बदायूं (उप्र),28 मई (भाषा) बदायूं जिले की एक अदालत ने बुधवार को मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता के हज पर जाने की वजह से नीलकंठ महादेव मंदिर बनाम शम्सी जामा मस्जिद मामले की सुनवाई के लिए पांच जुलाई की तारीख तय की है।
बदायूं में दीवानी न्यायाधीश (त्वरित अदालत) की अदालत में चल रहे नीलकंठ महादेव मंदिर बनाम शम्सी जामा मस्जिद मामले से जुड़े मुकदमे की फाइल स्थानांतरित किये जाने के बाद अब दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) सुमन तिवारी की अदालत में पहुंच गई है। दीवानी न्यायाधीश तिवारी ने आज पत्रावली/ फाइल का अवलोकन किया।
हालांकि, शमसी जमा मस्जिद इंतेजामिया कमेटी के अधिवक्ता असरार अहमद के हज पर जाने के कारण कोई सुनवाई नहीं हो सकी।
न्यायाधीश तिवारी ने सुनवाई की अगली तारीख पांच जुलाई तय की है और दोनों पक्षों को अपना पक्ष रखने के लिए अदालत में उपस्थित होने को कहा है।
नीलकंठ मंदिर पक्ष के अधिवक्ता वेद प्रकाश साहू ने बताया कि मामले की फाइल त्वरित अदालत से दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) की अदालत में स्थानांतरित कर दी गई है।
न्यायाधीश ने बुधवार को फाइल का अवलोकन कर दोनों पक्षों को अपना पक्ष रखने को कहा, लेकिन शम्सी जामा मस्जिद इंतेजामिया कमेटी के अधिवक्ता असरार अहमद के हज पर जाने के कारण मस्जिद कमेटी की ओर से अगली तिथि निर्धारित करने का प्रार्थना पत्र दिया गया।
इस पर न्यायाधीश सुमन तिवारी ने पांच जुलाई की तिथि निर्धारित कर दोनों पक्षों को निर्देश दिया है कि इस तिथि से मामले की नियमित सुनवाई होगी।
इससे पहले 21 अप्रैल को हुई सुनवाई में दीवानी न्यायाधीश (त्वरित अदालत) के न्यायाधीश पुष्पेंद्र चौधरी ने कहा था कि वह आगे की कार्यवाही से पहले केस फाइल का अवलोकन करेंगे।
न्यायाधीश चौधरी ने तब कहा था कि उन्होंने केस के दस्तावेजों का अवलोकन नहीं किया है और कोई भी निर्णय लेने से पहले उन्हें केस फाइल देखने के लिए समय चाहिए।
वर्ष 2022 में अखिल भारत हिंदू महासभा के तत्कालीन संयोजक मुकेश पटेल ने दावा किया था कि शम्सी जामा मस्जिद स्थल पर नीलकंठ महादेव मंदिर था और उन्होंने ढांचे में पूजा करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था। इसी दावे से मुकदमा शुरू हुआ।
भाषा सं आनन्द नरेश संतोष
संतोष
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