प्रयागराज, 27 जुलाई (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ‘अनैतिक आचरण’ के आरोपी होमगार्ड कमांडेंट मनीष दुबे के निलंबन पर रोक लगाते हुए कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप ‘अस्पष्ट’ हैं और यह नहीं दर्शाते कि वह ‘अपने निजी जीवन में जो कुछ भी करते हैं वह उनके कर्तव्यों के निर्वहन के आड़े आता है।’
सफाई कर्मचारी आलोक मौर्य ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी एसडीएम ज्योति मौर्य और दुबे के बीच अवैध संबंध हैं। उसने मीडिया के सामने दावा किया था कि 2010 में शादी के बाद उसने ज्योति की पढ़ाई का खर्च उठाया था, लेकिन जब उसने पीसीएस परीक्षा पास कर ली और 2015 में एसडीएम बन गई, तो उसके प्रति उसका रवैया बदल गया और उसने तलाक मांग लिया।
विवाद के बीच दुबे को सात नवंबर 2023 को अतिरिक्त मुख्य सचिव (होमगार्ड्स), लखनऊ द्वारा निलंबित कर दिया गया, जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया।
दुबे द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने राज्य सरकार के अधिवक्ता को तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और इस मामले की अगली सुनवाई की तिथि 27 अगस्त 2024 तय की।
उन्होंने निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ता को ड्यूटी करने दी जाए और उसे नियमित वेतन का भुगतान किया जाए।
अदालत ने 26 जुलाई को उक्त निर्देश पारित करते हुए कहा, ‘‘जिन आरोपों के आधार पर याचिकाकर्ता को निलंबित किया गया है, उनमें से ज्यादातर याचिकाकर्ता द्वारा महिला के साथ व्हाट्सऐप पर संदेश के आदान प्रदान को लेकर लगाए गए आरोप शामिल हैं।’’
अदालत ने कहा, ‘‘प्राप्त जवाब से याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप का जो सारांश निकलकर सामने आता है, उनसे यह प्रदर्शित नहीं होता कि उनके निजी जीवन से उनकी ड्यूटी में किसी तरह का दखल पड़ा हो।’’
अदालत ने कहा, ‘‘ज्यादातर आरोप या तो दुविधा से भरे हैं या अस्पष्ट हैं। केवल एक आरोप याचिकाकर्ता के बारे में सही है कि वह मुख्यालय छोड़कर दिल्ली के एक होटल में गए। याचिकाकर्ता गाजियाबाद में तैनात है। यदि थोड़े समय के लिए वह बिना अनुमति के गाजियाबाद से दिल्ली चला जाए तो इसके लिए उसे इतना बड़ा दंड नहीं दिया जा सकता।’’
भाषा राजेंद्र शोभना
शोभना
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