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Tuesday, 19 November, 2024
होमदेशउच्च न्यायालय ने कहा, साबित करें कि लोकल ट्रेन से यात्रा पर उसकी नीति व्यापक जनहित में है

उच्च न्यायालय ने कहा, साबित करें कि लोकल ट्रेन से यात्रा पर उसकी नीति व्यापक जनहित में है

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मुंबई, आठ फरवरी (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार को यह साबित करने का निर्देश दिया कि कोविड का टीका नहीं लगवाए लोगों को मुंबई में लोकल ट्रेन में यात्रा करने से निषिद्ध करने का उसका फैसला व्यापक जनहित में है।

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को यह निर्देश दिया। याचिका में राज्य सरकार के इस फैसले को चुनौती देते हुए इसे मनमाना, भेदभावपूर्ण और संविधान के अनुच्छेद 19 (1) के तहत प्रदत्त मूल अधिकार का हनन बताया गया है।

इसके पहले, राज्य सरकार के वकील अनिल अंतुरकर ने अदालत को बताया कि हालांकि कोविड-19 महामारी के बीच कई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) पर फैसला करने के लिए पिछले साल एक बैठक की गई थी, लेकिन बैठक में हुई चर्चा का कोई विवरण रिकार्ड नहीं किया गया। उस वक्त राज्य ने कोविड-19 टीके की दोनों खुराक नहीं लगवाये लोगों को लोकल ट्रेन से यात्रा करने देने से निषिद्ध करने का फैसला किया था।

पीठ ने कहा कि राज्य सरकार कुछ ठोस प्रमाण सौंपे जो यह प्रदर्शित करता हो कि एक बैठक हुई थी और मुद्दे पर चर्चा हुई थी।

अदालत ने कहा, ‘‘आपको यह प्रदर्शित करना होगा कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में एक त्रुटि थी लेकिन इस तरह के फैसले नागरिकों के हित में हैं और व्यापक जनहित में, इस तरह के फैसले में अदालत द्वारा हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए। ’’

वहीं, केंद्र सरकार के वकील एवं अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल अनिल सिंह ने उच्च न्यायालय को बताया कि केंद्र की ऐसी कोई नीति नहीं है जो टीकाकरण नहीं कराए और टीकाकरण करा चुके लोगों के बीच भेदभाव करती हो।

भाषा सुभाष अनूप

अनूप शाहिद

शाहिद

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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