नयी दिल्ली, 29 मार्च (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को आपराधिक मानहानि के मामले में ऑनलाइन समाचार पोर्टल ‘द वायर’ के संपादक और उपसंपादक को जारी सम्मन को दरकिनार कर दिया। मानहानि का यह मामला जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) को कथित रूप से ‘संगठित सेक्स रैकेट के अड्डा’ के रूप में चित्रित करने वाले दस्तावेज (डोजियर) पर केंद्रित एक प्रकाशन को लेकर दर्ज कराया गया था।
जेएनयू में विधि एवं शासन अध्ययन केंद्र की प्रमुख और प्रोफेसर अमिता सिंह ने ‘द वायर’ के संपादक और उपसंपादक समेत कई लेगों के खिलाफ शिकायत की थी। सिंह ने शिकायत में कहा था कि अप्रैल, 2016 के प्रकाशन में उन पर कथित रूप से लांछन लगाया गया कि उन्होंने विवादित दस्तावेज को तैयार किया था।
न्यायमूर्ति अनूप जयराम भम्भानी ने कहा कि वह यह समझने में असमर्थ थे कि लेख को शिकायतकर्ता की मानहानि कैसे कहा जा सकता है, जबकि यह कहीं नहीं कहा गया है कि प्रतिवादी (सिंह) गलत गतिविधियों में शामिल हैं, और न ही इस संबंध में शिकायतकर्ता के लिए कोई अन्य अपमानजनक संदर्भ दिया गया है।’’
न्यायाधीश ने कहा कि विवादास्पद दस्तावेज ने जेएनयू परिसर में चल रही कथित गलत गतिविधियों का खुलासा किया और सिंह उन लोगों की एक टीम का नेतृत्व कर रही थीं जिन्होंने दस्तावेज तैयार किया था।
शिकायतकर्ता ने निचली अदालत के समक्ष तर्क दिया था कि आरोपी व्यक्तियों ने उसकी छवि को खराब करने के लिए उसके खिलाफ घृणा अभियान चलाया था। इसके बाद मजिस्ट्रेट ने सम्मन जारी किया था।
‘द वायर’ के संपादक और उप संपादक ने सम्मन को उच्च न्यायालय के समक्ष इस आधार पर चुनौती दी थी कि रिकॉर्ड में ऐसी कोई सामग्री नहीं है जिसके आधार पर मजिस्ट्रेट उन्हें तलब कर सकें। उच्च न्यायालय ने मजिस्ट्रेट के सम्मन को दरकिनार कर दिया।
भाषा संतोष अर्पणा
अर्पणा
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