नई दिल्ली: लाल किला…मुगलकाल के दौरान लाल बलुआ पत्थर से बनी ऐतिहासिक इमारत जिसकी प्राचीर जिसने देश को गुलाम होता देखा और फिर देश को आज़ाद होते भी देखा…इस लाल किले की प्राचीर से कईं प्रधानमंत्रियों ने देश को संबोधित किया और उन्हें आने वाले वर्षों में मिलने की सौगात भी देश के इस त्योहार पर बोनस के रूप में देते रहे हैं. राजनीतिक पार्टियों का देश में शासन भले बदलता रहा है, लेकिन यहां से किए गए वादों का मूल हमेशा उतना ही मजबूत रहा है.
15 अगस्त, 1947 में आज़ाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भले ही लाल किले से झंडा फहराने की नींव रखी लेकिन उन्होंने पहली बार आजाद देश का झंडा लाल किले की प्राचीर से 16 अगस्त को फहराया था. तब से लेकर ये परंपरा चली आ रही है. अब से कुछ देर में देश के 14वें पीएम नरेंद्र दामोदर दास मोदी 10वीं बार लाल किले की प्राचीर से झंडा फहराने जा रहे हैं.
आज़ादी के बाद जन्में पहले पीएम नरेंद्र मोदी
2022 में अपने भाषण के दौरान उन्होंने कहा था, ‘‘2014 में देशवासियों ने मुझे दायित्व दिया. आज़ादी के बाद जन्मा हुआ मैं पहला व्यक्ति हूं जिसको लाल किले से देशवासियों को गौरवगान करने का अवसर मिला.’’
वो लाल किले की प्राचीर ही है जहां से पीएम ने मेक इन इंडिया, तीन तलाक, जल जीवन मिशन, महिलाओं के लिए योजनाएं, सेना के लिए पदों की घोषणा, कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करना, भाई-भतीजावाद पर प्रहार जैसे कुछ मुद्दे शामिल हैं.
2022 के पंच प्रण
2022 में आज़ादी की हुंकार भरते हुए मोदी ने आगामी 25 सालों के लिए पंच प्रण पर ध्यान केंद्रित करने की घोषणा की थी.
उन्होंने कहा था, ‘‘जब मैं पंच प्रण की बात करता हूं तो पहला प्रण है कि अब देश बड़े संकल्प लेकर ही चलेगा. दूसरा प्रण है हमें अपने मन के भीतर, आदतों के भीतर गुलामी का कोई अंश बचने नहीं देना है. तीसरा प्रण, हमें अपनी विरासत पर गर्व होना चाहिए. चौथा प्रण है एकता और एकजुटता और पांचवां प्रण है नागरिकों का कर्तव्य, जिसमें प्रधानमंत्री भी बाहर नहीं होता, मुख्यमंत्री भी बाहर नहीं होता.’’
लोकसभा में सदन के पटल पर तीन नए कानूनों के विधेयकों को पेश करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पीएम के पांच प्रणों में से एक को पूरा करने की बात कही थी.
गृहमंत्री ने कहा था, ‘‘पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश से वादा किया था कि आज़ादी के 75 साल पूरे होने पर गुलामी की सभी पुरानी निशानियों को पीछे छोड़ देगा. इसी क्रम में हम अंग्रेज़ों के ज़माने में बनाई गई और उपनिवेशवाद की निशानी तीन दंड सहिताओं को हमेशा-हमेशा को बदलने वाल विधेयक सदन के पटल पर पेश कर रहे हैं. ये तीनों विधेयक हमारे पांच प्रण में एक प्रण को पूरा करने वाले हैं.’’
बता दें कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने अंग्रेज़ों के ज़माने से चले आ रहे कानूनों में संशोधन करने के लिए लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए हैं.
अपने भाषणों में मेक इन इंडिया, वोकल फॉर लोकल, आत्मनिर्भर भारत जैसे नारों को दोहराते हुए 2022 में मोदी ने कहा,‘‘आज़ादी के 75 साल के बाद जिस आवाज़ को सुनने के लिए हमारे कान तरस रहे थे, 75 साल के बाद वो आवाज़ सुनाई दी है. 75 साल के बाद लाल किले पर से तिरंगे को सलामी देने का काम पहली बार Made In India तोप ने किया है. कौन हिन्दुस्तानी होगा, जिसको यह आवाज़ उसे प्रेरणा, ताकत नहीं देगी.’’
इस दौरान पीएम ने देश के सामने दो बड़ी चुनौतियों – भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद, परिवारवाद पर निशाना साधा था.
उन्होंने कहा, ‘‘भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है, उससे देश को लड़ना ही होगा. हमारी कोशिश है कि जिन्होंने देश को लूटा है, उनको लौटाना भी पड़े, हम इसकी कोशिश कर रहे हैं.’’
मोदी ने देश के युवाओं से भाई-भतीजावाद और परिवारवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग का आह्वान किया था.
उन्होंने कहा था, ‘‘दुर्भाग्य से राजनीतिक क्षेत्र की उस बुराई ने हिंदुस्तान के हर संस्थान में परिवारवाद को पोषित कर दिया है. मेरे देश के नौजवानों मैं आपके उज्ज्वल भविष्य के लिए, आपके सपनों के लिए मैं भाई-भतीजावाद के खिलाफ लड़ाई में आपका साथ चाहता हूं.’’
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‘सबका प्रयास से वंदे भारत तक’
2021 में मोदी ने लाल किले की प्राचीर से 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के रूप में याद करने की घोषणा की थी. प्रधानमंत्री ने इस साल ‘‘सबका साथ सबका विकास, सबका विश्वास, में सबका प्रयास’’ शब्द को जोड़ा था.
उन्होंने घोषणा की थी कि पटरी और फुटपाथ पर बैठकर सामान बेचने वाले, ठेला चलाने वालों को स्वनिधि योजना के जरिए बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ा गया.
मोदी ने आरक्षण की नई व्यवस्था के तहत मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में ऑल इंडिया कोटे में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण देने की घोषणा की थी. संसद में कानून बनाकर ओबीसी से जुड़ी सूची बनाने का अधिकार राज्यों को दिया गया था.
2020 के वोकल फॉर लोकल के आह्वान के साथ 2021 में मोदी ने कहा था, ‘‘सरकार ई-कॉर्मस प्लेटफॉर्म तैयार करेगी. जब देश वोकल फॉर लोकल के मंत्र के साथ आगे बढ़ा रहा है तो यह डिजिटल प्लेटफॉर्म महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप के उत्पादों को देश के दूर-दराज के क्षेत्रों में और विदेशों में भी लोगों से जोड़ेगा और उनका फलक बहुत विस्तृत होगा.’’
मोदी ने गांवों में ज़मीनों की ड्रोन के जरिए मैपिंग के लिए ‘स्वामित्व योजना’ की घोषणा की थी, ताकि गांवों में ज़मीन से जुड़े विवाद समाप्त हों और लोगों को बैंक से आसानी से लोन की व्यवस्था भी कायम हो सके, जिसके तहत राज्यों में मैपिंग का काम शुरू भी कर दिया है. बता दें कि बिहार इन मामलों में सबसे अधिक समस्याओं वाला राज्य रहा है.
2021 में प्रधानमंत्री ने ‘आज़ादी के अमृत महोत्सव के 75 सप्ताह में 75 वंदेभारत ट्रेनें देश के हर कोने को आपस में जोड़ रही होंगी’ की घोषणा की थी और इस साल तक 23 वंदे भारत ट्रेनों ने दौड़ना शुरू कर दिया है.
आत्मनिर्भर भारत को दोहराते हुए उन्होंने कहा, ‘‘भारत की प्रगति के लिए, आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए भारत का Energy Independent होना अनिवार्य है. इसलिए आज भारत को ये संकल्प लेना होगा कि हम आजादी के 100 साल होने से पहले भारत को Energy Independent बनाएंगे.’’
2020 में लाई गई नई ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ के लिए 2021 में उन्होंने कहा, ‘‘आज देश के पास 21वीं सदी की ज़रूरतों को पूरा करने वाली नई ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ भी है. जब गरीब के बेटी, गरीब का बेटा मातृभाषा में पढ़ कर प्रोफेशनल्स बनेंगे तो उनके सामर्थ्य के साथ न्याय होगा. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को गरीबी के खिलाफ लड़ाई का मैं साधन मानता हूं.’’
आत्मनिर्भर भारत का मंत्र देते हुए पीएम ने वित्तीय सहायता उपायों की पेशकश की थी.
‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ को वर्ष 2014 में शुरू किए गए ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के विस्तार के रूप में देखा जाना चाहिए, क्योंकि ये दोनों ही अभियान घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से विनिर्माण निवेश हासिल करने के उद्देश्य को साझा करते हैं.
मोदी ने कहा था, ‘‘जब हम आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं तो दुनिया को उत्सुकता भी है, भारत से अपेक्षा भी है… और इसलिए हमें उस अपेक्षा को पूर्ण करने के लिए अपने-आप को योग्य बनाना बहुत आवश्यक है.’’
2020 में एक अन्य महत्वपूर्ण घोषणा थी, गरीब कल्याण रोज़गार अभियान. कोरोना काल में अपने ही गांव में रोज़गार के लिए गरीब कल्याण रोजगार अभियान शुरू किया गया है.
मोदी ने कहा था, ‘‘श्रमिक खुद को री-स्किल, अप-स्किल, करें इस पर विश्वास करते हुए, श्रम-शक्ति पर भरोसा करते हुए, गांव के संसाधनों पर भरोसा करते हुए, हम vocal for local पर बल देते हुए री-स्किल, अप-स्किल के द्वारा अपने देश की श्रम-शक्ति को, हमारे गरीबों को सशक्त करने की दिशा में हम काम कर रहे हैं.’’
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 को निरस्त करने के एक साल बाद उन्होंने कहा, ‘‘लेह-लद्दाख, कारगिल, जम्मू-कश्मीर…को एक वर्ष पूर्व अनुच्छेद 370 से आज़ादी मिल चुकी है…एक साल पूरा हो चुका है. ये साल जम्मू-कश्मीर की एक नई विकास यात्रा का बड़ा महत्वपूर्ण पड़ाव है. ये साल वहां की महिलाओं को, दलितों को, मूलभूत अधिकारों को देने वाला कालखंड रहा है.ये हमारे शरणार्थियों को गरिमा पूर्ण जीवन जीने का भी एक साल रहा है.’’
इस साल एक भारत-श्रेष्ठ भारत के आह्वान के साथ राम मंदिर का मुद्दा प्रमुख रहा था.
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जल जीवन मिशन
2019 के लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल करने के बाद मोदी का भाषण मुख्य इसलिए था, क्योंकि हाल ही में जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था.
गौरतलब है कि 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त करने के बाद भाषण की शुरुआत में उन्होंने कहा, ‘‘दस हफ्ते के भीतर-भीतर ही अनुच्छेद 370 का हटना, 35A का हटना सरदार वल्लभ भाई पटेल के सपनों को साकार करने की दिशा में एक अहम कदम है. जो काम पिछले 70 साल में नहीं हुआ, नई सरकार बनने के बाद, 70 दिन के भीतर-भीतर अनुच्छेद-370 और 35ए को हटाने का काम भारत के दोनों सदनों ने दो-तिहाई बहुमत से पारित कर दिया, आज लाल किले से मैं जब देश को संबोधित कर रहा हूं, मैं यह गर्व के साथ कहता हूं कि आज हर हिन्दुस्तानी कह सकता है- One Nation, One Constitution.’’
इस साल पीएम ‘जल जीवन मिशन योजना’ की शुरुआत की थी, जिसके लिए 2020 में उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पिछली बार यहां पर जल-जीवन मिशन की घोषणा की थी, आज उसको एक साल हो रहा है. मुझे संतोष है कि प्रतिदिन हम एक लाख से ज्यादा घरों में पाईप से जल पहुंचा रहे हैं और पिछले एक साल में 2 करोड़ परिवारों तक हम जल पहुंचाने में सफल हुए हैं.’’
उन्होंने कहा था, ‘‘हम आने वाले दिनों में जल-जीवन मिशन को आगे ले करके बढ़ेंगे. इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारें साथ मिलकर काम करेंगी और आने वाले वर्षों में साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा रकम इस मिशन के लिए खर्च करने का हमने संकल्प लिया है.’’
जून 2022 में केंद्र सरकार ने दावा किया था कि देश के 50 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों तक नल का पानी पहुंच गया है. आंकड़ों के अनुसार 15 अगस्त 2019 तक भारत के सिर्फ 16.89 प्रतिशत परिवारों तक ही नल से जल की पहुंच थी वहीं 14 जून 2022 को ये आंकड़ा बढ़कर 50.42 प्रतिशत पर पहुंच गया है. यानी की जब से ये योजना शुरू हुई है तब से 33.53 प्रतिशत यानी कि 6,42,31,378 परिवारों तक इस योजना से लाभ पहुंचा है.
इस मिशन के तहत 3.60 लाख करोड़ रुपए के बजट का अनुमान लगाया है जिसमें केंद्र सरकार का हिस्सा 2.08 लाख करोड़ रुपए है. वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान केंद्र सरकार ने 40 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त बजट और जारी किया था.
भारत की इकोनॉमी को लेकर देश को आश्वस्त बताते हुए मोदी ने 2019 में देश को 2023 तक 5 ट्रिलियन इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य रखने की बात कही थी, जबकि एसएंडपी ग्लोबल ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि भारत 2031 तक 6.7 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगी.
उन्होंने कहा था, ‘‘हमने 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का सपना संजोया है. आज़ादी के 70 साल बाद हम दो ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी पर पहुंचे थे, लेकिन पिछले पांच साल के भीतर हम लोग दो ट्रिलियन से तीन ट्रिलियन पहुंच गए. इस गति से हम आने वाले पांच साल में 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बन सकते है.’’
इस साल मोदी ने डिजिटल पैमेंट पर भी जोर दिया था. 2019 में मोदी ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद की घोषणा करते हुए, कर जमाकर्ताओं को इनाम देने की भी घोषणा की थी.
2013 तक रफ्तार धीमी
2018 में मोदी ने बिजली, पानी, गैस कनेक्शन आदि के मुद्दों पर जोर दिया था.
बिजली, शौचालय, गैस-कनेक्शन से संबंधित कार्यों की रफ्तार की 2013 से तुलना करते हुए पीएम ने कहा था, ‘‘2013 की जो रफ्तार थी, उसी रफ्तार से चलते तो शायद कितने दशक बीत जाते, शौचालय शत-प्रतिशत पूरा करने में. अगर हम गांव में बिजली पहुंचाने की बात को कहें, अगर 2013 के आधार पर सोचें तो गांव में बिजली पहुंचाने के लिए शायद एक-दो दशक और लग जाते. अगर हम 2013 की रफ्तार से देखें तो एलपीजी गैस कनेक्शन गरीब को, गरीब मां को धुंआ-मुक्त बनाने वाला चूल्हा, अगर 2013 की रफ्तार से चले होते तो उस काम को पूरा करने में शायद 100 साल भी कम पड़ जाते.’’
मोदी ने कहा था कि कुल 99 योजनाओं का संकल्प है, 2019 के पहले उन 99 बड़ी-बडी योजनाएं को परिपूर्ण करके, किसान के खेत तक पानी पहुंचाने का काम हम पूर्ण कर देंगे.
उन्होंने कहा, ‘‘मेरी माताएं, बहनें आज बहुत बड़ी मात्रा में, परिवार में महिलाएं भी रोजगार के लिए जाती हैं और इसलिए रात्रि को भी उनको रोजगार का अवसर मिले, फैक्टरियों में काम करने का अवसर मिले, इसलिए Labour Laws में परिवर्तन करने का बहुत बड़ा अहम कदम उठाया है.’’
2018 में पीएम ने आयुष्मान योजना का ज़िक्र किया था, जिसे एक अप्रैल 2018 से लागू किया गया था. योजना के तहत मई 2021 तक आयुष्मान जन आरोग्य योजना के तहत लगभग 1.84 करोड़ मरीजों को इलाज हो चुका है. इसके अलावा सेना में महिलाओं की स्थाई कमीशन का प्रावधान दिया गया था.
2017 में पीएम ने खासतौर पर बलूचिस्तान का ज़िक्र किया था. इसके अलावा मैटरनिटी लीव जो 12 सप्ताह की थी, उसे 26 सप्ताह, तक करने की बात कही थी. उन्होंने न्यू इंडिया के विज़न, पीएम आवास योजना, ट्रिपल तलाक से मुक्ति की घोषणा की थी.
2016 में मोदी ने कहा, हमने जल प्रबंधन, जल सींचन और जल संरक्षण पर बल दिया है. per drop-more crop, Micro-irrigation इसको हम बल दे रहे हैं.
2015 में पीएम ने हर गांव में बिजली पहुंचाने की घोषणा की थी. बता दें कि वर्तमान समय में भारत में लगभग 6,40,930 (6 लाख 40 हजार 9 सौ 30) गांव हैं, जिसमें भी 2022 तक केवल 5 लाख, 97 हज़ार, 464 गावों तक ही बिजली पहुंची है.
हाल ही में बुलंदशहर की एएसपी अनुकृति शर्मा ने एक बूढ़ी महिला के घर में अंधेरे को दूर करते हुए रोशनी पहुंचाई.
इसके अलावा मोदी ने 2014 में युवाओं के लिए स्टार्टअप इंडिया की शुरुआत की थी. आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 के अनुसार, बेंगलुरु में 4,514 के मुकाबले अप्रैल 2019 और दिसंबर 2021 के बीच दिल्ली में 5,000 से अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप जोड़े गए.
पिछले साल 1,300 से अधिक सक्रिय टेक स्टार्टअप जोड़े गए जिससे सक्रिय टेक स्टार्टअप्स की कुल संख्या 25,000-27,000 हो गई.
जनधन योजना और ‘मेक इन इंडिया’ का ऐलान किया था. जनधन की वेबसाइट के मुताबिक, अब तक 49.72 करोड़ लोगों ने खाते खुलवाए हैं और 202,886.27 करोड़ रुपये बैलेंस इन खातों में मौजूद है और 8.50 लाख बैंक मित्र बिना किसी ब्रांच के सेवाएं दे रहे हैं.
2020 में मोदी ने बताया था 40 करोड़ जन-धन खातों में 22 करोड़ खाते हमारी बहनों के हैं. 25 करोड़ के करीब मुद्रा लोन दिए गए हैं, उसमें 70 प्रतिशत मुद्रा लोन लेने वाली हमारी माताएं-बहनें हैं.
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