अहमदाबाद, छह नवंबर (भाषा) गुजरात उच्च न्यायालय ने जमीन आवंटन से जुड़े वर्ष 2004 के एक मामले में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी प्रदीप शर्मा को आरोपमुक्त करने से इनकार कर दिया।
इस मामले में शर्मा पर कच्छ जिले का जिलाधिकारी रहने के दौरान एक औद्योगिक इकाई को जमीन आवंटित कर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने का आरोप है।
न्यायमूर्ति संदीप भट्ट ने एक नवंबर को भुज में न्यायिक मजिस्ट्रेट और सत्र अदालतों के आदेशों में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि प्रथम दृष्टया आवेदक के विरुद्ध मामला बनता है।
उच्च न्यायालय का यह आदेश हाल में उपलब्ध कराया गया है।
शर्मा ने इस मामले में उन्हें आरोपमुक्त करने से निचली अदालत द्वारा इनकार करने के 30 मार्च, 2018 के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। निचली अदालत के आदेश पर सत्र अदालत ने 27 सितंबर, 2018 को आंशिक रूप से मुहर लगा दी थी।
सत्र अदालत ने भादंसं की धाराओं 409 (जनसेवक द्वारा विश्वासघात) और 120 (आपराधिक साजिश) के तहत आरोपों को बरकरार रखा था जबकि धारा 217 (संपत्ति की जब्ती रोकने के लिए उसपर धोखापूर्ण दावा करना) हटा दी थी।
शर्मा पर उस अपराध को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गयी थी जो 2003-2006 के दौरान कच्छ के जिलाधिकारी रहने के दौरान किया गया था।
उनपर आरोप है कि उन्होंने सॉ पाइप लिमिटेड को सस्ती दर पर सरकारी जमीन आवंटित करने के लिए अन्य के साथ साठगांठ की तथा सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया।
भाषा राजकुमार संतोष
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