नई दिल्ली: प्रकृति और पेशे से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में बड़ी चिंता का कारण बनती जा रही हैं. उससे भी बड़ी चिंता की बात ये है कि इनपर उस तरह से ध्यान नहीं दिया जाता जिस तरह से दिया जाना चाहिए. ये बात केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने स्वीकार की और कहा कि ऐसी समस्याओं से निपटने के लिए हर मंत्रालय में एक ‘छोटा स्वास्थ्य मंत्रालय’ होना चाहिए.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और स्वास्थ्य मंत्रालय ने मिलकर कंट्री कोऑपरेशन स्ट्रेटजी (सीसीएस) के नाम से एक दस्तावेज बनाया है. इसमें 2019 से 2024 तक भारत की स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों से निपटने का रोडमैप तैयार किया गया है.
सीसीएस एक रणनीतिक दस्तावेज है और इसी को आधार मानते हुए स्वास्थ्य से जुड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिए अगले पांच सालों तक डब्ल्यूएचओ भारत सरकार के साथ काम करेगा. इसका लक्ष्य भारत की आबादी के स्वास्थ्य में सुधार लाना और स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़े बदलाव लाना है.
उन्होंने कहा, ‘प्रकृति और पेशे से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं पर भारत में वैसा ध्यान नहीं दिया जाता जैसा दिया जाना चाहिए. सीसीएस के हितधारकों से मैं उम्मीद करता हूं कि हम ऐसी स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने पर ज़ोर देंगे.’ हर्षवर्धन ने कहा कि सड़क हादसों से होने वाली स्वास्थ्य समस्या के अलावा बेहतर पोषण और खाद्य सुरक्षा पर भी ज़ोर देने की दरकार है.
सीसीएस की ख़ास बात यह है कि इसमें चार चीज़ों को स्वास्थ्य मंत्रालय और डब्ल्यूएचओ में सहयोग का अहम बिंदू माना है. इसमें यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (यूएचसी), लोगों को स्वस्थ बनाने वाली चीज़ों से अवगत कराकर उन्हें स्वस्थ रखने पर ज़ोर देना, स्वास्थ्य से जुड़ी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए चीज़ों को पहले से बेहतर बनाना और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत के वैश्विक नेतृत्व को बढ़ाने जैसी बातें शामिल हैं.
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स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि सरकार का ज़ोर स्वास्थ्य को लेकर लोगों की सोच बदलने पर भी रहेगा. ताकि हर कोई रोकथाम जैसे कदम उठाकर अपने स्वास्थ्य की ज़िम्मेदारी ले सके. पहले से उठाए गए ऐसे कदमों का हवाला देते हुए उन्होंने ‘ईट राइट इंडिया’, ‘फिट इंडिया’ और ‘पोषण अभियान’ जैसी पहलों का हावाल देते हुए कहा, ‘ऐसे अभियानों से लोग सामूहिक जुड़े और जागरुकता फैलना का काम किया है.’
भारत में डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि हैंक बेकेडम का मानना है कि डिजिटल स्वास्थ्य, बेहतर दवाओं और आयुष्मान भारत जैसी स्कीम की वजह से भारत को दुनिया में एक मॉडल के रूप में पेश किए जाने का ये शानदार मौका है. उन्होंने कहा, ‘सीसीएस इन चीज़ों को पहले से और बेहतर बनाने का काम करेगा.’
मंत्रालय की सचिव प्रीति सूदन का मानना है कि भारत के सामने स्वास्थ्य से जुड़ी जैसी चुनौतियां हैं. उसकी वजह से सीसीए में लचीलेपन की दरकार है. उन्होंने कहा, ‘सीसीएस में वायु प्रदूषण और नॉन-कम्यूनिकेबल बीमारियों जैसी चुनौतियों की पहचान की गई है और हमने इनसे निपटने का दृढ़ संकल्प लिया है.’
सीसीएस में ये भी बताया गया है कि देशव्यापी स्तर पर स्थिति को बेहतर बनाने में डब्ल्यूएचओ न सिर्फ स्वास्थ्य मंत्रालय बल्कि इससे जुड़े अन्य मंत्रालयों की भी मदद करेगा. इस दस्तावेज को 2017 में आई भारत की स्वास्थ्य नीति से लेकर आयुष्मान भारत, नेशनल वायरल हेपेटाइटिस प्रोग्राम और डिजिटल हेल्थ जैसी पहलों को आधार बनाकर तैयार किया गया है.