नयी दिल्ली, छह अप्रैल (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह कुछ व्यक्तियों को विमानन कंपनी के शेयर के हस्तांतरण में कथित तौर पर की गई धोखाधड़ी के मामले में स्पाइसजेट के प्रवर्तक अजय सिंह की अग्रिम जमानत याचिका पर सात अप्रैल को फैसला सुनाएगा।
न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने सिंह का पक्ष रख रहे वकील, शिकायतकर्ता और दिल्ली पुलिस की दलीलें सुनने के बाद अग्रिम जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया। उन्होंने कहा, “यह देखा जाना चाहिए कि आपराधिक इरादा बनता है या नहीं। हम याचिका पर फैसला बृहस्पतिवार तक के लिए सुरक्षित रखते हैं।”
निचली अदालत ने बीते महीने सिंह की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। अदालत ने कहा था कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के अलावा अपराध की गंभीरता को देखते हुए उसे सिंह को राहत देने के लिए पर्याप्त आधार नहीं मिला।
सिंह के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने उच्च न्यायालय के समक्ष दलील दी है कि स्पाइसजेट के प्रवर्तक को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि सिंह भागने वाले नहीं हैं और वह जांच में पूर्ण सहयोग कर रहे हैं।
लूथरा ने यह भी कहा कि सिंह ने 10 लाख रुपये की राशि भी वापस कर दी है, जो शिकायतकर्ता द्वारा उन्हें शेयरों के हस्तांतरण के लिए दी गई थी।
उन्होंने बताया कि एक मध्यस्थता न्यायाधिकरण के समक्ष अलग से लंबित विवाद के कारण शेयर हस्तांतरण पर अमल नहीं हो सका और वह जांच के दायरे में आए शेयर को ‘अलग एवं सुरक्षित’ रखने के लिए तैयार हैं।
वहीं, शिकायतकर्ता की ओर से पेश वकील विकास पाहवा ने सिंह की अग्रिम जमानत याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा कि मौजूदा मामला बेहद ‘गंभीर’ है और सिंह उसी दिन फरार हो गए थे, जब निचली अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी थी।
इस पर, लूथरा ने कहा कि सिंह किसी जरूरी काम के सिलसिले में विदेश गए थे और वह वापस आने का इरादा रखते हैं।
दिल्ली पुलिस ने भी सिंह की अग्रिम जमानत याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि उनके खिलाफ अन्य आपराधिक मामले भी लंबित हैं और मौजूदा केस में उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया है।
मौजूदा मामले में दिल्ली के एक व्यवसायी और उसके परिजनों ने आरोप लगाया है कि उनके और आरोपी के बीच एक शेयर-खरीद समझौता था और उन्होंने स्पाइसजेट के 10 लाख शेयर के लिए आरोपी को 10 लाख रुपये का भुगतान किया था।
व्यवसायी ने कहा कि हालांकि, इन शेयर को स्थानांतरित नहीं किया गया, जिसके कारण सिंह के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई।
भाषा पारुल माधव
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