नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश पुलिस ने मंगलवार को हाथरस में हुई भगदड़ के लिए सत्संग के आयोजकों को दोषी ठहराया है. इस भगदड़ में कम से कम 121 लोगों की जान चली गई. इन मृतकों में ज़्यादातर महिलाएं थीं. हालांकि, कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए ज़िम्मेदार पुलिस और ज़िला प्रशासन दोनों ही ऐसी आपदा को रोकने के अपने कर्तव्य में विफल रहे.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, जबकि आयोजकों को सभी शर्तों का पालन करना चाहिए, फिर भी पुलिस का कर्तव्य है कि योजना के वक्त फील्ड चेक और मीटिंग्स के माध्यम से यह सुनिश्चित करे कि आयोजनों के लिए उचित व्यवस्था की गई है.
दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त एस.एन. श्रीवास्तव ने दिप्रिंट को बताया, “इसके अलावा, सरकारी अधिकारियों को ऐसे बड़े समारोहों के प्रबंधन में अधिक भूमिका निभानी चाहिए और यदि जिला प्रशासन का अनुमान है कि सत्संग में 2.5 लाख से अधिक श्रद्धालु शामिल होंगे, तो शीर्ष जिला अधिकारियों से अपेक्षा की जाती है कि वे सभा का प्रबंधन करने के लिए शारीरिक रूप से मौजूद रहें, साथ ही योजना के चरण में शामिल हों. ऐसा न करना एक बड़ी चूक है और यह एक “सामूहिक विफलता” है.”
कार्यक्रम में, चाहे वह आयोजन स्थल पर सीसीटीवी लगाने का प्रावधान हो, उचित प्रवेश और निकास द्वार हो, दमकल गाड़ी, स्टैंडबाय पर चिकित्सा सहायता, कुछ भी नहीं था.
इतने बड़े आकार के सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए आयोजकों द्वारा पानी, एम्बुलेंस और निजी सुरक्षा की व्यवस्था सहित 19 शर्तों का पालन किया जाना चाहिए, जो उन्होंने नहीं किया.
एक दूसरे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “किसी भी ऐसे कार्यक्रम के लिए, अनुमति देने के लिए नियम और शर्तें होती हैं जिनका पालन किया जाना चाहिए. आयोजकों का कर्तव्य है कि वे इनका पालन करें, लेकिन पुलिस को प्रतिबद्धता के आधार पर कार्यक्रम का प्रबंधन करना चाहिए. इसके अलावा, अगर फील्ड चेक में गैर-अनुपालन का पता चलता है, तो पुलिस के पास अनुमति रद्द करने का अधिकार है,”
ऐसी किसी भी सभा के लिए, पुलिस का एक अलग विभाग, खुफिया आकलन भी करता है. आयोजकों द्वारा आयोजित पिछले कार्यक्रमों का टीम विश्लेषण करती है ताकि पिछले मानदंड उल्लंघन और अनुमानित उपस्थिति की जांच की जा सके. फिर जिला पुलिस को कार्यक्रम के लिए आवश्यक पुलिस कर्मियों की संख्या के बारे में सलाह दी जाती है. अधिकारी के अनुसार, किसी भी आकस्मिकता के लिए तैयारी के लिए योजना चरण के दौरान आयोजकों के साथ कई बैठकें भी की जाती हैं.
इसके अलावा, ऐसे किसी भी कार्यक्रम के लिए, पुलिस को यह सुनिश्चित करने के लिए अग्रिम फील्ड चेक करना होता है कि सभी शर्तें, जैसे पर्याप्त प्रवेश और निकास बिंदु, अग्नि सुरक्षा और चिकित्सा दल मौजूद हैं. यदि नहीं, तो अनुमति रद्द हो सकती है.
दूसरे अधिकारी ने कहा, “जवाबदेही तय करने के लिए यूपी सरकार द्वारा इसकी गहन जांच की जानी चाहिए.”
दिप्रिंट से बात करते हुए कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने कहा कि मामले की जांच चल रही है और जवाबदेही तय की जाएगी. उन्होंने कहा, “एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है और वे जांच कर रहे हैं कि क्या गलत हुआ.”
जब उनसे पूछा गया कि क्या यह पुलिस की ओर से चूक थी, तो उन्होंने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों ने कार्यक्रम से पहले क्षेत्र का दौरा किया था और बाकी जांच का विषय है.
उन्होंने कहा, “इलाके में पर्याप्त तैनाती थी. यूपी पुलिस ने हमेशा बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ को अच्छी तरह से संभाला है. चुनाव के मौसम में ऐसी कई रैलियां शांतिपूर्ण तरीके से आयोजित की गईं. यहां क्या गलत हुआ, चाहे वह जानबूझकर किया गया हो, ढिलाई बरती गई हो या सिर्फ मानवीय भूल हो, यह जांच का विषय है.”
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