नयी दिल्ली, 10 मई (भाषा) नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) के नवीनतम आंकड़ों से पता चला है कि 2020-21 में भारत की ज्यादा मृत्यु दर अपेक्षित मृत्यु दर से 9.3 प्रतिशत अधिक थी। यह आंकड़ा अमेरिका, इटली और रूस से कम है। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
सूत्रों ने बताया कि सीआरएस में दर्ज मौतों की संख्या समय के साथ बढ़ रही है। वर्ष 2020 में कोविड-19 के प्रकोप से पहले के वर्षों में भी यह रूझान देखा गया था।
ज्यादा मृत्यु दर, कोविड-19 जैसे संकट के दौरान सभी कारणों से होने वाली अतिरिक्त मृत्यु संख्या है, जो ‘‘सामान्य’’ परिस्थितियों के दौरान दर्ज की जाने वाली अपेक्षित मृत्यु संख्या से अधिक है।
पिछले साल की तुलना में किसी संबंधित वर्ष में देखी गई वार्षिक वृद्धि 2016 में 1.3 प्रतिशत से लेकर 2019 में 9.93 प्रतिशत तक भिन्न रही। वहीं, तीन वर्षों (2016 से 2019) में औसत वृद्धि 6.42 प्रतिशत प्रति वर्ष अनुमानित की गई है।
सूत्रों के मुताबिक, सीआरएस में पंजीकृत मौतों में वार्षिक वृद्धि के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं। इनमें बड़ा जनसंख्या समूह, मामलों को दर्ज करने की मजबूत प्रक्रिया और पंजीकरण की आवश्यकता के बारे में बढ़ती जागरूकता शामिल है, जिसके कारण पंजीकरण का स्तर अधिक हुआ।
पेंशन योजनाओं, सामाजिक सुरक्षा लाभों और संपत्ति के मुद्दों पर मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए अनिवार्य आवश्यकताओं से पिछले कुछ वर्षों में इसमें बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा, कोविड-19 से मौत की स्थिति में मुआवजे के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है, जिससे सीआरएस के तहत पंजीकरण बढ़ा।
एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, ‘‘हमारी टीम ने वर्ष 2020 और 2021 में कुल संचयी ज्यादा मौतों का आकलन करने के लिए सीआरएस डेटा का प्रारंभिक विश्लेषण किया।’’
उसने बताया कि तीन साल (2016-19) के आधार पर, 6.42 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर के साथ 2020 में मौतों की अपेक्षित संख्या 81,31,869 और 2021 में 86,54,185 है।
हालांकि, 2020 में 81,15,882 और 2021 में 1,02,24,506 मौतें हुई थीं।
सूत्र ने कहा कि अतिरिक्त मौतें, जिन्हें ‘माइनस’ अपेक्षित मौतों के रूप में परिभाषित किया गया है, क्रमशः (-)15,987 और 15,70,321 थीं।
सूत्र के अनुसार, ‘‘इस प्रकार, दो साल की अवधि में कुल अतिरिक्त मौतें 15,54,334 थीं। प्रतिशत के हिसाब से, यह अपेक्षित मौतों से 9.3 प्रतिशत अधिक है। इसका मतलब है कि प्रति दस लाख आबादी पर लगभग 1,249 अतिरिक्त मौतें हुईं।’’
सूत्र ने रेखांकित किया कि इस बात पर जोर दिया जाना चाहिए कि इन वर्षों में अतिरिक्त मौतें कोविड-19 से होने वाली प्रत्यक्ष मौतों के समान नहीं हैं।
इन अतिरिक्त मौतों में कोविड-19 से दर्ज की गई मौतें (2021 के अंत तक 4,81,080), कोविड-19 से अपंजीकृत मौतें, अन्य सभी कारणों से हुई मौतें और कोविड-19 के संभावित अप्रत्यक्ष प्रभाव से हुई मौतें शामिल हैं।
सूत्र ने कहा, ‘‘इन अनुमानों के आकलन के लिए, भविष्य में और अधिक सूक्ष्म विश्लेषणों के साथ, हमने 2020 और 2021 के लिए भारत में संचयी कुल अतिरिक्त मौतों की तुलना उन चुनिंदा देशों से की, जो इसी अवधि के दौरान अतिरिक्त मृत्यु दर पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़े उपलब्ध कराते हैं।’’
उच्च आय वाले कुछ देशों में अपेक्षित मृत्यु दर से ज्यादा अतिरिक्त मृत्यु दर के मामले आए। यह दर अमेरिका में 17.6 प्रतिशत, इटली में 11.8 प्रतिशत, ब्रिटेन में 11.6 प्रतिशत, रूस में 29.9 प्रतिशत, फ्रांस में 6.7 प्रतिशत, जर्मनी में 5.3 प्रतिशत और कनाडा में 5.2 प्रतिशत पाई गई।
मध्यम आय वाले देशों में अतिरिक्त मृत्यु दर मैक्सिको में 43.6 प्रतिशत और ब्राजील में 12.6 प्रतिशत थी। भारत के लिए यह आंकड़ा 9.3 प्रतिशत था।
सूत्र ने कहा, ‘‘दूसरे तरीके से कहा जाए तो भारत में प्रति दस लाख पर 1,249 अतिरिक्त मौतें अमेरिका (प्रति 10 लाख पर 3,021), इटली (2,573), ब्रिटेन (1,874), फ्रांस (1,281), रूस (7,240), मैक्सिको (5,217) और ब्राजील (1,820) की तुलना में बहुत कम थीं, लेकिन कनाडा (825) और जर्मनी (1,214) की तुलना में कुछ अधिक थीं।’’
सूत्रों ने बताया कि पिछले कुछ समय में मॉडलिंग पद्धति के आधार पर 2020 और 2021 के दौरान भारत में ज्यादा मौतों के मामले सार्वजनिक रूप से सामने आए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट में भारत में 47 लाख अतिरिक्त मौतों का अनुमान लगाया गया। एक शीर्ष शोध पत्रिका में छपी रिपोर्ट में इस अवधि में लगभग 41 लाख अतिरिक्त मौतों का आंकड़ा दिया गया।
उच्च रिपोर्टिंग दर पर वास्तव में गिने गए मौतों के सीआरएस आंकड़े, वार्षिक वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, 15,54,334 का बहुत कम अनुमान देते हैं।
आधिकारिक सूत्र ने कहा, ‘‘भारत में महामारी की आपात स्थिति से निपटने के लिए सरकार और समाज की ओर से समग्र कार्रवाई की गई। इस रणनीति के तहत पांच कदम उठाए गए, जिनमें जांच, संक्रमण की कड़ी को तोड़ना, नैदानिक देखभाल, सुरक्षित व्यवहार और टीकाकरण शामिल है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वायरस को अंततः भारत में निर्मित टीकों से पराजित किया गया, और दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रम में 220 करोड़ से अधिक खुराक दी गईं। इनमें से 145 करोड़ खुराक 2021 में दी गईं।’’
सूत्र ने कहा कि शोध पत्रिका ‘लांसेट’ में बताया गया कि 2021 में भारत में कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम ने 34 लाख लोगों की जान बचाई।
भारत में नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 के तहत सभी जन्मों और मृत्यु को रिकॉर्ड करने के लिए एक अनिवार्य, स्वतंत्र और सार्वभौमिक प्रणाली है। इन मामलों की सूचना स्थानीय रजिस्ट्रार को दी जाती है, जिसके आधार पर प्रत्येक राज्य अपनी संबंधित रिपोर्ट तैयार करता है। राज्य से एकत्रित आंकड़ों को भारत के रजिस्ट्रार जनरल (आरजीआई) द्वारा वार्षिक महत्वपूर्ण सांख्यिकी रिपोर्ट के रूप में प्रकाशित किया जाता है।
भाषा आशीष पारुल
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