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बुधवार, 4 जून, 2025
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उच्च न्यायालय का अदालत कर्मी को भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तारी से तत्काल संरक्षण देने से इनकार

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नयी दिल्ली, 27 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को अधीनस्थ अदालत के कर्मचारी को भ्रष्टाचार के एक मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण देने से इनकार कर दिया और कहा कि आरोप ‘बहुत गंभीर’ हैं।

न्यायमूर्ति अमित शर्मा ने अहलमद (रिकॉर्ड रखने वाला अदालत का कर्मचारी) की अग्रिम जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया और भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) से जवाब दाखिल करने को कहा।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने तर्क दिया कि इस मामले में जांच निष्पक्ष नहीं थी और उन्होंने अदालत से गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण देने का आग्रह किया।

अदालत ने कहा कि वह अंतरिम राहत के मुद्दे पर 29 मई को विचार करेगी। याचिका में कर्मचारी ने अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को खारिज करने का अनुरोध किया है। लेकिन न्यायालय ने इस अनुरोध पर तत्काल कोई निर्देश देने से इनकार कर दिया।

न्यायाधीश ने मौखिक रूप से कहा, ‘‘बहुत गंभीर आरोप हैं। साक्ष्य रिकॉर्ड पर आ गए हैं। हमारे अपने स्टाफ का एक व्यक्ति… उन्होंने (एसीबी) बयान दिया है कि वे हिरासत में लेकर आप से पूछताछ करना चाहते हैं।’’

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल कई बार जांच में शामिल हुए हैं और इस मामले में एक-दूसरे के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज कराई गई हैं।

याचिकाकर्ता ने पहले दावा किया था कि एसीबी ने अधीनस्थ अदालत के एक न्यायाधीश को फंसाने के लिए रिश्वतखोरी के मामले से जुड़ी प्राथमिकी दर्ज की थी ताकि ‘उनसे बदला लिया जा सके’, जबकि इसके पहले न्यायाधीश ने एसीबी के एक संयुक्त आयुक्त को नोटिस जारी कर पूछा था कि कर्मचारियों को कथित रूप से धमकाने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में अवमानना ​​का मामला क्यों न दर्ज किया जाए।

अभियोजक ने किसी भी तरह की राहत देने का विरोध किया और कहा कि वह जवाब दाखिल करेंगे। सरकारी अभियोजक ने दावा किया कि पूरी साजिश का पता लगाने के लिए हिरासत में पूछताछ की जरूरत है, जिसके बाद 22 मई को सत्र अदालत ने अहलमद की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

अहलमद (38) 14 सितंबर, 2023 से 21 मार्च, 2025 के बीच राउज एवेन्यू जिला अदालत के एक विशेष न्यायाधीश की अदालत में पदस्थ था।

एसीबी ने 16 मई को, जमानत दिलाने के लिए आरोपी (अहलमद) द्वारा रिश्वत की मांग किये जाने की शिकायतों के बाद उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। उच्च न्यायालय के समक्ष एक अन्य याचिका में, अहलमद ने प्राथमिकी के साथ-साथ आगे की सभी कार्यवाही को रद्द करने का अनुरोध किया है।

उसने निष्पक्ष जांच के लिए मामले को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित करने के लिए उच्च न्यायालय से निर्देश देने का अनुरोध किया है।

उच्च न्यायालय प्रशासन ने 14 फरवरी को कथित रिश्वतखोरी के लिए संबंधित विशेष न्यायाधीश के खिलाफ जांच शुरू करने के एसीबी के अनुरोध को यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि एजेंसी के पास न्यायाधीश के खिलाफ ‘पर्याप्त सामग्री’ नहीं है।

हालांकि, उच्च न्यायालय ने एसीबी से जांच जारी रखने के लिए कहा था और सुझाव दिया था कि यदि विशेष न्यायाधीश की संलिप्तता दिखाने वाली कोई सामग्री मिलती है तो वह उच्च न्यायालय का फिर से रुख करे।

न्यायाधीश को 20 मई को उच्च न्यायालय द्वारा प्रशासनिक आदेश के माध्यम से राउज एवेन्यू अदालत से दूसरे जिले में स्थानांतरित कर दिया गया था।

भाषा संतोष मनीषा

मनीषा

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यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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