तिरुवनंतपुरम/कोच्चि, 26 मई (भाषा) घृणा भाषण मामले में जमानत रद्द होने के बाद गिरफ्तार वरिष्ठ नेता पी. सी. जार्ज को मजिस्ट्रेट अदालत ने बृहस्पतिवार को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया, लेकिन इसके कुछ ही घंटों बाद केरल उच्च न्यायालय ने राज्य से सवाल किया कि अगर पुलिस के पास उनके भाषणों की रिकॉर्डिंग है तो फिर उन्हें हिरासत में रखने का क्या औचित्य है।
जॉर्ज द्वारा दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से उक्त सवाल किया। जॉर्ज ने पलारीवत्तोम थाने में घृणा भाषण के संबंध में दर्ज प्राथमिकी में अग्रिम जमानत और तिरुवनंतपुरम के एक थाने में दर्ज घृणा भाषण के मामले को रद्द करने का अनुरोध करते हुए दो याचिकाएं उच्च न्यायालय में दाखिल की हैं।
उच्च न्यायालय ने राज्य से सवाल किया कि अगर जांच एजेंसी के पास नेता के भाषण की रिकॉर्डिंग उपलब्ध है तो ऐसे में उन्हें हिरासत में रखने का क्या औचित्य है।
अदालत ने महाअभियोजक से कहा कि वह शुक्रवार को होने वाली मामले की अगली सुनवाई के दिन उसके सवालों का जवाब दें।
अदालत ने यह भी कहा कि जॉर्ज की याचिका पर भी शुक्रवार को ही विचार किया जाएगा। ऐसे में उन्हें कम से कम एक रात जेल में गुजारनी होगी।
उच्च न्यायालय के समक्ष सुनवाई के दौरान जॉर्ज के वकील ने उन्हें अंतरिम जमानत देने का अनुरोध किया।
वकीलों ने यह भी कहा कि जॉर्ज से पलारीवत्तोम थाने में लंबी पूछताछ की गई क्योंकि वे लोग तिरुवनंतपुरम की मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा उनकी जमानत रद्द किए जाने का इंतजार कर रहे थे।
उन्हें वकीलों ने आरोप लगाया कि मजिस्ट्रेट अदालत ने पलारीवोत्तम थाने में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर उनकी जमानत रद्द की है, जो सही नहीं है।
भाषा अर्पणा नरेश
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