जबलपुरः मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने भोपाल गैस त्रासदी के कैंसर पीड़ितों का अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), भोपाल में मुफ्त इलाज करने के प्रदेश सरकार को निर्देश दिए हैं. अदालत ने 16 सितंबर को यह आदेश जारी किया और इसकी प्रति बुधवार को उपलब्ध कराई गई.
मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति वी के शुक्ला की खंडपीठ ने भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन और नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश जारी किया. याचिकाओं में वर्ष 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी के प्रभावितों को चिकित्सा सुविधा देने का अनुरोध किया गया था.
मालूम हो कि दो और तीन दिसंबर 1984 की मध्यरात्रि को भोपाल में तत्कालीन यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ था जिसमें 3,700 से अधिक लोग मारे गए और 5.58 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए.
गैस त्रासदी के प्रभावितों से संबंधित मुद्दों को देखने के लिए शीर्ष अदालत द्वारा गठित एक निगरानी समिति ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट उच्च न्यायालय को सौंपी है.
अदालत के आदेश में कहा गया कि निगरानी समिति की ओर से उपस्थित अधिवक्ताओं ने बताया कि भोपाल मेमोरियल अस्पताल और अनुसंधान केंद्र (बीएमएचआरसी) का नियंत्रण भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को सौंपने के बाद गैस पीड़ितों और अन्य रोगियों को प्रदान किए जा रहे उपचार और अन्य सुविधाओं के संबंध में कोई सुधार हुआ है या नहीं, इसके बारे में समिति फिर से निरीक्षण करेगी और फिर एक रिपोर्ट पेश करेगी.
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, ‘यह निर्देश दिया जाता है कि मध्य प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव द्वारा 17 जून 2021 को बुलाई गई बैठक में की गई सिफारिश के आलोक में भोपाल गैस त्रासदी से प्रभावित कैंसर पीड़ित मरीजों को भोपाल स्थित एम्स में नि:शुल्क उपचार प्रदान किया जाए.’
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई आठ अक्टूबर को तय की है.
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