नयी दिल्ली, चार मार्च (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उस याचिका पर फिलहाल नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया जिसमें शराब की बोतल और पैकेट पर स्वास्थ्य चेतावनी प्रकाशित करने के लिए सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी। याचिका में सिगरेट के पैकेट की तरह ही शराब के सम्बंध में स्वास्थ्य चेतावनी जारी करने का अनुरोध किया गया है। अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता दैनिक आधार पर बहुत अधिक याचिकायें दायर करता रहा है।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्ण की पीठ ने मामले को चार जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया। पीठ ने कहा कि याची की सभी याचिकाओं को एकत्र किया जायेग और इसके बाद अदालत देखेगी कि क्या करना है।
अदालत याचिकाकर्ता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उपध्याय ने अपनी याचिका में अदालत से दिल्ली सरकार को यह निर्देश देने का अनुरोध किया है कि वह हानिकारक पेय और मादक पदार्थ के उपभोग, वितरण और उत्पादन पर प्रतिबंध लगाए या उसे नियंत्रित करे। याचिका में स्वास्थ्य अधिकार को लेकर संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला दिया गया है।
अदालत ने कहा, ‘‘हम नोटिस जारी नहीं कर रहे हैं। दूसरे पक्ष के वकील उपाध्याय द्वारा दायर सभी याचिकाओं को जमा कर रहे रहें। हम अगली तारीख चार जुलाई को देखेंगे कि क्या किया जाना है। आपकी दराज आदि में कितनी याचिकाएं हैं। प्रतिदिन आप याचिका दायर कर रहे हैं। आप लोग रोजाना जनहित याचिका दायर कर रहे हैं, क्या आपके पास कुछ और है।’’
याचिका पर उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘शराब की बोतल पर चेतावनी का सवाल ही कहां है? कोई सवाल नहीं है।’’ याचिका में अधिकारियों को इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और सोशल मीडिया के माध्यम से नशीले पेय से जुड़े ‘स्वास्थ्य और पर्यावरण खतरे’ का विज्ञापन करने का निर्देश देने की मांग की गई है, ताकि नागरिकों के जानने का अधिकार, सूचना का अधिकार और स्वास्थ्य का अधिकार सुनिश्चित किया जा सके।
भाषा संतोष अनूप
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