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Sunday, 17 November, 2024
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हाई-टेक फीचर, 1272 लोगों के बैठने की जगह, ऐतिहासिक सेंगोल – नई संसद पुरानी वाली से कैसे अलग है

यहां देखें कि गुजरात बेस्ड आर्किटेक्ट बिमल पटेल द्वारा डिजाइन की गई नई संसद ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडवर्ड लुटियंस और हर्बर्ट बेकर द्वारा डिजाइन की गई मौजूदा संसद से कितनी अलग है.

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नई दिल्ली: 75 सालों बाद नई संसद के उद्घाटन के साथ ही भारत को सत्ता का नया केंद्र मिल गया है. नए संसद भवन के उद्घाटन का समारोह रविवार तड़के शुरू हुआ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगभग 7.15 बजे परिसर में पहुंचे और थेवरम से आशीर्वाद के लिए शिव का आह्वान करते हुए भक्ति छंदों के पाठ के बीच, नई लोकसभा के भीतर स्पीकर की कुर्सी के बगल में सोने का परत चढ़ा चांदी का राजदंड स्थापित किया.

पीएम मोदी ने एक ट्वीट में लिखा,”भारत की संसद के नए भवन के उद्घाटन के साथ ही, हमारे दिल और दिमाग गर्व, आशा और वादे से भरे हुए हैं. हम कामना करते हैं कि यह प्रतिष्ठित इमारत सशक्तीकरण, सपनों को जगाने और उन्हें हकीकत में बदलने का उद्गम स्थल हो. यह हमारे महान राष्ट्र को प्रगति की नई ऊंचाइयों पर ले जाए.”

1,272 लोगों के बैठने की क्षमता वाला नया संसद भवन न केवल पहले के संसद भवन की तुलना में ज्यादा विशाल है बल्कि अत्याधुनिक तकनीकी सुविधाओं से भी सुसज्जित है.

नए संसद भवन में प्रत्येक सांसद की सीट के सामने मल्टीमीडिया डिस्प्ले यूनिट, मतदान में आसानी के लिए बायोमेट्रिक्स, एक डिजिटल लैंग्वेज ट्रांसलेशन सिस्टम और प्रोग्रामेबल माइक्रोफोन जैसे कुछ हाई-टेक फीचर्स हैं.

पुरानी संसद से नई संसद तक के इस सफर में हम देखते हैं कि यह नई संसद पुरानी संसद से कैसे अलग है.

Illustration: Soham Sen | ThePrint
चित्रण: सोहम सेन | दिप्रिंट

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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