नैनीताल, दो मई (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हाल में एक नाबालिग लड़की के साथ कथित तौर पर दुष्कर्म करने के आरोपी अल्पसंख्यक समुदाय के एक बुजुर्ग व्यक्ति के मकान के ध्वस्तीकरण के लिए नोटिस जारी करने पर शुक्रवार को स्थानीय नगर पालिका अधिकारियों की खिंचाई की।
मुख्य न्यायाधीश जी नरेंदर और न्यायमूर्ति रवींद मैठाणी की खंडपीठ ने कहा कि ऐसा नोटिस जारी करने से स्थिति और बिगड़ गयी है । पीठ ने कहा कि ऐसे नोटिस आग बुझाने की बजाय आग में घी डालने का काम करते हैं ।
दुष्कर्म के आरोपी की पत्नी उच्च न्यायालय में यह मामला लेकर पहुंची थी। इस दौरान ध्वस्तीकरण नोटिस को ‘बुलडोजर न्याय’ बताते हुए कहा गया कि यह उच्चतम न्यायालय के आदेशों के विपरीत है ।
नैनीताल नगर पालिका ने आरोपी समेत 62 लोगों को ऐसे नोटिस जारी करने के लिए अदालत के सामने बिना शर्त माफी मांगी और भरोसा दिलाया कि उन्हें वापस ले लिया जाएगा ।
इस मामले की सुनवाई अब मंगलवार को होगी ।
उच्च न्यायालय ने कहा कि नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी की कार्रवाई उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवमानना है।
पहलगाम में मारे गए नौसेना अधिकारी की पत्नी को उद्धृत करते हुए अदालत ने कहा कि आतंकी हमले की प्रतिक्रिया में मुसलमानों या कश्मीरियों पर गुस्सा नहीं निकाला जाना चाहिए।
अदालत ने कहा कि नैनीताल के नागरिकों को उसके उदाहरण का अनुसरण करना चाहिए और समुदाय या आरोपी पर अपना गुस्सा नहीं निकालना चाहिए ।
नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रहलाद मीणा भी वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए सुनवाई में शामिल हुए जबकि नगर पालिका के दोनों अधिशासी अधिकारी व्यक्तिगत रूप से उच्च न्यायालय में पेश हुए।
उस्मान नामक 60 वर्षीय एक बुजुर्ग द्वारा 12 साल की लड़की से कथित दुष्कर्म की घटना के सामने आते ही बुधवार रात को नैनीताल में सांप्रदायिक तनाव फैल गया था और कुछ हिंदू संगठनों ने सड़कों पर उतरकर विरोध में अल्पसंख्यक समुदाय की दुकानों में तोड़फोड़ की थी ।
प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान विरोधी नारे लगाए और दुकानों के बाहर खड़े वाहनों को नुकसान पहुंचाया । उन्होंने एक मस्जिद पर पत्थर भी फेंके ।
आरोपी की गिरफ़्तारी से हालात कुछ नियंत्रण में आए लेकिन शहर में अब भी तनाव बना हुआ है और स्थिति को बिगड़ने से रोकने के लिए भारी पुलिस बल तैनात है ।
उच्च न्यायालय ने यह भी पूछा कि कोतवाली के इतने नजदीक क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव के दौरान इतना नुकसान कैसे हो सकता है ।
हल्द्वानी में बृहस्पतिवार को आरोपी को पॉक्सो अदालत ले जाते समय उस पर गुस्साए वकीलों द्वारा हमले की कोशिश करने पर भी अदालत ने पूछा कि पहले से क्षेत्र की घेराबंदी क्यों नहीं की गयी ।
भाषा सं दीप्ति राजकुमार
राजकुमार
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