शिमला, 21 नवंबर (भाषा) हिमाचल प्रदेश में 1980 में सिर में चोट लगने के बाद स्मृति खो बैठा और लापता हो गया सिरमौर जिले का 16 वर्षीय युवक रिखी 45 साल बाद अपने परिवार से मिला। हाल ही में एक बार फिर सिर पर चोट लगने के बाद उनकी याददाश्त लौट आयी थी।
रिखी अब रवि चौधरी के नाम से पहचाने जाते हैं। पिछले सप्ताह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ जब वह नाहन के पास अपने पैतृक गांव नाड़ी पहुंचे तो हृदयस्पर्शी दृश्य देखने को मिला। परिवार के सदस्य उन्हें देखकर आंसू बहा रहे थे क्योंकि वे उन्हें मृत मान बैठे थे।
परिवार और ग्रामीणों ने रिखी का संगीत व फूलों के साथ गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने चार दशक बाद अपने भाई-बहनों दुर्गा राम, चंदर मोहन, चंद्रमणि, कौशल्या देवी, कला देवी और सुमित्रा देवी से मिलकर उनके आंसू पोंछे।
रिखी हरियाणा के यमुनानगर में एक होटल में काम करते थे, जब 1980 में अंबाला की यात्रा के दौरान एक बड़ी सड़क दुर्घटना में सिर पर चोट लगने से उनकी पूरी स्मृति चली गई और वह लापता हो गए थे। इसके बाद मित्रों ने उन्हें रवि चौधरी नाम दिया।
कुछ महीने पहले लगी दूसरी चोट ने उनके जीवन को फिर बदल दिया। अपने पैतृक गांव नाड़ी में आम के पेड़, संकीर्ण गलियां और सताऊं नामक जगह के एक घर के आंगन की पुरानी, धुंधली तस्वीरें उन्हें सपनों में दिखने लगीं। रिखी को एहसास हुआ कि वे सपने नहीं बल्कि यादें थीं।
रिखी ने एक कॉलेज छात्र की मदद से सताऊं का पता लगाया और गूगल पर गावों को खोजते समय मिले एक फोन नंबर के माध्यम से रुद्र प्रकाश नामक व्यक्ति से संपर्क साधा।
जैसे ही यह बात फैली रिखी के एक रिश्तेदार एम के चौबे ने उनके भूले हुए अतीत को पहचाना और अन्य विवरणों के मिलान के बाद वह नाड़ी गांव में अपने परिवार के सदस्यों से मिल पाए।
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ आदित्य शर्मा ने शुक्रवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘ऐसे मामले दुर्लभ हैं और इसका सटीक कारण मस्तिष्क की चिकित्सा जांच के बाद ही पता चल पाएगा।”
भाषा सुमित नरेश
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