नई दिल्ली: भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में 5 अगस्त को सुबह 8:30 बजे से शाम 4:00 बजे के बीच 12.7 सेमी बारिश दर्ज की गई. इस भारी बारिश के कारण धराली गांव में अचानक बाढ़ आ गई, जिसमें कम से कम 4 लोगों की मौत हो गई और 50 से ज़्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं. बारिश से खीर गंगा नदी में भी बाढ़ आ गई.
आईएमडी के निदेशक मृत्युंजय महापात्र ने दिप्रिंट से कहा, “हम पक्के तौर पर नहीं कह सकते कि क्लाउडबर्स्ट हुआ है. हमारे उत्तरकाशी के स्टेशनों से मिले आंकड़ों के अनुसार ऐसा नहीं लगता, लेकिन इतना ज़रूर कह सकते हैं कि बेहद भारी बारिश के लिए अनुकूल परिस्थितियां थीं.”
उन्होंने आगे कहा, “हालांकि, यह इलाका ऊपरी हिमालय का है, हो सकता है कि कुछ दूरस्थ इलाकों में, जहां हमारे स्टेशन नहीं हैं, वहां क्लाउडबर्स्ट हुआ हो.”
मंगलवार दोपहर को उत्तरकाशी के धराली गांव में अचानक बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं हुईं. यह गांव समुद्र तल से 2,680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और गंगोत्री धाम जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण ठहराव स्थल भी है.
धराली गांव हर्षिल गांव से सिर्फ 3 किलोमीटर की दूरी पर है, जो खुद एक प्रमुख पर्यटन स्थल है. उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, 5 अगस्त को दोपहर करीब 1:40 बजे हर्षिल क्षेत्र में ‘क्लाउडबर्स्ट’ की वजह से भूस्खलन हुआ और मलबा धराली बाज़ार में भर गया.
आईआईटी बॉम्बे के जलवायु अध्ययन विभाग के रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ. रघु मर्तुगुडे ने बताया, “क्लाउडबर्स्ट तय मात्रा में बारिश के कम समय में गिरने से परिभाषित होता है. हो सकता है उत्तरकाशी की यह घटना तकनीकी रूप से क्लाउडबर्स्ट न हो, लेकिन चूंकि यह ढलान और नदी के पास हुआ, इसलिए बाढ़ और कटाव तुरंत हुआ.”
आईएमडी ने 1 अगस्त से ही उत्तराखंड के सभी ज़िलों, जिनमें उत्तरकाशी भी शामिल है, उनमें भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की थी. 5 अगस्त को उत्तरकाशी जिले के सभी छह वेदर स्टेशनों ने भारी बारिश दर्ज की. सबसे ज़्यादा बारिश संकरी में 4.3 सेमी रही, जबकि गंगोत्री में 0.1 सेमी और हर्षिल में 0.8 सेमी बारिश हुई.

उत्तरकाशी में अब भी कम है कुल मानसूनी बारिश
उत्तरकाशी ज़िले में कुल मिलाकर इस बार अब तक की बारिश राज्य के बाकी जिलों के मुकाबले कम रही है. 1 से 5 अगस्त के बीच उत्तरकाशी में औसत के मुकाबले 6% कम बारिश हुई. इसी अवधि में हरिद्वार में सामान्य से 238% ज़्यादा और देहरादून में 67% ज़्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई.
उत्तराखंड के भूवैज्ञानिक वाई.पी. सुंद्रियाल ने कहा, “लेकिन यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि हरिद्वार और देहरादून की भौगोलिक स्थिति लगभग मैदान जैसी है, जबकि धराली जैसे गांव पूरी तरह पहाड़ी हैं. उत्तरकाशी जैसे ज़िलों में थोड़ी सी भी बारिश बाढ़ की आशंका बढ़ा देती है.”
पूरे मानसून सीज़न में अब तक उत्तरकाशी में सामान्य से 7% कम बारिश हुई है. पूरे राज्य में सिर्फ चमोली और बागेश्वर ज़िलों में अब तक औसत से ज़्यादा बारिश हुई है, बाकी सभी ज़िलों में सामान्य से कम बारिश दर्ज हुई है.
जलवायु वैज्ञानिक रघु मर्तुगुडे ने बताया कि बीते दो दिनों में जिन ज़िलों में भारी बारिश हुई, वो सीज़न के बाकी हिस्से से एकदम उलट रहे.
उन्होंने एक्स पर लिखा कि उत्तर भारत में मानसून लाने वाली ‘नॉर्दर्न लो-लेवल जेट्स’ यानी निचली सतह की तेज हवाओं के ज़रिए अरब सागर से नमी आई. साथ ही, बंगाल की खाड़ी से चलने वाली पूरब की हवाओं ने और नमी पहुंचाई, जिससे मानसून एकदम तेज़ हो गया — मानो “स्टेरॉयड पर चला गया हो”.
हमारे लिए हर व्यक्ति की जान कीमती है, ग्राउंड जीरो पर तेजी से राहत कार्य किए जा रहे हैं। अब तक 80 से अधिक लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है। राहत एवं बचाव कार्यों के त्वरित सम्पादन के लिए शासन स्तर पर तीन अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। वायु सेना से भी मदद मांगी गई है। मैं… pic.twitter.com/6UAogOkI2T
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) August 5, 2025
मर्तुगुडे ने जलवायु परिवर्तन के असर का भी ज़िक्र किया. उन्होंने कहा, “आजकल हर मौसम की घटना पहले से कहीं ज़्यादा गर्म दुनिया में हो रही है, लेकिन उत्तरकाशी की यह खास घटना सीधे तौर पर भूमध्यसागर के तेज़ी से गर्म होने से जुड़ी है, जिससे पश्चिम से आने वाली हवाएं मज़बूत हुईं और उन्होंने उत्तर भारत और पाकिस्तान की तरफ रुख किया.”
2022 में इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की एक रिपोर्ट में पाया गया था कि भूमध्यसागर का तापमान दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में 20% तेज़ी से बढ़ रहा है और यह क्षेत्र 2022 में ही 1.5 डिग्री सेल्सियस की वार्मिंग सीमा को पार कर चुका है.
बेबुनियाद निर्माण ने बढ़ाई मुसीबत
उत्तराखंड के भूवैज्ञानिक वाई.पी. सुंद्रीयाल ने बाढ़ संभावित इलाकों और पहाड़ी क्षेत्रों में बेतरतीब निर्माण के खतरों को लेकर चिंता जताई. उन्होंने कहा, “बारिश तो एक वजह है, लेकिन जो असली तबाही हम धराली में देख रहे हैं, उसका बड़ा कारण यह है कि हमने नदी के इतने पास, एक जोखिम भरे इलाके में निर्माण कर लिया.”
उन्होंने सवाल उठाया, “सरकार कितनी बार चेतावनी देगी? फिर हादसा होगा, जान-माल का नुकसान होगा और सरकार मुआवज़ा दे देगी, लेकिन हम शुरू से ही असुरक्षित जगहों पर निर्माण की इजाज़त क्यों देते हैं?”
भारतीय मौसम विभाग ने 6 से 9 अगस्त तक उत्तराखंड में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है.
इस बीच, मंगलवार देर रात मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि धराली में फंसे लोगों को बचाने के लिए सेना और राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) दोनों काम कर रहे हैं. साथ ही, अन्य सरकारी विभाग बिजली और पानी की आपूर्ति बहाल करने और फंसे लोगों को इलाज और भोजन मुहैया कराने के प्रयास में लगे हैं.
धामी ने बताया कि मंगलवार रात तक 70 लोगों को बचा लिया गया है, लेकिन भूस्खलन में फंसे बाकी लोगों को निकालने के लिए राहत कार्य जारी है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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