(सुदीप्तो चौधरी)
कोलकाता, आठ अक्टूबर (भाषा) भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने बुधवार को दावा किया कि उसने चार अक्टूबर को दार्जिलिंग में भारी बारिश से कुछ घंटे पहले वहां भूस्खलन का उच्च जोखिम वाला पूर्वानुमान जारी किया था। दार्जिलिंग में भारी बारिश के कारण विनाशकारी भूस्खलन हुआ था।
जीएसआई ने कहा कि यह आपदा भारी बारिश का परिणाम थी, जिसने हिमालयी भूभाग की प्राकृतिक स्थिरता को काफी कमजोर कर दिया है।
जीएसआई अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने चार अक्टूबर को अपराह्न करीब दो बजकर 15 मिनट पर दार्जिलिंग के लिए ‘ऑरेंज अलर्ट’ (उच्च जोखिम) जारी किया था, जो क्षेत्र में लगातार बारिश से कुछ घंटे पहले जारी किया गया था।
जीएसआई के उप महानिदेशक डॉ. सैबल घोष ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘हमने चार अक्टूबर को अपराह्न में दार्जिलिंग जिले के दार्जिलिंग पुलबाजार, जोरेबंगलो सुकियापोखरी, कुर्सेओंग, मिरिक और रंगली रंगलियोट ब्लॉक में भूस्खलन का पूर्वानुमान जारी किया था। यह अपराह्न करीब दो बजकर 15 मिनट पर जारी किया गया एक परिचालन बुलेटिन था।’’
इंजीनियरिंग भूविज्ञान और भूस्खलन विज्ञान के विशेषज्ञ घोष ने कहा कि जीएसआई देश के चार जिलों दार्जिलिंग, कलिम्पोंग, नीलगिरी (तमिलनाडु) और रुद्रप्रयाग (उत्तराखंड) के लिए परिचालन मोड में दैनिक बुलेटिन जारी कर रहा है, जिसका अर्थ है कि जनता की भी डेटा तक पहुंच है।
उन्होंने कहा कि ये अलर्ट जीएसआई के ‘भूसंकेत’ वेब पोर्टल और ‘भूस्खलन’ मोबाइल ऐप पर भी उपलब्ध हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हम मानसून के दौरान हर दिन यह बुलेटिन जारी करते हैं। इन चार जिलों के अलावा हम आठ राज्यों के 17 अन्य जिलों को भी बुलेटिन प्रदान करते हैं, लेकिन यह केवल संबंधित राज्य सरकारों को सत्यापन और डाटा संग्रह के लिए होता है।’’
उन्होंने कहा कि भूस्खलन से कुछ घंटे पहले जारी किया गया पूर्वानुमान महत्वपूर्ण वर्षा पूर्वानुमानों, मौजूदा जोखिम स्थितियों और इस समझ पर आधारित था कि क्षेत्र की पर्वतीय ढलानें पहले से ही भीगी और असुरक्षित थीं।
घोष को हिमालय में काम करने का तीन दशकों से अधिक का अनुभव है। उन्होंने कहा कि ऐसी चेतावनियां आईएमडी द्वारा प्रदान किए गए वास्तविक समय के वर्षा पूर्वानुमानों और जीएसआई द्वारा किए गए भूवैज्ञानिक आकलन पर आधारित होती हैं।
उन्होंने दार्जिलिंग में विनाशकारी भूस्खलन के कारणों के बारे में बताया कि मानसून के बाद अक्टूबर में भारी बारिश हिमालय की ढलानों के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करती है।
उन्होंने कहा, ‘‘हिमालयी क्षेत्रों में मानसून का मौसम जून से अक्टूबर तक होता है। इस दौरान भारी वर्षा के कारण भूस्खलन का खतरा हमेशा बना रहता है, लेकिन अक्टूबर की बारिश विशेष रूप से खतरनाक होती है, क्योंकि मिट्टी पहले से ही पूरी तरह से भीग चुकी होती है।’’
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