मुंबई, 12 मार्च (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह मराठा समुदाय को आरक्षण देने के महाराष्ट्र सरकार के कदम पर अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर 10 अप्रैल को सुनवाई करेगी। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार को याचिकाओं पर जवाब देने के लिए समय चाहिए।
अदालत ने कहा कि आरक्षण देने का यह फैसला एक कानून में निहित है ना कि कोई प्रशासनिक आदेश है, इसलिए इस कनून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान इसके प्रावधानों को ध्यान में रखना होगा।
एक खंडपीठ ने राज्य सरकार को समुदाय को नौकरियों एवं शिक्षा में अलग से 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाले हाल ही में लागू कानून के अमल पर अंतरिम राहत की मांग करने वाली याचिकाओं के जवाब में एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की पीठ ‘महाराष्ट्र राज्य सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण अधिनियम-2024’ को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इस कानून के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था।
आरक्षण उपलब्ध कराने वाला विधेयक पिछले महीने राज्य विधानमंडल के एक विशेष सत्र में पारित किया गया था। याचिकाकर्ताओं ने मंगलवार को अदालत से अंतिम सुनवाई और उनकी याचिकाओं के निपटारे तक कानून के अमल पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की।
भाषा संतोष रंजन
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