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Sunday, 22 December, 2024
होमदेशदिल्ली सरकार ने स्वास्थ्यकर्मियों से जुड़ा आदेश ठंडे बस्ते में डाला, कोविड ड्यूटी पर संक्रमित होने वालों को अब नहीं देना होगा कोई जवाब

दिल्ली सरकार ने स्वास्थ्यकर्मियों से जुड़ा आदेश ठंडे बस्ते में डाला, कोविड ड्यूटी पर संक्रमित होने वालों को अब नहीं देना होगा कोई जवाब

डॉक्टरों का कहना है कि हर अस्पातल से पीपीई के इस्तेमाल और स्टाक का आंकड़ा मांग लिया जाए तो पता चल जाएगा कि कोविड पॉज़िटिव स्वास्थ्यकर्मियों के लिए कौन जिम्मेदार है.

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नई दिल्ली: दिल्ली के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने राजधानी के स्वास्थ्यकर्मियों से जुड़ा एक आदेश जारी किया था जिसका विरोध शुरू होने पर सरकार ने उसे अगले आदेश तक ठंडे बस्ते में डालने का फैसला किया है. पिछले आदेश में कहा गया था कि गैर-कोविड ड्यूटी वाले डॉक्टर, नर्स या पारामेडिक्स अगर कोविड पॉज़िटिव पाए जाते हैं या कोविड पॉज़िटिव के संपर्क में आते हैं तो उन्हें लिखित में बताना होगा कि उनके साथ ऐसा कैसे हुआ.

दिल्ली सरकार ने अपना आदेश अगले आदेश के आने तक ठंडे बस्ते में डाल दिया है.

इस आदेश का विरोध करते हुए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली के रेज़िडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (आरडीए) के सचिव श्रीनिवासन राजकुमार टी ने कहा कि दिल्ली सरकार को स्वास्थ्य कर्मियों को निशाना बनाने वाले ऐसे आदेशों को जारी करने से बचना चाहिए.

दिल्ली सरकार के आदेश में लिखा है, ‘गैर-कोविड ड्यूटी वाले कई स्वास्थ्यकर्मी या तो कोविड पॉज़िटिव पाए जा रहे हैं या कोविड पॉज़िटिव मरीज़ों के संपर्क में आ रहे हैं. संबंधित हॉस्पिटलों के मेडिकल डायरेक्टर ऐसे स्वास्थ्यकर्मियों को बेझिझक 14 दिन के क्वारेंटाइन में या तो होटल या उनके घर भेज दे रहे हैं.’

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आदेश में आगे लिखा है कि इसकी वजह से अस्पतालों में स्वास्थ्यकर्मियों की भारी कमी हो रही है. आगे शक जताया गया है कि या तो ये अस्पताल सही प्रक्रिया का पालन नहीं कर रहे हैं या ऐसे लोग स्वास्थ्यकर्मियों से जुड़ी गाइडलाइन का पालन नहीं कर रहे हैं.

इन्हीं सबका हवाला देते हुए मेडिकल डायरेक्टरों को निर्देश दिया गया है कि कोविड पॉज़िटिव पाए जाने या कोविड पॉज़िटिव के संपर्क में आने वाले स्वास्थ्यकर्मियों से उन्हें लिखित में ये जानकारी मांगनी पड़ेगी कि आख़िर इनके साथ ऐसा हुआ कैसे?

इस बात पर भी ज़ोर दिया गया है कि स्वास्थ्यकर्मी जब प्रोटेक्टिव गियर पहन रहे हैं, तय दूरी बनाए रहे हैं और तय मानकों का पालन कर रहे हैं फिर भी पॉज़िटिव कैसे हो जा रहे हैं. ये भी कहा गया है कि मेडिकल डायरेक्टरों को डॉक्टरों की एक टीम का गठन करना होगा.

इस टीम का काम ये तय करना होगा कि जिस स्वास्थ्यकर्मी के बारे में ये जानकारी मिली है कि वो कोविड पॉज़िटिव के संपर्क में आया है, क्या वो भारत सरकार द्वारा जारी की गई उस गाइडलाइन में फिट बैठता है जिसके तहत किसी को किसी कोविड मरीज़ के संपर्क वाला घोषित किया जाता है.

हालांकि, एम्स दिल्ली सरकार के अंतर्गत नहीं आता फिर भी डॉक्टरों के ख़िलाफ़ ऐसे फ़रमान के भारत के सबसे बड़े हॉस्पिटल के आरडीए ने विरोध किया है. विरोध करते हुए ये भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट की सलाह के बावजूद स्वास्थ्यकर्मियों को पर्याप्त पीपीई नहीं मिले रहे.

एम्स आरडीए ने कहा, ‘कोविड या गैर कोविड दोनो ही तरह के अस्पतालों के स्वास्थ्यकर्मियों को पर्याप्त पीपीई देन को कहा गया है. लेकिन ऐसा नहीं हो रहा. सुरक्षा से जुड़ी गाइडलाइन का पालन नहीं हो रहा. ओपीडी खोल रखा है. कोविड और गैर कोविड मरीज़ों के लिए जगहों का विभाजन नहीं किया गया है.’


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इनका आरोप है कि सरकार की ख़राब योजना और उसे ख़राब तरीके से लागू करने की वजह से स्वास्थ्य कर्मियों में कोविड फ़ैल रहा है. इन्हीं बातों का हवाला देते हुए स्वास्थ्यकर्मियों के सिर पर बीमार पड़ने का ठीकरा नहीं फ़ोड़ने को कहा गया है.

ये भी मांग की गई है कि हर अस्पातल से आंकड़ा मांगा जाए कि उनके यहां कितना पीपीई इस्तेमाल हो रहा है. ये भी कहा गया कि इस्तेमाल के अलावा पीपीई के स्टाक का आंकड़ा मांग लिया जाए तो पता चल जाएगा कि कोविड पॉज़िटिव स्वास्थ्यकर्मियों के लिए कौन जिम्मेदार है.

एम्स के पूर्व आरडीए अध्यक्ष और वर्तमान में अस्टिटेंट प्रोफ़ेसर विजय गुर्जर ने ट्वीट कर सीएम अरविंद केजरीवाल, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और उपराज्यपाल अनिल बैजल पर तंज कसते हुए लिखा कि कोविड पीड़ित डॉक्टरों से लिखित में पॉज़िटिव होने का कारण पूछना क्या शानदार आइडिया है.

उन्होंने भी यही सवाल किया कि क्या स्वास्थ्यकर्मियों को पर्याप्त मात्रा में पीपीई दिया जा रहा है. अगर दिया भी जा रहा है तो क्या ये पूरी तरह से सुरक्षित होता है? इन्हीं सवालों के साथ उन्होंने कहा है कि क्या अब कोई क्वारेंटाइन में जाने की मांग कर पाएगा?

इस बारे में दिप्रिंट ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री का पक्ष जानने के लिए उनसे फ़ोन और मैसेज के जरिए संपर्क किया. स्टोरी पब्लिश होने तक उनका कोई जवाब नहीं आया है. जवाब मिलने पर इसे अपडेट कर दिया जाएगा.

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