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Friday, 22 November, 2024
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जलवायु परिवर्तन के कारण भारत और पाकिस्तान में हीटवेव की संभावना 100 गुना बढ़ी: UK मेट ऑफिस स्टडी

स्टडी के मुताबिक 2010 में औसत तापमान से अधिक गर्मी की लहर की प्राकृतिक संभावना 312 वर्षों में एक बार होती है. लेकिन वर्तमान के जलवायु परिवर्तन की स्थिति में ये संभावना 3.1 साल हो गई है.

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नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान में जलवायु परिवर्तन के कारण हीटवेव ज्यादा खतरनाक हो रही है. यूनाइटेड किंगडम के मेट ऑफिस के हालिया स्टडी के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण उत्तर-पश्चिम भारत और पाकिस्तान में रिकॉर्ड तोड़ने वाली हीटवेव की संभावना 100 गुना ज्यादा बढ़ गई है.

इस स्टडी के मुताबिक साल 1900 के बाद वर्ष 2010 के अप्रैल और मई महीने में सबसे ज्यादा गर्मी हुई थी. इसलिए मेट ऑफिस ने अपने एट्रीब्यूशन स्टडी में इस संभावना को पता लगाने की कोशिश की कि 2010 के बाद ऐसी स्थिति कब दर्ज की जाएगी.

स्टडी के मुताबिक 2010 में औसत तापमान से अधिक गर्मी की लहर की प्राकृतिक संभावना 312 वर्षों में एक बार होती है. लेकिन वर्तमान के जलवायु परिवर्तन की स्थिति में ये संभावना 3.1 साल हो गई है.

वहीं स्टडी में ये भी अनुमान लगाया गया है कि इस सदी के अंत तक इसकी संभावना 1.15 साल (यानी सवा साल से भी कम समय में) हो सकती है.

मेट ऑफिस एट्रिब्यूशन स्टडी को पेश करने वाले डॉ निकोस क्रिस्टिडिस ने कहा, ‘क्षेत्र में प्री-मानसून से पहले अप्रैल और मई महीने में गर्मी की लहरें देखने को मिलती रही हैं.’

वह आगे कहते हैं, ‘हालांकि हमारे अध्ययन से पता चलता है कि गर्मी की तीव्रता को जलवायु परिवर्तन बढ़ा रहा है जिससे रिकॉर्ड तोड़ तापमान 100 गुना अधिक होने की संभावना है. सदी के अंत तक बढ़ते जलवायु परिवर्तन से हर साल औसतन तापमान बढ़ने की संभावना है.’

क्लाइमेट एट्रिब्यूशन में मेट ऑफिस साइंस फेलो प्रोफेसर पीटर स्टॉट ने कहा, ‘हाल के दिनों में तापमान के 50 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होने से ये साफ पता चलता है कि ये हीटवेव तेजी से बदलते मौसम के कारण है जो कि लोगों की आजीविका और समुदाय को प्रभावित कर रहा है.’

हालांकि वैज्ञानिक इस महीने के खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं ताकि अप्रैल और मई महीने के सभी तापमान के डेटा को मिलाकर देखा जाए कि क्या हालिया हीटवेव ने 2010 की स्थिति को पार कर लिया है या नहीं.


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तापमान और बढ़ने की संभावना

भारत के कई राज्यों और पाकिस्तान में बीते हफ्ते चली हीटवेव के बाद इन दिनों स्थिति में कुछ सुधार हुआ है. बीते रविवार को पाकिस्तान में तापमान 51 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था वहीं दिल्ली के मुंगेशपुर और कुछ इलाकों में भी तापमान 49 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया था.

मेट ऑफिस ग्लोबल गाइडेंस यूनिट के पॉल हचियोन ने कहा, ‘हालांकि, इस हफ्ते के मध्य से गर्मी फिर से बढ़ने की संभावना है और सप्ताह के अंत में या सप्ताहांत में ये चरम पर हो सकती है.’

उन्होंने कहा, ‘कुछ स्थानों पर अधिकतम तापमान फिर से 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की संभावना है. रात में भी बहुत अधिक तापमान दर्ज की जा सकती है. सप्ताहांत में तापमान फिर से कम हो जाएगा. इस क्षेत्र में आग लगने का जोखिम काफी है जिससे हवा की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा. हालांकि इस बीच तेज हवाएं धुएं को हटाएगी भी.’

इंपीरियल कॉलेज लंदन के ग्रांथम इंस्टीट्यूट में जलवायु विज्ञान के वरिष्ठ लेक्चरर डॉ. फ्रेडरिक ओटो का कहना है, ‘भारत की वर्तमान हीटवेव को जलवायु परिवर्तन ने और गर्म बना दिया है, जो कि कोयला और जीवाश्म ईंधन जलाने जैसी मानवीय गतिविधियों का परिणाम है.’

इस साल मार्च महीने से ही भारत में हीटवेव शुरू हो गई थी. जिसके बाद इसके कई चरण देखने को मिले. मार्च 11 से 19, 27 मार्च से 12 अप्रैल, 17 अप्रैल से 19 अप्रैल और फिर 26 अप्रैल से 30 अप्रैल को कई चरणों में हीटवेव ने लोगों पर असर डाला.

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ गांधीनगर के निदेशक डॉ. दिलीप मावलंकर का कहना है, ‘मौजूदा हीटवेव, मई और जून की स्थिति के लिए एक खतरनाक संकेत है. यदि हम अभी प्रभावी कार्रवाई करते हैं तो हम बहुत अधिक मोर्बिडिटी और मृत्यु दर को रोक सकते हैं.’

लांसेट की स्टडी के मुताबिक हीटवेव के कारण काम करने वाले मजदूरों के स्वास्थ्य और उनके काम पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है.

अप्रैल और मई महीने में देश की राजधानी दिल्ली समेत कई राज्यों में तापमान 45 डिग्री के पार पहुंचा है.

संयुक्त राष्ट्र के तहत काम करने वाली संस्था विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने हाल ही में अनुमान लगाया है कि 2022 से 2026 के बीच के सालों में से कोई एक साल इतिहास में सबसे गर्म होने वाला है. वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस के स्तर को पार कर सकता है.

गौरतलब है कि भारत में हीटवेव दिनों की संख्या 1981-1990 के दशक में 413 से बढ़कर 2001 और 2010 के बीच 575 और 2010-20 में बढ़कर 600 हो गई है.


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