नई दिल्ली : राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी भारत में अपराध 2022 रिपोर्ट से पता चलता है कि 2022 में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत दर्ज अपराधों के लिए दायर आरोपपत्रों की दर सबसे ज्यादा केरल में 96.0 प्रतिशत रही.
पुडुचेरी, 91.3 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर रहा, उसके बाद पश्चिम बंगाल 90.6 प्रतिशत, जबकि राष्ट्रीय औसत दर 71.3 प्रतिशत थी.
आरोप पत्र दाखिल करने की दर उन मामलों का प्रतिशत है, जिनमें पुलिस उस विशेष वर्ष में निपटाए गए मामलों की कुल संख्या में से आरोप पत्र दाखिल करती है.
आरोप पत्र या तो पुलिस या जांच एजेंसी द्वारा मुकदमा चलाने की सिफारिश के लिए तैयार किया जाता है. एक बार दायर और प्रस्तुत होने के बाद, अदालत आरोपपत्र पर संज्ञान लेती है और आरोप तय करने की प्रक्रिया शुरू करती है. यदि आरोप तय हो जाते हैं तो मामला सुनवाई के लिए चला जाता है.
क्राइम इन इंडिया 2022 रिपोर्ट के अनुसार, केरल में पुलिस ने उस साल आईपीसी के तहत कुल 2,35,858 मामले दर्ज किए, वहीं पुडुचेरी में यह संख्या 3,237 और पश्चिम बंगाल में 1,56,503 थी. महानगरीय शहरों में, केरल के कोझिकोड और कोच्चि, बिहार के पटना में दर्ज मामलों के साथ सूची में शीर्ष पर हैं.
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रिपोर्ट से यह भी पता चला कि भारत में कुल अपराध दर- प्रति लाख जनसंख्या पर अपराध दर – 2022 में 258.1 प्रति थी, जबकि पिछले वर्ष यह 268, प्रति लाख जनसंख्या थी.
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में आईपीसी के तहत दर्ज अपराधों के लिए कुल सजा दर हत्या के लिए 43.8 प्रतिशत, बलात्कार के लिए 27.4 प्रतिशत, अपहरण के लिए 33.9 प्रतिशत, दंगों के लिए 24.9 प्रतिशत और शारीरिक क्षति (एसिड हमलों सहित) को लेकर 35.9 प्रतिशत थी.
आंकड़ों पर करीब से नजर डालने से पता चलता है कि 2022 में केरल में दर्ज किए गए 2.35 लाख आईपीसी अपराधों में से 1,63,100 लापरवाही और तेज गति से गाड़ी चलाने के कथित मामलों से संबंधित थे. इस विशेष अपराध के लिए, राज्य में प्रति लाख जनसंख्या पर 457.1 की दर से देश में सबसे अधिक अपराध दर दर्ज किए गए. इसके अलावा, एनसीआरबी डेटा से पता चलता है कि 661 प्रति लाख जनसंख्या पर, केरल ने 2022 में भारत के किसी भी राज्य के मुकाबले सबसे अधिक आईपीसी अपराध दर दर्ज की.
इस बीच, मणिपुर में 2022 में आईपीसी अपराधों के लिए सबसे कम आरोप-पत्र दायर करने की दर 10.4 प्रतिशत दर्ज रही. हालांकि, आईपीसी के तहत राज्य में दर्ज संज्ञेय मामलों की दर 94.2 रही, जो कि देश में 5वीं सबसे ज्यादा थी. एनसीआरबी डेटा से पता चलता है कि राज्य ने 2022 में 3,029 आईपीसी के तहत अपराध के मामले दर्ज किए.
मेघालय आईपीसी अपराधों के लिए आरोप-पत्र दायर करने की दर 26.9 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि आईपीसी के तहत राज्य में पंजीकृत संज्ञेय अपराधों की दर 87.6 प्रतिशत है.
दिल्ली, 30.2 प्रतिशत की मामूली आईपीसी आरोप-पत्र दर के साथ, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में प्रति लाख जनसंख्या 1424.1 पर उच्चतम आईपीसी अपराध दर दर्ज करने के बावजूद तीसरे स्थान पर रही.
विशेष और स्थानीय कानूनों (एसएलएल) के तहत पंजीकृत अपराधों के लिए, केरल में 99.1 प्रतिशत के साथ आरोप पत्र दायर करने की दर चौथी सबसे अधिक थी. मध्य प्रदेश 99.9 प्रतिशत के साथ सूची में शीर्ष पर है, जबकि दिल्ली का प्रदर्शन 98.2 प्रतिशत के साथ अपेक्षाकृत बेहतर है.
विशेष और स्थानीय कानून, जो कि विशेष रूप से किसी खास राज्य या क्षेत्र के भीतर क्षेत्र-विशिष्ट, या सांस्कृतिक कानूनी मामलों के लिए तैयार किए जाते हैं.
2022 में, आईपीसी अपराधों के 35,61,379 मामलों के सिलसिले में देशभर में कुल 32,28,322 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया. कुल मिलाकर, 2022 में भारत में आईपीसी के तहत कुल 43,67,588 व्यक्तियों पर आरोप पत्र दायर किए गए. इनमें से 10,55,181 को दोषी ठहराया गया, जबकि 9,81,194 लोगों को बरी कर दिया गया और 1,52,787 लोगों पर से आरोप पत्र हटा लिए गए.
दोषी ठहराए गए व्यक्तियों के मामले में, केरल 2022 में आईपीसी अपराधों के लिए 5,02,311 लोगों को दोषी ठहराने की आश्चर्यजनक संख्या के साथ बाकी लोगों के लिए रास्ता दिखा रहा है, इसके बाद तमिलनाडु में 3,38,804 लोगों को दोषी ठहराया गया. जहां तक दोषमुक्ति का सवाल है, आईपीसी अपराधों के आरोपी 2,75,628 लोगों को बरी करने के साथ गुजरात इस सूची में शीर्ष पर है, इसके बाद 2,16,440 लोगों के साथ महाराष्ट्र का नंबर है.
(अनुवाद और संपादन : इन्द्रजीत)
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