 300 बसें अभी भी सड़कों पर फंसी हुई हैं.

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(संपादन: अलमिना खातून)


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