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सोमवार, 2 जून, 2025
होमदेशउच्च न्यायालय ने दो ‘घोषित विदेशियों’ की जानकारी देने का असम सरकार को नोटिस जारी किया

उच्च न्यायालय ने दो ‘घोषित विदेशियों’ की जानकारी देने का असम सरकार को नोटिस जारी किया

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गुवाहाटी, 30 मई (भाषा) गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने असम सरकार को नोटिस जारी कर यह जानकारी देने का निर्देश दिया कि न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित किए गए दो भाई कहां हैं?

अदालत ने साथ ही ‘घोषित विदेशियों की मनमाने ढंग से गिरफ्तारी’’ के बारे में विवरण उपलब्ध कराने का सरकार को निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता ने इन विदेशियों को अवैध रूप से बांग्लादेश भेजे जाने की आशंका जताई है।

न्यायमूर्ति कल्याण राय सुराना और न्यायमूर्ति मालाश्री नंदी की खंडपीठ ने राज्य सरकार को अबू बकर सिद्दीक और उसके भाई अकबर अली के बारे में जानकारी देने का बृहस्पतिवार को निर्देश दिया। उन्हें 25 मई को कामरूप जिले के नगरबेरा पुलिस थाने के अधिकारियों ने हिरासत में लिया था।

अदालत ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख चार जून तय की है।

अदालत ने सिद्दीक और अकबर अली के रिश्तेदार तोराप अली द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान नोटिस जारी किया। तोराप ने याचिका में कहा है कि उसके परिवार को आशंका है कि उसके दोनों रिश्तेदारों को ‘‘अवैध रूप से बांग्लादेश भेजे जाने का खतरा है।’’

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि अधिकारियों ने 25 मई को दोनों भाइयों को पुलिस थाने बुलाए जाने के बाद से यह नहीं बताया है कि वे कहां हैं।

राज्य के वकील जे पायेंग ने सुनवाई के दौरान कहा कि सिद्दीक एवं अकबर अली को हिरासत में लिया गया है और वे अब असम सीमा पुलिस की हिरासत में हैं।

दोनों भाइयों को विदेशी न्यायाधिकरण द्वारा 2017 में विदेशी घोषित कर दिया गया था जिसके बाद उन्हें गोवालपारा के एक नजरबंदी शिविर में भेज दिया गया था। वे यह साबित करने के लिए दस्तावेज प्रस्तुत करने में असफल रहे थे कि वे या उनके पूर्वज 24 मार्च 1971 से पहले देश आये थे जो कि 1985 के असम समझौते द्वारा तय की गई सीमा है।

उन्हें 2020 में उच्चतम न्यायालय के इस निर्देश के बाद जमानत पर रिहा कर दिया गया था कि जो लोग दो साल से अधिक समय से हिरासत में हैं उन्हें जमानत पर रिहा किया जा सकता है।

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि दोनों व्यक्तियों को कानून के तहत उपलब्ध सभी कानूनी उपायों का सहारा लेने का अवसर नहीं मिला।

विदेशी न्यायाधिकरण विशेष रूप से असम में अर्ध-न्यायिक निकाय हैं जो यह निर्धारित करने के लिए स्थापित किए गए हैं कि क्या भारत में रहने वाला कोई व्यक्ति 1964 के विदेशी (न्यायाधिकरण) आदेश के आधार पर 1946 के विदेशी अधिनियम के तहत परिभाषित ‘‘विदेशी’’ है या नहीं।

भाषा

सिम्मी नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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