ईटानगर, चार जून (भाषा) अरुणाचल प्रदेश में बाढ़ की स्थिति बुधवार को भी गंभीर बनी रही और लगातार बारिश के कारण पूरे राज्य में नए सिरे से भूस्खलन और जलभराव की आशंका पैदा हो गई है।
अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि राज्य के 23 जिलों में 3,000 से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं।
राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (एसईओसी) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल मानसून की बारिश के कारण हुए भूस्खलन और बाढ़ के कारण कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई है, जबकि दो लापता लोगों की तलाश के लिए अभियान जारी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दिबांग घाटी और अंजॉ जिलों में और मागी तथा सिजी के पास लिकाबाली-आलो राजमार्ग पर नए सिरे से भूस्खलन होने की सूचना मिली है, जिससे वाहनों की आवाजाही बाधित हुई है। इसमें कहा गया है कि राज्य की कई प्रमुख नदियां उफान पर हैं।
अधिकारियों ने बताया कि राज्य में नौ लोगों की मौत भूस्खलन के कारण हुई, एक की बाढ़ से संबंधित घटना में, दूसरे की दीवार गिरने के कारण और मई में लोंगडिंग जिले में खराब मौसम के दौरान पेड़ गिरने से एक व्यक्ति की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक आपदाओं के दौरान चार अन्य लोग घायल भी हुए।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि अरुणाचल प्रदेश में बाढ़ और भूस्खलन से 3,000 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। चांगलांग सबसे अधिक प्रभावित जिला है, जहां छह गांव जलमग्न हो गए हैं और 2,231 लोग बेघर हो गए हैं।
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ), राज्य पुलिस और स्वयंसेवकों के सहयोग से राहत और बचाव कार्य जारी है।
उपमुख्यमंत्री चौना मीन ने नुकसान का आकलन करने और आपदा प्रतिक्रिया प्रयासों का जायजा लेने के लिए मंगलवार को एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की।
मीन ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘हमारे लोगों की सुरक्षा और भलाई हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है तथा हम मानसून की चुनौतियों का मिलकर सामना कर रहे हैं।’’
अरुणाचल प्रदेश कांग्रेस समिति (एपीसीसी) के अध्यक्ष नबाम तुकी ने प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली स्थापित करने का आह्वान किया है।
भाषा वैभव नरेश
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