नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश की दवा निर्माता कंपनी डिजिटल विजन एक बार फिर सवालों के घेरे में है. दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक इस बार मामला कथित तौर पर खांसी की मिलावटी दवा बेचने से जुड़ा है जिसके कारण दो साल के बच्चे की किडनी फेल हो गई.
यूएस के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) के अनुसार, इसके कफ सिरप ब्रांड कफसेट एटी में कथित तौर पर पाए गए डाइथलीन ग्लाइकोल (डीईजी) नामक रसायन को किडनी फेल करने और न्यूरोलॉजिकल विषाक्तता के लिए जाना जाता है.
भारत के शीर्ष नियामक सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (सीडीएससीओ) ने राज्य दवा नियामकों से देशभर में दवा के नमूनों की जांच करने और इसकी बिक्री रोकने को कहा है.
सीडीएससीओ ने हिमाचल प्रदेश के दवा नियामक को ‘अपने क्षेत्र के कर्मचारियों को आवश्यक कदमों के लिए आगाह करने’ और ‘अपने क्षेत्र में कथित दवा की तलाश करने’ के लिए भी लिखा है.
सीडीएससीओ ने यह कदम पीजीआई चंडीगढ़ से मिली एक शिकायत के बाद उठाया हैं, जहां इस दवा के कथित इस्तेमाल से दो साल के बच्चे की किडनी खराब होने का मामला सामने आया. वैसे आम तौर पर बच्चों में किडनी फेल होने के मामले नहीं होते.
डिप्टी ड्रग कंट्रोलर इंडिया, सीडीएससीओ अरविंद कुकरेती ने हिमाचल प्रदेश के ड्रग कंट्रोलर को लिखे पत्र में कहा है, ‘इस मामले की गंभीरता को देखते हुए इस कार्यालय के दवा निरीक्षकों को क्षेत्र में कथित दवा की तलाश करने का निर्देश दिया गया है. आपसे अनुरोध है कि आप अपने क्षेत्र के कर्मचारियों को इस मामले में आवश्यक कार्रवाई के लिए सचेत करें.’
दिप्रिंट के पास मौजूद 5 अगस्त को भेजे गए इस पत्र की प्रति के मुताबिक, ‘यह अनुरोध है कि मामले की मौजूदा स्थिति और डिजिटल विजन की विनिर्माण स्थिति से कार्यालय को अवगत कराया जाए और इस कार्यालय को भी उक्त निर्माता के खिलाफ जांच में संबद्ध किया जा सकता है…’
पत्र के साथ पीजीआई की शिकायत संलग्न की गई है.
हिमाचल सरकार ने फरवरी में भी इसी कंपनी डिजिटल विजन के खिलाफ खांसी की एक मिलावटी दवा कोल्डबेस्ट-पीसी कफ सिरप बेचने का मामला दर्ज किया था, जिसके कारण जम्मू और कश्मीर में नौ शिशुओं और हरियाणा में एक की मौत हो गई थी.
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डिजिटल विजन के खिलाफ शिकायत
4 अगस्त वाली यह शिकायत सीडीएससीओ की चंडीगढ़ ब्रांच को पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर), चंडीगढ़ में बाल रोग विभाग की डॉ. भवनीत भारती की तरफ से भेजी गई थी.
‘पीजीआई, चंडीगढ़ में बच्चे की किडनी फेल होने और सिरप कफसेट एटी में डीईजी की मिलावट के संदर्भ में’ शीर्षक से भेजे गए ईमेल में बताया गया है कि 22 जुलाई को दो साल के एक बच्चे ने ‘कई दवाओं का सेवन किया था जिनका डीईजी की उपस्थिति जांचने के लिए हमारे पीडियाट्रिक्स जैव रसायन प्रयोगशाला में विश्लेषण किया गया था.’
ईमेल में लिखा है, ‘हमारे प्रारंभिक आकलन में बच्चे को दी गई दवाओं में से एक कफसेट एटी में डीईजी पाया गया है. आपको याद होगा कि हमने पहले भी कोल्डबेस्ट-पीसी में डीईजी की मौजूदगी की सूचना दी है.’
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राज्य दवा नियंत्रकों ने कार्रवाई शुरू की
राज्यों ने नमूने एकत्र करना और थोक विक्रेताओं से दवाओं की आपूर्ति पर डाटा जुटाना शुरू कर दिया है.
हरियाणा के स्टेट ड्रग कंट्रोलर नरेंद्र आहूजा ने दिप्रिंट को बताया कि ‘जांच टीम ने इस कथित दवा के नमूने लिए हैं और राज्य में कंपनी के प्रमुख थोक व्यापारी से बिक्री के आंकड़े भी लिए हैं.’
आहूजा ने कहा, ‘सिरप की कुल 2,992 बोतलों में से 2,972 अब तक बेची जा चुकी हैं. यह स्टॉक कोलकाता, बेंगलुरू, काला-अंब, सीकर, जलगांव सहित अन्य स्थानों पर भेजा गया है, इसलिए संबंधित राज्य एफडीए को अपने यहां इस दवा की खपत रोकने के उपाय करने के लिए सूचित किया गया है.’
अन्य राज्यों में भी इसी तरह के कदम उठाए गए हैं.
सीडीएससीओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमने हाल में दवा की बिक्री पर राज्य दवा नियामकों से डाटा प्राप्त करना शुरू कर दिया है, वे सभी एक दूसरे के साथ सहयोग कर रहे हैं और मामले पर संयुक्त जांच कर रहे हैं.’
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